खट्टर सरकार से कुछ सवाल
बाबा राम रहीम के सजा का ऐलान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सोमवार को होना है. माना जा रहा है कि उस दिन भी समर्थक इसी तरह की हिंसक वारदातों को अंजाम देने कि कोशिश करेंगे. देखना ये है कि उस दिन की तैयारी के लिए सरकार क्या करती है.
-
Total Shares
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को पंचकूला की सीबीआई अदालत द्वारा बलात्कार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद पंजाब और हरियाणा के कई इलाकों में हिंसा भड़क गई. सिर्फ पंचकूला में ही 28 लोगों को जान गंवानी पड़ी है, वहीं सिरसा में तीन लोग मारे गए हैं. हिंसा की इन घटनाओं के बाद हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार पर नाकामी के दाग लग रहे हैं और उनसे कुछ सवाल हैं जिनका जवाब तो बनता ही है...
उनसे पहला सवाल तो यही है की उनकी सरकार ने इतनी भारी संख्या में डेरा समर्थकों को पंचकुला में जुटने कैसे दिया? जबकि इस तरह की घटना का आदेश पहले से था क्योंकि मामले में न्यायालय ने पिछले वृहस्पतिवार को ही अपना फैसला सुरक्षित रखा था. ऐसे में सरकार के पास पुख्ता इंतजाम का पुरा समय था. सवाल यही उठ रहे हैं की धारा 144 का सही तौर पर इस्तेमाल नहीं किया गया.
30 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है?
डेरा सच्चा सौदा ने खुलकर चुनावों में बीजेपी का समर्थन किया था और सरकार के कुछ मंत्री डेरा के संपर्क में रहे हैं. ऐसे में उन्हें डेरा से मामले की गंभीरता को लेकर बातचीत करनी चाहिए थी या फिर इस तरह की जानकारी को सरकार तक पहुंचाना चाहिए था. अगर सरकार में शामिल लोगों ने इस घटना को समय पर भांप लिया होता या कहें की समझदारी दिखाई होती तो शायद इतना भरी नुकसान नहीं उठाना पड़ता.
अब अगला सवाल उठता है की इस मामले की जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा? क्योंकि मामला इतना बड़ा है की सरकार को जवाब देना भारी पड़ रहा है. हां इतना जरूर है की फ़िलहाल पंचकुला के डीसीपी अशोक कुमार को निलंबित कर दिया गया है. लेकिन क्या इससे सवाल उठने बंद हो जायेंगे? तो ऐसा नहीं है.
ऐसा नहीं है की हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के सामने पहली बार ऐसी स्थिति आयी हो. क्योंकि इससे पहले भी हमने देखा है कि कैसे वो कानून-व्यवस्था के मामलों में कुछ मौकों पर फेल हुए थे. जाट आरक्षण की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन के साथ-साथ स्वयंभू रामपाल की गिरफ़्तारी में भी हरियाणा सरकार पूरी तरह से तैयार और सचेत नहीं दिखी थी. ऐसे में हम कह सकते हैं कि खट्टर सरकार पहले की नाकामियों से सीखने में विफल रही है.
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख के खिलाफ सजा का ऐलान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सोमवार को होना है. माना जा रहा है कि उस दिन भी समर्थक इसी तरह की हिंसक वारदातों को अंजाम देने कि कोशिश करेंगे ऐसे में देखना ये है कि उस दिन की तैयारी के लिए सरकार क्या करती है. क्योंकि अभी तक तो इस मामले में सरकार का हर कदम नाकाफी साबित हुआ है.
ये भी पढ़ें-
राम रहीम को सजा दिलाने वाले 'गुमनाम खत' में लिखा है बाबा का पूरा कारनामा
आपकी राय