हाथरस गैंगरेप केस के बहाने ममता-सोनिया-उद्धव ने बना लिया गठबंधन
हाथरस गैंगरेप केस की बदौलत पूरा विपक्ष बीजेपी के खिलाफ एकजुट हो गया है. बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) तो लड़ाई लड़ ही रही हैं, उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की शिवसेना का भी पूरा सपोर्ट मिल रहा है.
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हाथरस के मुद्दे पर सारे विपक्षी दल एकजुट देखे जा सकते हैं. कांग्रेस नेतृत्व को तो जैसे मनमांगी मुराद ही मिल गयी है. बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस के लिए भला इससे बेहतरीन मौका क्या होगा कि उसे मायावती का विरोध भी नहीं झेलना पड़ रहा है - और अरविंद केजरीवाल भी खुद चल कर विरोध प्रदर्शन में साथ दे रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को घेरने के मकसद से जिस चीज के लिए कांग्रेस बुरी तरह तरस रही थी, उसी पार्टी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बदौलत आसानी से ये अवसर मिल गया है. मुद्दा एक ही है और साथ लड़ कर भी सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) दोनों को ही अपना अपना अलग फायदा नजर आ रहा है - और उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की शिवसेना भी मजबूती के साथ खड़ी दिखायी दे रही है.
यूपी के लिए प्रियंका गांधी ने संभाली ड्राइविंग सीट
बीजेपी और केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ विपक्ष को बड़े दिनों से एक बड़े मुद्दे की दरकार थी. ऐसे मुद्दे की तलाश थी जिसे न तो राष्ट्रवाद और न ही हिंदुत्व जैसे सियासी हथियारों से न्यूट्रलाइज किया जा सके. और मुद्दा ऐसा हो कि विपक्षी खेमे का कोई भी राजनीतिक दल नजरअंदाज करने, खामोश रहने या दूरी बनाने की हिम्मत न जुटा सके.
हाथरस केस को जिस तरीके से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके अफसरों की टीम ने मिस-हैंडल किया है - विपक्ष को न तो कोई रणनीति तैयार करनी पड़ी है और न ही बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की अपील ही करनी पड़ी है.
विपक्ष तो किसानों के मुद्दे पर एकजुट होने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हाथरस गैंग रेप और दलित परिवार के साथ पुलिस-प्रशासन के व्यवहार ने मुफ्त में थाली में सजा कर परोस दिया है. हाथरस का मुद्दा ऐसा है कि कांग्रेस फ्रंटफुट से बीजेपी और योगी आदित्यनाथ सरकार पर अटैक कर रही है और सारे मतभेद भुलाकर सबको साथ देना पड़ रहा है.
एक बार हाथरस के रास्ते से बैरंग लौटा दिये जाने के बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने तय किया कि अब तो हर हाल में पीड़ित परिवार से मिलना है. राहुल गांधी ने ट्विटर पर घोषणा की और प्रियंका गांधी वाड्रा ने ड्राइविंग सीट संभाल ली. पीछे पीछे बसों सवार होकर कांग्रेस सांसद भी प्रतिनिधिमंडल बन गये.
दुनिया की कोई भी ताक़त मुझे हाथरस के इस दुखी परिवार से मिलकर उनका दर्द बांटने से नहीं रोक सकती।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 3, 2020
राहुल गांधी के हाथरस जाने के कार्यक्रम की घोषणा के बाद यूपी पुलिस ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को हाउस अरेस्ट कर लिया. बहुखंडी में अजय कुमार लल्लू के आवास पर पुलिस का पहरा बैठ गया - और उनके कहीं भी आने जाने पर रोक लगा दी गयी. यूपी पुलिस का कहना है कि ऐसा अजय कुमार लल्लू की सुरक्षा के मद्देनजर किया गया है. जरा सोचिये कहां अजय कुमार लल्लू और कहां मायावती और अखिलेश यादव. अखिलेश यादव तो फिलहाल विदेश गये हुए हैं, लेकिन मायावती से नहीं बल्कि बीजेपी की योगी सरकार को कांग्रेस अजय कुमार लल्लू से दिक्कत हो रही है - वो भी जब मामला एक दलित लड़की से गैंगरेप का है. यही वो स्थिति है जो उत्तर प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों की एक खास तस्वीर दिखा रही है.
राहुल गांधी हाथरस के रास्ते में, ड्राइविंग सीट पर प्रियंका गांधी वाड्रा हैं!
कांग्रेस को यूपी में उसी गैप को भरने की कोशिश में है जो मायावती और अखिलेश यादव की कमजोरी की बदौलत खाली हुई लगती है. पूरे देश में कांग्रेस के जितना भी बुरा हाल हो, लेकिन यूपी में उसकी किस्मत बेहतर देखी जा सकती है. अखिलेश यादव और मायावती बुरी तरह हार जाने के बाद लगभग निष्क्रिय से पड़े हुए हैं - और आखिरी पायदान पर होकर भी कांग्रेस हर मौके पर हाजिरी लगा रही है.
बीजेपी भी कांग्रेस को लेकर ही ठीक से रिएक्ट करती है, बाकियों को तो लगता है इस लायक भी नहीं समझती. दरअसल, बीजेपी को समाजवादी पार्टी और बीएसपी को लेकर लोगों को ये मैसेज देना है कि वे लड़ाई में हैं ही नहीं और कांग्रेस को घेर कर ये कोशिश होती है लोगों का ध्यान उस पार्टी की तरफ चला जाये जिसका न तो संगठन बचा है और न जनाधार. कांग्रेस के समजावादी पार्टी और बीएसपी की तरह कोई जातीय जनाधार भी नहीं है. बीजेपी इस वजह से भी कांग्रेस के खिलाफ खुल कर खेलती है - लेकिन कांग्रेस भी तो इसी स्थिति का पूरा फायदा उठाने में जुटी हुई है.
हाथरस के मुद्दे पर सोनिया गांधी ने भी बयान जारी किया है और प्रियंका गांधी के साथ साथ राहुल गांधी भी खासे एक्टिव हैं. प्रियंका गांधी ने देखा जाये तो योगी सरकार के खिलाफ पिछले एक साल में कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं दिया है. सोनभद्र नरसंहार में तो रात भर धरने पर बैठी रहीं और जब तक योगी सरकार के अफसरों ने पीड़ित परिवार से मुलाकात नहीं करायी लौटी भी नहीं. CAA विरोध प्रदर्शन के दौरान भी प्रियंका गांधी पुलिस एक्शन के शिकार लोगों के घर घर गयीं और प्रवासी मजदूरों के लिए यूपी बॉर्डर पर बसें भेज कर भी योगी आदित्यनाथ के लिए कम दिक्कत नहीं बढ़ायी थी.
हाथरस के बहाने कांग्रेस को अमेठी में राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी के खिलाफ भी मौका मिल गया है. दरअसल, 2012 के निर्भया गैंगरेप की घटना के बाद स्मृति ईरानी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चूड़ियां भेजी थी - अब कांग्रेस को मौका मिल गया है.
श्रीमती स्मृति ईरानी जी,
सिर्फ़ इतना बताइये !
आदित्यनाथ को चूड़ियाँ भेंट करने कब जाएँगी?#Hathras #HathrasHorrorShocksIndia
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 3, 2020
ममता को मिला बीजेपी से दो-दो हाथ का मौका
प्रियंका गांधी को तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को खोया हुआ सम्मान वापस दिलाना समझ में भी आता है, लेकिन पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल हाथरस भेजने का क्या मतलब हो सकता है? वैसे भी यूपी से पहले ही विधानसभा चुनाव पश्चिम बंगाल में होना है. आपको याद होगा जब प्रियंका गांधी वाड्रा सोनभद्र नरसंहार के पीड़ितों से मिलने गयी थीं, तब भी ममता बनर्जी ने डेरेक ओर ब्रायन के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल भेजा था. तब यूपी पुलिस ने टीएमसी प्रतिनिधिमंडल को एयरपोर्ट से बाहर निकलने ही नहीं दिया था - और जब प्रियंका गांधी लौटीं तो सभी से मुलाकात भी की थीं.
टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन के साथ हाथरस के रास्ते में एक बार फिर यूपी पुलिस वैसे ही पेश आयी. टीएमसी सांसदों प्रतिमा मंडल और काकोली दस्तिदार को लेकर हाथरस पहुंच डेरेक ओ ब्रायन को भी पुलिस ने पीड़ित परिवार के घर से कुछ दूर पहले ही रोक लिया था. पुलिस के साथ धक्कामुक्की में डेरेक ओ ब्रायन भी राहुल गांधी की तरह जमीन पर गिर गये थे. वैसे टीएमसी की महिला सांसद प्रतिमा मंडल ने यूपी पुलिस के एक अफसर के खिलाफ दुर्व्यवहार करने को लेकर पुलिस से शिकायत की है.
टीएमसी प्रतिनिधिमंडल के साथ हुए दुर्व्यवहार के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सड़क पर उतर रही हैं. हाथरस की घटना ममता बनर्जी ने सीता की अग्नि परीक्षा से की है. ममता बनर्जी की ये प्रतिक्रिया आधी रात को परिवार वालों को भी दूर रख कर शवों के जबरन अंतिम संस्कार को लेकर आयी थी. CAA के खिलाफ भी ममता बनर्जी को ऐसे सड़क पर मार्च करते हुए देखा गया था.
बीजेपी ममता बनर्जी और कांग्रेस नेताओं को एक ही तरीके से हैंडल कर रही है. कांग्रेस नेताओं के हाथरस जाने को लेकर बीजेपी का कहना था कि पहले उनको राजस्थान जाना चाहिये. राजस्थान के बारां से दो नाबालिग बच्चियों के साथ रेप की खबर आयी थी, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बताया कि वे अपनी मर्जी से भागी थीं और पुलिस का कहना रहा कि उनके साथ बलात्कार नहीं हुआ है.
पश्चिम बंगाल में भी बीजेपी लोहे से ही लोहे को काटने की तरकीब निकाल रही है. बीजेपी ने पश्चिम मेदिनीपुर के देबरा में एक महिला की हत्या के मामले में बलात्कार की आशंका जतायी थी. बाद में तृणमूल कांग्रेस ने पुलिस के बयान के साथ बीजेपी के दावे को खारिज करते हुए पार्टी पर फेक न्यूज फैलाने का आरोप लगाया है.
How dare @BJP4Bengal spread insensitive fake news in Debra to divert attention from @narendramodi ji's failure in protecting Dalit women in UP! @WBPolice has clarified she died of drowning/poisoning. You can't fool people of Bengal anymore with your disgusting propaganda. https://t.co/kPbGizSJm3 pic.twitter.com/qWd0NeCHUK
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) October 3, 2020
2019 के आम चुनाव में बीजेपी से बड़ा झटका खाने के बाद से ही ममता बनर्जी वो हर उपाय आजमाने की कोशिश कर रही हैं जिससे बीजेपी को कहीं भी काउंटर किया जा सके. ममता बनर्जी चाहतीं तो मायवती की तरह ट्विटर पर हाथरस की घटना के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ बयान जारी कर सकती थीं. ज्यादा से ज्यादा मायावती की तरह योगी आदित्यनाथ की जगह किसी और को यूपी का मुख्यमंत्री बनाने की सलाह देती और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर सकती थीं, लेकिन ममता बनर्जी ने अपने सांसदों का प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया और अब सड़क पर भी उतर चुकी हैं. ये तो ऐसा लगता है जो काम मायावती को करना चाहिये था, वो सब ममता बनर्जी कर रही हैं - सही भी है, हर कोई अपनी अपनी राजनीतिक जरूरत के हिसाब से ही तो कदम बढ़ाता है.
सोनिया, ममता और उद्धव ठाकरे मिल कर तो लड़ने लगे है
कुछ दिन पहले सोनिया गांधी ने गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों की एक मीटिंग बुलायी थी. मीटिंग में ममता बनर्जी भी थे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी शामिल थे. अचानक उद्धव ठाकरे ने सवाल उठाया कि विपक्ष को पहले तय कर लेना चाहिये कि डरना है या लड़ना है?
बैठक में ममता बनर्जी को उद्धव ठाकरे यही समझाने की कोशिश कर रहे थे कि 'दीदी हम साथ रहेंगे तो हर मुश्किल आसान हो सकती है. अलग थलग पड़े रहे और यूं ही बिखरे रहे तो डराया जाता रहेगा - और एक होकर लड़े तो डराने तक में कामयाब हो सकते हैं.
ये तो है ही कि ममता बनर्जी हों, उद्धव ठाकरे हों या फिर सोनिया गांधी - तीनों को ही मुश्किल वक्त में सभी के सपोर्ट और मदद की काफी जरूरत है. अगर बीते चुनावों की तरह यूं ही बिखरे रहे तो डरते डरते ही लड़ना होगा और ये मान लेना होगा कि हर डर के आगे जीत पक्की हो जरूरी नहीं है. हालांकि, इस मीटिंग के बाद ही कांग्रेस ने ममता बनर्जी के कट्टर विरोधी अधीर रंजन चौधरी को पश्चिम बंगाल कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया है. अधीर रंजन चौधरी हमेशा ही ममता बनर्जी के साथ कांग्रेस के चुनावी गठबंधन के खिलाफ रहे हैं.
शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने राहुल गांधी के साथ यूपी पुलिस के पेश आने के तरीके को लेकर ऐतराज जताया है. न्यूज एजेंसी ANI से संजय राउत ने कहा, 'राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर के नेता है. हमारे कांग्रेस के साथ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन पुलिस ने उनके साथ जो व्यवहार किया है उसका कोई समर्थन नहीं कर सकता... उनका कॉलर पकड़ा गया और जमीन पर धक्का दे दिया. ये एक तरीके से देश के लोकतंत्र का गैंगरेप है.'
मालूम नहीं संजय राउत किस मतभेद का जिक्र कर रहे थे, महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ मिल कर शिवसेना और एनसीपी ने गठबंधन की सरकार बनायी है - और उद्धव ठाकरे उसी गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री हैं. बहरहाल, बयानबाजी की बात और है, लेकिन ये तो मानना ही पड़ेगा कि सोनिया गांधी की कांग्रेस के नेतृत्व में बीजेपी के खिलाफ हाथरस की लड़ाई लड़ी जा रही है. समर्थन में ममता बनर्जी सड़क पर मार्च कर रही हैं और दोनों को उद्धव ठाकरे की शिवसेना का पूरा समर्थन प्राप्त है.
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