New

होम -> सियासत

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 13 अक्टूबर, 2015 04:43 PM
अभिषेक पाण्डेय
अभिषेक पाण्डेय
  @Abhishek.Journo
  • Total Shares

अगर आने वाले वक्त में आपको भारत के राष्ट्रीय पशु के रूप में बाघ की जगह गाय का नाम सुनने को मिले तो चौंकिएगा मत, क्योंकि इस योजना को परवान चढ़ाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं. हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने के लिए एक ऑनलाइन सर्वे शुरू किया है. अब तक इस सर्वे में 88 फीसदी लोग गाय के पक्ष में अपना समर्थन जता चुके हैं. विज पहले भी गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने की मांग करते रहे हैं. ऐसे समय में जबकि गाय, गोहत्या और गाय के मांस (बीफ) पर देशव्यापी बहस छिड़ी है तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने से इसके सरंक्षण को बढ़ावा मिलेगा? क्या सिर्फ गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करके ही उसे सुरक्षा प्रदान की जा सकती है?

गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग क्‍यों: 

सिर्फ अनिल विज ही नहीं बल्कि हरियाणा की बीजेपी सरकार भी गायों के सरंक्षण और संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध दिखाई देती है. इस साल मार्च में हरियाणा सरकार ने गौवंश सरंक्षण और गौ संवर्द्धन बिल पास किया है ताकि गोहत्या करने वाले को सख्त सजा दी सजा सके. इस कानून के मुताबिक गोहत्या के दोषी को 10 साल की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. अपनी मांग के समर्थन में विज कहते हैं कि गायों को सुरक्षा की जरूरत है जबकि बाघ अपनी सुरक्षा खुद कर सकते हैं. इसलिए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कर देने से उसकी सुरक्षा के लिए फिर कोई कानून बनाने की जरूरत नहीं रह जाएगी. उनका कहना है कि गायों की हत्या करने वाले माफिया सक्रिय हैं. विज का तर्क है कि जिस तरह राष्ट्रीय पक्षी होने के कारण मोर को सुरक्षा मिलती है उसी तरह गायों के साथ भी होना चाहिए. उनका कहना है कि गाय मानवता की भलाई करती है क्योंकि सभी लोग उसका दूध पीते हैं. 

हर साल होती है लाखों गायों की हत्या ! 

भले ही देश के 29 में से 24 राज्यों में गायों को मारने पर प्रतिबंध है लेकिन हिंदूवादी संगठनों का दावा है कि देश भर में हर साल गाय के मांस के लिए लाखों गायों की हत्या कर दी जाती है. इन हत्याओं के लिए जिम्मेदार देश में अवैध रूप से चलने वाले हजारों कसाईखाने हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश भर में करीब 3600 कसाईखाने हैं, इनमें 30 हजार से अवैध है और यहां हर साल लाखों गायों को काटा जाता है. एक अनुमान के मुताबिक भारत-बांग्लादेश की 2400 किलोमीटर लंबी सीमा पर सुरक्षा की खामियों का फायदा उठाकर हर साल करीब 20 लाख गायों की अवैध तस्करी करके उन्हें कटने के लिए सीमा पार पहुंचा दिया जाता है. 

भारत में गायों की संख्या करीब 76 लाख हैं जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा है, साथ ही भारत हर साल 14 करोड़ टन दूध उत्पादन के साथ इस मामले में भी दुनिया में पहले नंबर पर है. जिस एक और बात पर सवाल उठ रहे हैं वह है दुनिया में नंबर एक बन चुकी भारत की बीफ इंडस्ट्री. भारत की 4.3 अरब डॉलर की बीफ इंडस्ट्री में वैसे तो ज्यादातर भैंसों के मांस होने की बात कही जाती है लेकिन इनमें गायों के मांस होने का भी दावा किया जाता रहा है. भारत में 11.5 करोड़ भैंसें हैं जिनसे हर साल 15.3 लाख टन बीफ का उत्पादन होता है. इन आरोपों की एक वजह यह भी है कि भारत की बीफ इंडस्ट्री को चलाने वाले ज्यादातर लोग मुस्लिम हैं. इन संगठनों का दावा है कि कांग्रेस के सत्ता में रहने के दौरान 2007 से 2012 के बीच बीफ इंडस्ट्री बढ़कर दोगुनी हो गई और ऐसा कांग्रेस सरकार की अल्पसंख्यक वोट बैंक के कारण गोहत्या के प्रति नरम रवैये के कारण हुआ. 

बाघ या गाय, किसको ज्यादा खतरा

गायों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए ही उसे राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की जा रही है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि गाय और बाघ में से किसे सुरक्षा की ज्यादा जरूरत है. पर्यावरण और वन मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2014 में देश में बाघों की संख्‍या 2226 थी जो कि 2011 के मुकाबले 30 फीसदी ज्यादा है. जोकि 2006 में 1411 और 2011 में 1711 थी. जबकि इसके लिए सरकार ने देश भर में 48 टाइगर रिजर्व पार्क बनाए हैं और हजारों किलोमीटर वन क्षेत्र टाइवर रिजर्व के लिए आरक्षित है. इतनी कोशिशों के बावजूद सरकार मानती है कि वह बाघों के अवैध शिकार पर रोक नहीं लग पाई है. यही कारण है कि तमाम कोशिशों के बावजूद 2006 से 2014 की आठ साल की अवधि में देश में बाघों की संख्या में करीब 800 बाघों की बढ़ोतरी हो सकी. साथ ही भारत दुनिया के 70 फीसदी बाघों का घर है और इसलिए तेजी से विलुप्त होती इस प्रजाति के बचने की उम्मीदें भारत से ही जुड़ी हैं. वहीं भारत में गायों की संख्या करीब 76 लाख है और उनकी सुरक्षा के लिए भारत के 24 राज्यों में गोहत्या अवैध है और ऐसा करने पर सजा का प्रावधान है. 

देश की सेक्युलर छवि पर सवाल उठेंगेः 

हिंदू धर्म के लिए पवित्र और पूजनीय मानी जाने वाली गायों की सुरक्षा के लिए ही उन्हें राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की जा रही है. लेकिन ऐसा होने पर भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को धक्का पहुंचेगा क्योंकि तब यह सवाल उठेंगे कि क्यों किसी धर्म विशेष के पूज्य जानवर को पूरे देश का राष्ट्रीय पशु बना दिया गया. ऐसा होने पर देश में किसी धर्म विशेष के लोगों को तवज्जो देने का संदेश जाएगा. लेकिन यह मांग करने वालों से बूढ़ी और बीमार गायों के संरक्षण के लिए भी कदम उठाए जाने की अपेक्षा की जाती है क्योंकि बीमार और दूध न देने वाली गायों को सड़क पर कूड़ा खाने और दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया जाता है. जाहिर सी बात है कि किसी और धर्म से ज्यादा गायों को इस स्वार्थी सोच से खतरा है, जो बूढ़े होने पर उन्हें मरने के लिए बेसहारा छोड़ देता है.

#राष्ट्रीय पशु, #गाय, #बाघ, राष्ट्रीय पशु, गाय, बाघ

लेखक

अभिषेक पाण्डेय अभिषेक पाण्डेय @abhishek.journo

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय