परिवारवाद पर बिछाई मोदी की बिसात पर मात खाने खुद ही क्यों चली आई कांग्रेस?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आजादी के अमृत महोत्सव पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में परिवारवाद (Dynasty Politics) के मुद्दे को उठाते हुए परोक्ष रूप से फिर कांग्रेस (Congress) पर निशाना साधा. और, इसके बाद आया कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) का बयान परिवारवाद के आरोपों से कांग्रेस के असहज होने की पुष्टि कर देता है.
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'आ बैल मुझे मार.' ये मशहूर कहावत भारत के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस के ऊपर सबसे सटीक बैठती है. आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर लाल किले की प्राचीर से जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण समाप्त हुआ. तो, कुछ ही देर बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से भी स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए एक पत्र जारी कर दिया गया. लेकिन, इसी पत्र में सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर पलटवार भी किया. सोनिया गांधी ने कहा कि 'आज की आत्ममुग्ध सरकार हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के महान बलिदानों और देश की गौरवशाली उपलब्धियों को तुच्छ साबित करने पर तुली हुई है, जिसे कदापि स्वीकार नहीं किया जा सकता है. राजनैतिक लाभ के लिए ऐतिहासिक तथ्यों पर कोई भी गलतबयानी तथा गांधी-नेहरू-पटेल-आज़ाद जी जैसे महान राष्ट्रीय नेताओं को असत्यता के आधार पर कठघरे में खड़े करने के हर प्रयास का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पुरजोर विरोध करेगी.'
स्वतंत्रता दिवस पर कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी का संदेश।#IndiaAt75 pic.twitter.com/PduEihxQGv
— Congress (@INCIndia) August 15, 2022
एक ही गलती को बार-बार दोहरा रही है कांग्रेस
दरअसल, सोनिया गांधी की ये टिप्पणी उस समय आई थी. जब कुछ ही समय पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में परिवारवाद का जिक्र करते हुए भाई-भतीजावाद की मानसिकता से मुक्ति दिलाने की मांग की थी. आसान शब्दों में कहा जाए, तो पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा पर पलटवार करने के चक्कर में कांग्रेस ने एक बार फिर से बड़ी रणनीतिक गलती कर दी है. क्योंकि, जैसी ही कांग्रेस ये कहती हैं कि भाजपा ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को गलतबयानी के जरिये तुच्छ साबित करने की कोशिश कर रही है. ठीक उसी समय कांग्रेस परिवारवाद को लेकर पीएम मोदी और भाजपा द्वारा बिछाए गए जाल में फंस जाती है. क्योंकि, गांधी और नेहरू पर बात करते हुए कांग्रेस अपने आप ही परिवारवाद के आरोपों को परोक्ष रूप से स्वीकार कर लेती है.
परिवारवाद के आरोपों पर गांधी परिवार बोले या शांत रहे, दोनों ही स्थिति में नुकसान उसी का है.
कांग्रेस की असल समस्या है गांधी परिवार
वैसे, कांग्रेस के सामने असल समस्या ये है कि वह परिवारवाद पर बोले, तो भी उसके लिए समस्या है. और, न बोले, तो भी पार्टी कठघरे में खड़ी हो जाती है. तिरंगा यात्रा निकाल रही कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा से जब परिवारवाद के आरोपों को लेकर सवाल पूछा गया. तो, प्रियंका ने कहा कि 'स्वतंत्रता दिवस पर देश की आजादी की बात होनी चाहिए. ये राजनीति करने का समय नही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करना चाहें, तो करें. पूरे देश को एकजुट होकर स्वतंत्रता दिवस मनाया जाना चाहिए.' प्रियंका गांधी के बयान से ही स्पष्ट हो जाता है कि परिवारवाद के आरोपों से कांग्रेस कहीं न कहीं असहज हो जाती है. क्योंकि, देश पर सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाली कांग्रेस पर गांधी-नेहरू परिवार का ही आधिपत्य रहा है. भले ही गांधी-नेहरू परिवार पर्दे के पीछे से सभी चीजों को नियंत्रित कर रहा हो.
परिवारवाद के आरोपों के साथ राहुल का पीएम बनना नामुमकिन
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से भी जब पीएम मोदी की परिवारवाद पर की गई टिप्पणी को लेकर सवाल पूछा गया. तो, राहुल गांधी ने इस सीधे 'नो कमेंट्स' कहकर पल्ला झाड़ लिया. दरअसल, कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व किसी भी हाल में पार्टी के ऊपर से गांधी परिवार के प्रभाव को खत्म नहीं होने देना चाहता है. और, ये भी चाहता है कि पार्टी पर गांधी परिवार के कब्जे को लेकर कोई सवाल भी नहीं उठाया जाए. क्योंकि, अगर ऐसा होता है, तो सोनिया गांधी का अपने बेटे राहुल गांधी को पीएम पद की कुर्सी पर बैठा देखने का सपना टूट जाएगा. और, शायद ही कांग्रेस आलाकमान ऐसा होने देंगे. वैसे, इसके लिए काफी हद तक कांग्रेसियों में गांधी परिवार के लिए प्रति अटूट समर्पण भी जिम्मेदार है. जो कांग्रेस के लगातार सिकुड़ने के बावजूद मानने को तैयार नहीं है कि पार्टी का सबसे ज्यादा नुकसान परिवारवाद ने ही किया है.
#WATCH | Congress MP Rahul Gandhi says, "I won't make a comment on these things. Happy Independence to everyone," when asked about Prime Minister Narendra Modi's 'Two big challenges we face today - corruption & Parivaarvaad or nepotism' remark, today. pic.twitter.com/XAw1QC47j0
— ANI (@ANI) August 15, 2022
वहीं, जब कांग्रेस में आंतरिक तौर पर गांधी परिवार के खिलाफ जी-23 जैसा असंतुष्ट गुट आवाज उठाता है. तो, इस गुट के कपिल सिब्बल जैसे नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता खोजना पड़ जाता है. जबकि, कोरोनाकाल के दौरान लंबे समय तक कांग्रेस अध्यक्ष का पद खाली रहा था. करीब दो साल तक कांग्रेस अपने लिए पार्टी अध्यक्ष नहीं चुन पाई थी. आखिर में कई बैठकों के बाद भी कांग्रेसियों को पार्टी अध्यक्ष के पद के लिए सोनिया गांधी से बेहतर कोई विकल्प नहीं दिखा. आसान शब्दों में कहा जाए, तो परिवारवाद पर पीएम नरेंद्र मोदी की बिछाई बिसात पर कांग्रेस खुद-ब-खुद ही मात खाने चली आती है. और, इसके लिए पार्टी को कुछ खास करने की जरूरत भी नहीं पड़ती है.
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