स्वामी की वित्त मंत्री बनने की इच्छा तो अधूरी रह गई, लेकिन आगे क्या...?
इस बार सुब्रमण्यम स्वामी की जो स्थिति है, कुछ वैसी ही पिछली बार अरुण शौरी की थी. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि सुब्रमण्यम स्वामी की निष्ठा भाजपा में बनी रहती है या वह भी अरुण शौरी की तरह कोई बगावत करेंगे.
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तीन महीनों तक चली चुनावी प्रक्रिया अब खत्म हो चुकी है और नई सरकार बन चुकी है. इस नई सरकार में पीएम समेत कुल 58 मंत्रियों ने शपथ भी ले ली है. इनमें से 25 कैबिनेट मंत्री हैं, जबकि 9 स्वतंत्र प्रभार मंत्री और 24 राज्य मंत्री हैं. सभी मंत्रियों को जिम्मेदारी बांटने के बाद मोदी सरकार ने काम शुरू कर दिया है, लेकिन इतनी मंत्रियों की इतनी बड़ी लिस्ट में भी एक शख्स का नाम नहीं है, जिसे इस बार मोदी सरकार से काफी उम्मीदें थीं. ये हैं सुब्रमण्यम स्वामी. पिछली बार भी उन्होंने पीएम मोदी से काफी उम्मीदें लगा रखी थीं, लेकिन उन्हें कोई मंत्रालय नहीं दिया गया था.
अगर सुब्रमण्यम स्वामी के ट्विटर हैंडल पर जाएं तो ये साफ हो जाएगा कि वह मोदी सरकार में अपने लिए भी जगह चाहते थे. वहीं अगर इन ट्वीट्स को थोड़ा क्रमवार देखें तो आपको ये भी पता चल जाएगा कि वह कौन सा मंत्रालय पाना चाह रहे थे. खैर, अब तो सब कुछ फाइनल हो गया है और सुब्रमण्यम स्वामी इस बार भी खाली हाथ ही हैं. इस बार सुब्रमण्यम स्वामी की जो स्थिति है, कुछ वैसी ही पिछली बार अरुण शौरी की थी. वह भी हर जगह पॉलिसी की बातें करते थे और ये जताते थे कि वह वित्त मंत्री के पद के लिए सबसे बेहतर हैं. लेकिन बावजूद इसके उन्हें पद नहीं मिला. जिसके बाद वह बागी हो गए. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि सुब्रमण्यम स्वामी की निष्ठा भाजपा में बनी रहती है या वह भी अरुण शौरी की तरह कोई बगावत करेंगे. वैसे उनके ट्वीट में नाराजगी तो झलकने ही लगी है.
इस बार सुब्रमण्यम स्वामी की जो स्थिति है, कुछ वैसी ही पिछली बार अरुण शौरी की थी.
ट्वीट में किया धमकी जैसा इशारा
29 मई को सुबह-सुबह सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट किया, जिसमें लिखा था- 'मैं प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट पर रिसर्च कर रहा हूं. मैं ये जानना चाहता हूं कि क्या किसी मंत्री पर कार्रवाई की जा सकती है, अगर वह किसी प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के बदले दो बॉलीवुड हीरोइनों की मांग करे. क्या कोई देशभक्त (PT=Patriotic Tweeple यानी ट्विटर के देशभक्त लोग) कुछ सुझाव दे सकता है? जवाब से एक चल रहे करप्शन केस में मदद मिलेगी.' सुब्रमण्यम स्वामी ने ये ट्वीट किसके संदर्भ में कहा ये तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन इससे इतना तो साफ है कि किसी मंत्री का काला चिट्ठा उनके पास मौजूद है, जिसका उन्होंने इशारा किया.
I am researching the Prevention of Corruption Act to see if a Minister is culpable for prosecution if he asks for supply of two Bollywood actresses as bribe to clear a project. Has any PT have any suggestion? The answer has application on an ongoing corruption case
— Subramanian Swamy (@Swamy39) May 29, 2019
नाराज स्वामी बोले- 'चौकीदार से मजदूर बन जाता हूं'
29 मई को ही दोपहर तक सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट के जरिए कैबिनेट में जगह ना मिलने पर नाराजगी भी जता दी. उन्होंने लिखा- 'शायद मुझे अपने नाम के आगे से चौकीदार हटाकर मजदूर लगा लेना चाहिए, क्योंकि मैंने पार्टी के लिए बहुत सारे केस लड़कर एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनाई, लेकिन उसमें एक भी लग्जरी अपार्टमेंट मुझे रहने के लिए नहीं मिला. भगवान कृष्ण ने इसकी वजह अर्जुन को युद्ध के बाद विस्तार से बताई थी.' उनका इशारा इस ओर था कि उन्होंने पार्टी के लिए काफी काम किया, केस लड़े, लेकिन पार्टी ने कैबिनेट में उन्हें कोई जगह नहीं दी.
May be instead of Chowkidar I should affix Mazdoor because I construct a multi-storied building for the party by fighting all these cases but do not get a luxury apartment to live in it. Lord Krishna explained why to Arjuna after the war
— Subramanian Swamy (@Swamy39) May 29, 2019
वित्त मंत्री बनना चाहते थे स्वामी
30 मई की शाम को सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर के ये साफ कर दिया कि वह वित्त मंत्री बनना चाहते हैं. आपको बता दें कि 30 मई की देर शाम को ही ये तय होना था कि मोदी के मंत्रिमंडल में किसे-किसे जगह मिलेगी. स्वामी ने ट्वीट में लिखा- 'मैं सभी देशभक्त लोगों को धन्यवाद करना चाहूंगा कि उन्होंने मुझे शुभकामना दी कि मैं वित्त मंत्री बन जाऊं. लेकिन जैसा कि मैंने शुरू में ही कहा था कि ये प्रधानमंत्री हैं, जो इसका फैसला करेंगे और हम सभी को उनके फैसले का सम्मान करना चाहिए.'
I wish to thank all the PTs who tweeted and expressed their heartfelt wish for me to become FM. But as I said from the beginning that it is the PM who decides finally and we should respect that since the buck stops with him.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) May 30, 2019
शपथ ग्रहण समारोह खत्म होने पर ये साफ हो गया कि सुब्रमण्यम स्वामी को इस बार भी कैबिनेट में कोई जगह नहीं मिली है. उन्होंने अगले ही दिन यानी 31 मई को सुबह 5 बजे ही एक ट्वीट कर डाला. उन्होंने लिखा- सभी देशभक्त लोगों को उनके ट्वीट के लिए शुक्रिया, जिन्होंने मेरे वित्त मंत्री नहीं बनने पर अपनी संवेदना जताई. इस तरह की असफलताओं से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि मैं गीता में विश्वास करता हूं. मेरा पुराना अनुभव दिखाता है कि ऐसी असफलताओं के बाद कुछ बेहतर होता है.
Thanks to PTs for your tweets expressing your sentiments on my not being made FM. Such denials make no difference to me since I believe and follow the Gita. My past experience is that such "disappointments" lead to something better later.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) May 30, 2019
पिछली बार तो वित्त मंत्री अरुण जेटली थे, जिनसे सुब्रमण्यम स्वामी का थोड़ा मन मुटाव वैसे भी रहता था. जेटली के कार्यकाल के दौरान स्वामी इशारों-इशारों पर उनके खिलाफ मुखर बने रहे. इस बार तो जेटली कैबिनेट से ही बाहर हैं. ऊपर से जिस पद के लिए वह दावेदारी ठोंक रहे थे, उस पर एक महिला हैं. वो भी ऐसी वैसी महिला नहीं, बल्कि पूर्व रक्षा मंत्री. चाहकर भी इस बार वह वित्त मंत्री के खिलाफ तो कुछ कह नहीं पाएंगे. लेकिन ये भी तय है कि किसी न किसी पर तो उनका गुस्सा फूटेगा ही. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि इस बार किसका नंबर लगता है.
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