पाकिस्तान में लब्बैक का नारा उठा और मासूम श्रीलंकाई आग के हवाले कर दिया गया!
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में आने वाले सियालकोट (Pakistan Sialkot) में इस्लामिक जिहादियों ने 'ईशनिंदा' (Blasphemy) के नाम पर एक श्रीलंकाई नागरिक के हाथ-पैर तोड़ने के बाद जिंदा जला दिया. सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो में उन्मादी इस्लामिक जिहादियों की भीड़ नारे लगा रही है कि 'गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा-सर तन से जुदा'.
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पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में आने वाले सियालकोट में इस्लामिक जिहादियों ने 'ईशनिंदा' के नाम पर एक श्रीलंकाई नागरिक के हाथ-पैर तोड़ने के बाद जिंदा जला दिया. सियालकोट की एक फैक्ट्री के मजदूरों ने अपने मैनेजर (श्रीलंकाई नागरिक) को बीच सड़क पर जिंदा जला दिया. और देखते ही देखते इस वारदात का वीडियो वायरल हो गया. प्रियांथा कुमारा नाम के इस श्रीलंकाई नागरिक पर पैगंबर मोहम्मद की निंदा करने का आरोप लगाकर सरेआम उसकी हत्या कर दी गई. ये पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान में इस तरह से पैगंबर मोहम्मद की निंदा के नाम पर लोगों की हत्या कर दी गई हो. श्रीलंकाई नागरिक की हत्या के बाद पाकिस्तान के तमाम राजनेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता इस घटना की निंदा कर रहे हैं. लेकिन, यह हास्यास्पद ही नजर आता है. क्योंकि, जिस पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपितों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान हो, वहां ऐसी घटनाओं की निंदा करना कहां तक जायज नजर आता है.
Warning: Strong Visuals. A Sri Lankan factory manager in #Sialkot has been brutally murdered by a mob chanting slogans of Tehreek e Labbaik Pakistan. According to reports the mob made a false accusation blasphemy to justify the murder. #TLP was recently unbanned by the govt. pic.twitter.com/PZd1Eir8vS
— Hamza Azhar Salam (@HamzaAzhrSalam) December 3, 2021
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सियालकोट के वजीराबाद रोड की एक फैक्ट्री में एक्सपोर्ट मैनेजर के पद पर तैनात प्रियांथा कुमारा पर मजदूरों ने हमला कर बर्बरता से हत्या कर दी और फिर उसके शरीर को जला दिया. पुलिस की ओर कहा गया है कि श्रीलंकाई नागरिक की हत्या फैक्ट्री के अंदर ही की गई थी. यह डराने वाला है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस घटना के वीडियो में इस्लामिक नारे लगाते हुए सैकड़ों आदमी, युवा और बच्चे तक नजर आ रहे हैं. सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो में उन्मादी इस्लामिक जिहादियों की भीड़ नारे लगा रही है कि 'गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा-सर तन से जुदा'. इसी वीडियो में पाकिस्तान की कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के नारे भी लगाए जा रहे हैं. तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान वहीं संगठन है, जिस पर पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था. हाल ही में इसके प्रमुख साद हुसैन रिजवी को जेल से रिहा किया गया है.
A young man from #Sialkot accepts the responsibility of killing the Sri Lankan manager of a factory in Sialkot. Loud slogans of "Labbaik, Labbaik" can be witnessed after he finishes talking.The govt of Pakistan unbanned TLP in a secret deal recently. #Blasphemy @OfficialDPRPP pic.twitter.com/XPMyMFFoBA
— Hamza Azhar Salam (@HamzaAzhrSalam) December 3, 2021
अफगानिस्तान बनने की कगार पर पाकिस्तान
वैसे, यहां सबसे बड़ा सवाल ये है कि अपनी इस मजहबी कट्टरता के सहारे पाकिस्तान कहां पहुंच पाएगा? पाकिस्तान इस समय 50 खरब पाकिस्तानी रुपयों से ज्यादा के कर्ज में डूबा हुआ है. आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान के पास लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाने के लिए भी पैसा नहीं बचा है. इस्लामिक देशों का मुखिया बनने की ख्वाहिश इमरान खान के लिए सिरदर्द बनती जा रही है. पाकिस्तान में दर्जनों कट्टरपंथी मजहबी संगठन सिर उठाने लगे हैं. अफगानिस्तान में तालिबान का राज कायम होने के बाद तहरीक-ए-तालिबान ने भी पाकिस्तान में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो ईशनिंदा के नाम पर ऐसी घटनाओं के बाद पाकिस्तान के पास दोस्तों के नाम पर केवल इस्लामिक देश ही बचेंगे. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त चीन भी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के नौ चीनी मजदूरों की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद भड़का हुआ है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो वो दिन दूर नहीं है, जब पाकिस्तान अपने ही देश के अंदर के इस्लामिक संगठनों की वजह से आंतरिक विद्रोह का सामना करेगा.
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान और साद हुसैन रिजवी
सोशल मीडिया पर इस घटना के बाद का एक वीडियो और वायरल हो रहा है, जिसमें एक शख्स श्रीलंकाई नागरिक की हत्या की बात कुबूल कर रहा है. इस दौरान पीछे से तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के चर्चित नारे 'लब्बैक-लब्बैक-लब्बैक, या रसूलअल्लाह' साफ सुनाई दे रहे हैं. दरअसल, पाकिस्तान में तहरीक-ए-लब्बैक एक राजनीतिक पार्टी के साथ ही कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन भी है. इस संगठन का प्रमुख साद हुसैन रिजवी है, जो बीते महीने ही कोट लखपत जेल से रिहा किया गया है. दरअसल, फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाने के विवाद के बाद वहां के राष्ट्रपति इमैनुअल मेक्रों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताते हुए इस्लाम के कट्टरवादी स्वरूप की निंदा की थी. जिसके खिलाफ पाकिस्तान में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन तहरीक-ए-लब्बैक ने इमरान खान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. साद हुसैन रिजवी की मांग थी कि फ्रांस से सभी तरह के रिश्तों को खत्म कर उसके दूतावास को बंद किया जाए. लेकिन, इमरान खान ने साद हुसैन रिजवी को ही गिरफ्तार कर लिया. जिसके विरोध में पाकिस्तान के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शनों में कई पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया गया था.
पाकिस्तान में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन लगातार ताकतवर हो रहे हैं.
ईशनिंदा कानून के खिलाफ बोलना भी 'गुनाह'
2011 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर की उनके ही सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी मुमताज हुसैन कादरी ने कर दी थी. दरअसल, सलमान तासीर ने ईशनिंदा कानून की वजह से मौत की सजा पाने वाली आसिया बीबी की ओर से पक्ष रखते हुए कानून में संशोधन की मांग की थी. सलमान तासीर को मजहबी धर्मांधता की गिरफ्त में पड़े बॉडीगार्ड ने 27 गोलियां मारी थीं. वहीं, मुमताज हुसैन कादरी की रिहाई के लिए कट्टरपंथी मजहबी संगठनों ने कई हिंसक विरोध-प्रदर्शन किए थे. इसी साल पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यक मंत्री शाहबाज भट्टी की भी ईशनिंदा कानून के खिलाफ बोलने की वजह से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. 2019 में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने आसिया बीबी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. जिसके बाद पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. इन प्रदर्शनों में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान समेत कई इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन शामिल थे.
अल्पसंख्यकों के खिलाफ हथियार है 'ईशनिंदा कानून'
पाकिस्तान में कट्टरपंथियों के बीच ईशनिंदा कानून के आरोपितों को खुद ही सजा देने की प्रवृत्ति लंबे समय से रही है. पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के जरिये अल्पसंख्यक हिंदुओं, सिखों, ईसाईयों को निशाना बनाया जाता रहा है. पाकिस्तान के इन तमाम अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ ईशनिंदा कानून को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. अल्पसंख्यक हिंदुओं, सिखों, ईसाईयों पर जबरन ईशनिंदा का आरोप लगाकर उनको इस्लाम धर्म कबूलने पर मजबूर किया जाता रहा है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून धर्मांतरण का एक अचूक हथियार है. जिसके आगे लोग जान बचाने के लिए मजबूरन ही सही इस्लाम धर्म अपना लेते हैं. क्योंकि, पैगंबर मोहम्मद की निंदा करने का आरोप लगते ही आरोपी को मारने के लिए सैकड़ों इस्लामिक जिहादियों की फौज खड़ी हो जाती है. श्रीलंकाई नागरिक की हत्या मामले में तो पाकिस्तान के कई पत्रकार भी कह रहे हैं कि हत्या को न्यायोचित ठहराने के लिए ईशनिंदा का आरोप लगाया जा रहा है.
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