अपने दिवंगत कार्यकर्ता को कांधा देकर Smriti Irani ने कई रिश्ते अमर कर दिये
Smriti Irani अपने कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह की अर्थी उठा रही थीं. उन्होंने साबित कर दिया कि नेता और कार्यकर्ता के बीच का रिश्ता सिर्फ चुनावों तक ही सीमित नहीं रहता. आम जनता को जब भी जरूरत होती है नेता को वहां रहना चाहिए.
-
Total Shares
Amethi Lok Sabha 2019 Results के बाद Smriti Irani ने ये साबित कर दिया है कि वो ऐसी सांसद हैं जैसा शायद हर लोकसभा क्षेत्र में होना चाहिए. उत्तर प्रदेश के अमेठी में आज एक ऐसी घटना हुई जिसने सभी को चौंका दिया. अमेठी के एक भाजपा कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई. सुरेंद्र सिंह (Surendra Singh Amethi) को उनके घर के आगे उन्हें गोली मार दी गई, इलाज के लिए उन्हें लखनऊ लाया गया और वहां उनकी मृत्यु हो गई. सुरेंद्र सिंह स्मृति ईरानी के करीबी थे. यहां तक की 24 घंटे कैंपेन में भी सुरेंद्र सिंह साथ ही रहे थे. जीत के बाद उन्होंने विजय यात्रा भी निकाली थी. उनके परिवार वालों का कहना है कि ये हत्या Congress की साजिश है और पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद आपसी रंजिश की बात कही है.
अमेठी के गौरीगंज के बरौलिया गांव में पूर्व प्रधान सुरेंद्र सिंह की हत्या शनिवार रात की गई. किसी भी MLA के लिए जिस तरह से पार्टी के कार्यकर्ता काम करते हैं उसी तरह सुरेंद्र सिंह ने भी स्मृति ईरानी के लिए अपनी जी जान लगा दी, लेकिन अन्य सांसद और स्मृति ईरानी में ये फर्क है कि ईरानी ने VIP कल्चर को तोड़ दिया है. स्मृति ईरानी जो कल प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुन रही थीं और दिल्ली में थी इस घटना की जानकारी मिलते ही सीधे अमेठी पहुंच गईं. वो सिर्फ अपनी पार्टी के कार्यकर्ता की शवयात्रा में शामिल ही नहीं हुईं उनकी अर्थी को कंधा भी दिया.
#WATCH BJP MP from Amethi, Smriti Irani lends a shoulder to mortal remains of Surendra Singh, ex-village head of Barauli, Amethi, who was shot dead last night. pic.twitter.com/jQWV9s2ZwY
— ANI (@ANI) May 26, 2019
स्मृति ईरानी का सुरेंद्र सिंह की अर्थी को कंधा देते हुए ये वीडियो असल में एक बड़े सवाल का जवाब है. भावुक स्मृति अपने कार्यकर्ता की अर्थी को कंधा दे रही हैं. ये दरअसल, सांसद और कार्यकर्ता के बीच के रिश्ते को बताता है.
सुरेंद्र सिंह ने बरौलिया गांव के प्रधान की पोस्ट से सिर्फ इसलिए इस्तीफा दे दिया था क्योंकि उन्हें पार्टी के लिए प्रचार करना था और ऐसे में वो गांव की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे पाते. स्मृति ईरानी के कैंपेन में उन्होंने पूरा जोर लगा दिया. इतना काम किया कि स्मृति ईरानी अपने भाषणों में भी सुरेंद्र सिंह का नाम लेने लगी थीं. सुरेंद्र सिंह के बेटे ने कहा है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उनके पिता का विजय यात्रा निकालना पसंद नहीं आया होगा. Smriti Irani के Rahul Gandhi को हराने के बाद सुरेंद्र सिंह ने विजय यात्रा निकाली थी.
स्मृति ईरानी का ये करना अमेठी के लोगों को एक संदेश दे गया कि उनका सांसद उनके साथ है.
अमेठी की सांसद अमेठी के लिए मौजूद, ये साबित कर दिया स्मृति ने...
राहुल गांधी 2004 से अमेठी के सांसद रहे हैं, लेकिन वो कभी-कभी ही अमेठी पहुंचते थे. पर स्मृति ईरानी हार के बाद भी अमेठी में डटी रहीं. अपने काम को करती रहीं. यही कारण था कि स्मृति को अमेठी में जीत मिली. अक्सर देखा गया है कि सांसद जीतने के बाद उस जगह से चले जाते हैं, लेकिन स्मृति ईरानी जीत के बाद भी अपने कार्यकर्ता के लिए तुरंत अमेठी पहुंची.
पार्टी से अलग एक नेता और कार्यकर्ता के बीच का रिश्ता स्मृति के इस काम से समझा जा सकता है. कल ही PM Narendra Modi ने अपने भाषण में VIP कल्चर और सांसदों की बात की थी कि सांसद एक बार जीतने के बाद खुद को अलग समझने लगते हैं.
The hallmark of a New India is the absence of VIP culture. We have set this trend and are determined to pursue it in the times to come. pic.twitter.com/dGRBzCbeqV
— Narendra Modi (@narendramodi) May 25, 2019
स्मृति ईरानी ने न सिर्फ रूढ़ीवादी परंपराओं को तोड़ा है बल्कि ईरानी ने उस मानसिकता को भी तोड़ा है जो कहती है कि नेता और कार्यकर्ता अलग होते हैं. नेता वीआईपी होते हैं. स्मृति ईरानी ने साबित कर दिया कि वो कैसे आगे चल सकती हैं.
इसे बदलाव ही कहा जाएगा कि एक सांसद एक दिन पहले दिल्ली में था और किसी कार्यकर्ता के परिवार के लिए वो तुरंत अपने संसद क्षेत्र पहुंच गया. उनके यहां कुछ होता है तो वो वीआईपी कल्चर नहीं बल्कि लोगों के सांसद के तौर पर वहां मौजूद रहेंगी. इससे पहले भी ये देखा गया है कि ईरानी अमेठी के लिए काफी कुछ कर चुकी हैं. कहीं वो खेतों में लगी आग बुझाती हुई दिखती थीं, कहीं वो लोगों के दुख सुनती थीं, सांसद न होते हुए भी वो अमेठी से जुड़ी रहीं और यही बात थी जिसके चलते वो राहुल गांधी को हरा पाईं.
स्मृति ईरानी की अर्थी को कंधा देती हुई तस्वीर ही वो महिला सशक्तिकरण है जिसके लिए राहुल गांधी सालों से पैरवी करते आए हैं. स्मृति की ये तस्वीर उस VIP कल्चर का अंत है जिसके लिए जनता तरसती है. अन्य सांसद अपने क्षेत्रों में 5 साल में कभी-कभी दिखते हैं, लेकिन स्मृति ईरानी केंद्रीय मंत्री होने के बाद भी उस जगह को नहीं भूलतीं जहां के लोगों से वो वोट मांग चुकी हैं.
ये भी पढ़ें-
परिणामों से स्तब्ध दल-दल और समीक्षक !!!
यूपी में जमानत जब्त कराने वाले कांग्रेस उम्मीदवारों के आंकड़े से राहुल-प्रियंका एक्सपोज
आपकी राय