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Updated: 04 अक्टूबर, 2022 07:37 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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नवरात्रि के दौरान देशभर में उत्सव का माहौल रहता है. दुर्गा पंडाल और गरबा के कार्यक्रमों का आयोजन पुरजोर तरीके से किया जाता है. लेकिन, अब इन कार्यक्रमों को भी रामनवमी की शोभायात्रा जैसी नजर लग चुकी है. ये अलग बात है कि रामनवमी की शोभायात्रा पर बवाल 'मुस्लिम इलाकों' से गुजरने के दौरान होता है. लेकिन, दुर्गा पंडाल और गरबा जैसे कार्यक्रम, जो आमतौर पर किसी भी इलाके में आसानी से हो जाते थे. अब वो भी विवादित होने लगे हैं. ऐसा कहने की वजह गुजरात और उत्तर प्रदेश में हुई दो हालिया घटनाएं हैं. जहां मुस्लिम युवकों ने पथराव और मारपीट को अंजाम दिया. जिसके बाद कहना गलत नहीं होगा कि दुर्गा पंडाल और गरबा कार्यक्रमों पर पथराव करते मुस्लिम 'डरे' हुए ही तो हैं.

Stone Pelting on Durga Pandal and Garba Programs in Gujarat and Uttar Pradesh shows Muslims are really afraid in Indiaनवरात्रि के कार्यक्रमों पर मुस्लिम समुदाय के कट्टरपंथियों का हमला अब मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में भी होने लगा है.

पहले जान लीजिए कि मामला क्या है?

- गुजरात के खेड़ा में नवरात्रि समारोह के दौरान दो मुस्लिम युवक गरबा खेलने वालों को परेशान कर उन्हें कार्यक्रम बंद करने को कहने लगे. बहसबाजी इतनी बढ़ गई कि दोनों युवकों के साथ मुस्लिम समुदाय के एक गुट ने पत्थरबाजी कर दी. इस घटना में छह लोग घायल हो गए थे. पुलिस ने इस मामले में करीब 9 लोगों को गिरफ्तार किया है. और, बताया जा रहा है कि आरिफ और जहीर नाम के दो मुस्लिम युवाओं के साथ कुछ लोगों ने हंगामा किया था. बताया जा रहा है कि खेड़ा का उढेला गांव मिश्रित आबादी वाला इलाका है. और, मुस्लिम समुदाय के कट्टरपंथियों को नवरात्रि पर गरबा का आयोजन पसंद नहीं था. खैर, इसके बाद पुलिस ने इन आरोपियों की जमकर सेवा भी की. 

- उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में भी ऐसी ही एक घटना सामने आई. जहां एक दुर्गा पूजा पंडाल में भजन-कीर्तन का विरोध करने एक मुस्लिम युवक पहुंच गया. मुस्लिम युवक का कहना था कि उसकी मां की तबीयत खराब है, तो लाउडस्पीकर बंद करने को कहा. आयोजक ने मना किया, तो मुस्लिम युवक अपने परिवार के लोगों के साथ मारपीट पर उतर आया. ये इलाका भी मिश्रित आबादी वाला था. जिसे देखते हुए पुलिस ने आरोपित युवक समेत उसके परिवार के छह लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेज दिया.

मुस्लिम डरे हुए ही तो हैं

2014 में केंद्र की सत्ता पर भाजपा के काबिज होने के बाद से ही भारत में मुस्लिमों के बीच भय का माहौल पैदा होने का दावा किया जाता रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' जैसी बातें करें. लेकिन, भाजपा पर हिंदूवादी होने के आरोप लगाने वाले अभी भी हार मानने को तैयार नहीं हैं. इन तमाम लोगों द्वारा कहा जाता रहा है कि देश में मुस्लिमों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिशें हो रही हैं. कभी सीएए के नाम पर, तो कभी विदेशों में मुस्लिमों के साथ हो रहे सुलूक को लेकर भारत का मुसलमान आंदोलन और प्रदर्शन करता रहा है. जो आगे चलकर दंगों का रूप लेते रहे हैं.

बीते कुछ महीने के अंदर ही पैगंबर मोहम्मद पर कथित टिप्पणी को लेकर उपजे विवाद में केवल नूपुर शर्मा का समर्थन करने भर पर कई लोगों की हत्याएं कर दी जाती हैं. रामनवमी की शोभायात्राओं पर पत्थरबाजी और पेट्रोल बम चलाने का तो भारत में कई दशक पुराना इतिहास रहा है. क्योंकि, मुस्लिम इलाकों से इनके गुजरने पर इस्लामिक कानूनों के हिसाब से प्रतिबंध लगा हुआ है. और, जबरन हिंदू समुदाय के लोग इन इस्लामिक कानूनों को तोड़कर मुस्लिम इलाकों से यात्रा निकालने की कोशिश करते हैं. तो, बवाल होना लाजिमी है.

मेरा मानना है कि गरबा और नवरात्रि के कार्यक्रमों का आयोजन भी हिंदुओं को सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारा दिखाने के लिए बंद ही कर देना चाहिए. भले ही आयोजकों ने उस कार्यक्रम के लिए शासन-प्रशासन से स्वीकृति ही क्यों न ली हो. खासतौर से किसी मिश्रित आबादी वाले क्षेत्र में ऐसे कार्यक्रम नहीं होने चाहिए. क्योंकि, मुस्लिमों में अंदर तक घर कर चुके डर को खत्म करने का ठेका हिंदुओं ने ही ले रखा है. और, इसके लिए हिंदुओं को अपने त्योहारों और परंपराओं की मुस्कुराते हुए बलि दे देनी चाहिए.

केरल पुलिस पर भी चर्चा जरूरी है

वैसे, भारत में फिलहाल फिल्म 'आदिपुरुष' को लेकर चर्चा का माहौल गरमाया हुआ है. रावण बने सैफ अली खान से लेकर हनुमान तक के लुक पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. लेकिन, इन तमाम चीजों के बीच एक खबर सामने आई है कि एनआईए ने केरल पुलिस चीफ को एक रिपोर्ट सौंपी है. जिसके अनुसार, केरल पुलिस के 873 अधिकारी प्रतिबंधित हो चुकी पीएफआई के संपर्क में थे. इनमें एसआई से लेकर एसएचओ तक की रैंक के पुलिस अधिकारी शामिल हैं. इन तमाम पुलिस अधिकारियों पर पीएफआई पर छापेमारी की खबरें लीक करने का आरोप लगाया गया है. केरल पुलिस के इन अधिकारियों की ये कोशिश बताने के लिए काफी है कि मुस्लिमों में डर किस हद तक घर कर चुका है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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