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Updated: 08 सितम्बर, 2015 07:12 PM
कौशिक डेका
कौशिक डेका
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8 सितंबर को हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में अपने भाषण में सोनिया गांधी ने भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक पर मोदी सरकार पर बहुत ही तीखी प्रतिक्रिया दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रस्तावित संशोधनों से पीछे हटने के लिए मजबूर करने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की प्रशंसा तो की लेकिन अंत में इसका श्रेय अपने बेटे राहुल गांधी को दिया. सोनिया ने कहा, ''इसका श्रेय कांग्रेस पार्टी के हर कार्यकर्ता को जाता है, जिन्होंने राहुल के सक्रीय मार्गदर्शन में रहकर इस आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाया.'' और इस बात को स्पष्ट किया कि अब से कांग्रेस राहुल की राजनीतिक विचारधाराओं को केन्द्र में रखकर ही काम करेगी.

फिर उन्होंने अपने सहयोगियों से आदिवासी कल्याण, महिला एवं बाल कल्याण, श्रम एवं पर्यावरण कानून, सूचना का अधिकार(RTI) और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम(मनरेगा) जैसे अन्य मुद्ददों पर भी आंदोलन शुरू करने की अपील की. सक्रीय राजनीति में शामिल होने के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को इन विषयों पर व्याख्या करने में महारथ हासिल है. 

अब मां ने भी अपने बेटे की नई शब्दावली जैसे 'सूट बूट की सरकार' और 'बिना दम के प्राइम मिनिस्टर' को मैच करने की कोशिश की. उन्होंने कहा,' ये स्पष्ट हो चुका है कि अपने चुनाव कैंपेन के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा किए गए वायदे हवाबाजी से ज्यादा कुछ नहीं थे.' 2007 में 'मौत के सौदागर' के बाद ये मोदी पर शायद उनका दूसरा सबसे घतक वार था. 

पिछले पांच महीनों में राहुल के बयानों में से एक और लाइन सोनिया ने उठाई वो थी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) द्वारा मोदी सरकार को नियंत्रित करने वाली बात.

मोदी सरकार की पाकिस्तान नीति पर की गई उनकी आलोचना, राहुल की उन बातों में भी शामिल थी जो उन्होंने पिछले माह सीमावर्ती क्षेत्रों के दौरे पर कही थीं. सोनिया गांधी ने प्राधानमंत्री मोदी के 'दम' को साफ तौर पर चुनौती देते हुए कहा,'' चुनावी प्रचार के दौरान आक्रामक तरीके से डॉ.मनमोहन सिंह और उनकी नीति का मज़ाक उड़ाने वाले प्रधानमंत्री अब सिर्फ कुछ यू-टर्न तक सीमित रह गए हैं.'  

लेकिन उनके भाषण की आखिरी दो बातों ने वास्तव में पार्टी के भविष्य के लिए माहौल तैयार किया है. बूथ और ब्लॉक स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने पर जोर देने में राहुल के नज़रिए की छाप साफ दिखाई देती है. फरवरी में, इंडिया टुडे ने रिपोर्ट दी थी कि पिछले साल अक्टूबर और नवंबर के बीच कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ अपने व्यापक विचार-विमर्श के बाद राहुल इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि पार्टी का पुनरुउद्धार उच्च स्तर पर बदलाव करने के बजाए, बूथ स्तर से होना चाहिए. वो सदस्यता के लिए नए नियम लागू करने के लिए पार्टी के संविधान में कुछ बदलाव चाहते थे. सोनिया द्वारा इस संदर्भ में पार्टी के संविधान में बदलाव किए जाने की घोषणा से साफ पता चलता है कि अब राहुल के शब्द ही पार्टी में अंतिम शब्द हैं.

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कौशिक डेका कौशिक डेका @deka.kaushik

लेखक इंडिया टुडे में सीनियर एसोसिएट एडिटर हैं.

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