अलग सिंधुदेश की मांग, PM मोदी की तस्वीर और पाकिस्तान का हाल!
पाकिस्तान में अलग सिंधुदेश की मांग 1967 से ही चलती आ रही है. 1967 में जीएम सैयद और पीर अली मोहम्मद रशदी के नेतृत्व में सिंधियों के लिए एक अलग सिंधुदेश की मांग शुरू हुई थी.
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पाकिस्तान में अलग सिंधुदेश की मांग को लेकर हालिया हुई रैली में प्रदर्शनकारियों के हाथों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई विश्व के कई बड़े नेताओं की तस्वीरें नजर आईं. प्रदर्शनकारियों ने सिंध प्रांत को अलग देश बनाने की मांग के मामले में विश्व के नेताओं से दखल देने की अपील की है. आधुनिक सिंधी राष्ट्रवाद के संस्थापक जीएम सैयद की 117वीं जयंती पर इस रैली का आयोजन हुआ था. पाकिस्तान बनने के समय से ही एक अस्थिर देश रहा है. बांग्लादेश का विभाजन इसका सबसे मुफीद उदाहरण है. आइए एक नजर डालते हैं, सिंध प्रांत में हुई हालिया रैली और पाकिस्तान में आंतरिक तौर पर बढ़ते असंतोष पर.
Placards of PM Narendra Modi and other world leaders raised at pro-freedom rally in Sann town of Sindh in Pakistan, on 17th January. Participants of the rally raised pro-freedom slogans and placards, seeking the intervention of world leaders in people's demand for Sindhudesh. pic.twitter.com/0FFmS7hiHe
— ANI (@ANI) January 18, 2021
भारत से अलग होकर बने पाकिस्तान के लिए समस्याएं कभी खत्म होने का नाम नहीं लेती हैं. दुनियाभर के कर्ज में डूबे पाकिस्तान में अगर आपको आने वाले कुछ वर्षों में गृह युद्ध की स्थिति बनती दिखाई दे, तो चौंकने वाली बात नहीं होगी. उर्दू को पाकिस्तान की सरकारी भाषा बनाने की घोषणा के साथ ही पाकिस्तान में अलगाववाद के बीज पनपने लगे थे. लोगों पर जबरदस्ती उर्दू भाषा थोपी गई. बांग्लाभाषी बहुल पूर्वी पाकिस्तान इसी फैसले के चलते अब अलग देश बनकर बांग्लादेश के रूप में आपके सामने है. वहीं, पाकिस्तान में अगस्त, 1947 के बाद से अबतक बनीं सभी सरकारों ने मानवाधिकारों को एक अलग खूंटी पर टांग दिया. बात पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की हो या बलूचिस्तान या फिर सिंधु प्रांत की. पाकिस्तानी सरकारों ने इन सभी जगहों से उठने वाली आवाजों का वर्षों से दमन किया है. पाकिस्तानी फौज के बलूचिस्तान में किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने वाली एक्टिविस्ट करीमा बलोच की कनाडा में हुई हत्या इसका एक ताजा उदाहरण है. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ऐसे ही कई लोगों को पहले भी खामोश कर चुकी है. पाकिस्तान में अपने अधिकारों की मांग को लेकर उठने वाली हर आवाज करीमा बलोच की तरह ही दबा दी जाती है.
पाकिस्तान में अलग सिंधुदेश की मांग 1967 से ही चलती आ रही है. 1967 में जीएम सैयद और पीर अली मोहम्मद रशदी के नेतृत्व में सिंधियों के लिए एक अलग सिंधुदेश की मांग शुरू हुई थी. इसमें सिंधी हिंदू और सिंधी मुस्लिम दोनों शामिल हुए. फिलहाल पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सबसे ज्यादा हिंदू आबादी रहती है. पाकिस्तान की कुल हिंदू आबादी का करीब 95 फीसदी सिंध प्रांत में हैं. पाकिस्तान के उत्पीड़न से त्रस्त इन लोगों ने अब वैश्विक नेताओं से गुहार लगाई है. वहीं, प्रदर्शनकारियों के हाथ में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर होने के पीछे एक बड़ी वजह है. कश्मीर की स्थिति को लेकर हुई एक सर्वदलीय बैठक में मोदी ने कहा था कि समय आ गया है, अब पाकिस्तान को विश्व के सामने बलूचिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लोगों पर हो रहे अत्याचारों का जवाब देना होगा. मोदी के इस बयान के चलते बलोच आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में काफी तवज्जो मिली थी. इसके बाद 2016 में भारत के 70वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से बलूचिस्तान, गिलगित और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों का आभार व्यक्त किया था. दरअसल, पीएम मोदी के बयान के बाद पाकिस्तान में जुल्मो-सिम झेल रहे इन हिस्सों के लोगों ने उनकी आवाज उठाने के लिए मोदी को सोशल मीडिया पर धन्यवाद दिया था.
बीते रविवार (17 जनवरी) को पाकिस्तान के सिंध प्रांत के जमसोरो जिले में जीएम सैयद के गृहनगर सान कस्बे में हुई रैली में लोगों ने आजादी के लिए नारे लगाए गए. प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान दावा सीधे तौर पर कहा- सिंध, सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक धर्म का घर है. ब्रिटिश साम्राज्य ने इस पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था और 1947 में पाकिस्तान के इस्लामी हाथों में दे दिया था. अलग सिंधुदेश की मांग को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर उठाया जा रहा है. इन लोगों का मानना है कि पाकिस्तान ने सिंध प्रांत पर जबरन कब्जा कर रखा है. साथ ही पाकिस्तान संसाधनों का दोहन और मानवाधिकारों के जमकर उल्लंघन करता है. जिये सिंध मुत्ताहिदा महाज के चेयरमैन मोहम्मद बरफात ने कहा कि हमारी संस्कृति और इतिहास पर हुए दशकों से जारी हमलों के बावजूद हमने अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को बचाकर रखा है. हम आज भी बहुलतावादी, सहिष्णु और सौहार्दपूर्ण समाज हैं, जो मानव सभ्यता को बचाकर रखे हुए है. बरफात का कहना है कि सिंधी समाज के कई लोगों को पंजाबी वर्चस्व वाली पाकिस्तानी फौज ने जेलों में डाल दिया.
पाकिस्तान के निर्माण के बाद से ही बलूचिस्तान, गिलगित और पाक अधिकृत कश्मीर में असंतोष बढ़ने लगा था. पाकिस्तानी हुकूमत पर पंजाबी वर्ग के वर्चस्व से लेकर मानवाधिकारों के उल्लंघन तक पाक के नापाक इरादों की एक लंबी दास्तान है. इन सबके बीच अब चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के चलते भी पाक में भारी अंसतोष फैल रहा है. सीपीईसी निर्माण के कारण पाकिस्तानी फौज का स्थानीय लोगों पर अत्याचार काफी बढ़ गया है. पाकिस्तान के इन हिस्सों की आवाम अब खुलकर अपना विरोध दर्शा रही है. बीते कुछ वर्षों में भारत की वर्तमान मोदी सरकार पर इन लोगों का भरोसा बढ़ा है. ऐसे में अलगाववादी रैली में प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर नजर आने से पाकिस्तान की पेशानी पर फिर से बल पड़ सकते हैं.
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