सुल्तान अंसारी के 'समर्पण' को क्या प्रभु राम स्वीकारेंगे?
रामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट द्वारा अयोध्या में जमीन खरीद पर आरोप लगाने वालों को सुल्तान अंसारी ने करारा जवाब दिया है. सुल्तान के इस जवाब के बाद सोशल मीडिया पर एक पत्र वायरल हुआ है जिसमें सुल्तान अंसारी से तमाम तरह के प्रश्न पूछे गए हैं.
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रामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट द्वारा अयोध्या में जमीन खरीद पर आरोप लगाने वालों को भूमि का एग्रीमेंट करने वाले सुल्तान अंसारी के बयान ने करारा जवाब दिया है. इस जमीन को दो करोड़ में खरीद कर साढ़े अट्ठारह करोड़ में बेचने वाले अंसारी कह रहे हैं कि राम के नाम पर हमने मार्केट वैल्यू के आधे दाम पर ही ट्रस्ट को ज़मीन दे दी. खुद को रामभक्त साबित करने वाले सुल्तान अंसारी के इस तरह के बयान के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनसे तमाम सवाल पूछे जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि क्या प्रभु राम आपके इस तरह के समर्पण को स्वीकार करेंगे?
सुल्तान के नाम पर एक दिलचस्प खुला पत्र भी वायरल हो रहा है:
आपने श्री राम की भक्ति मे साढ़े अट्ठारह करोड़ त्याग दिए. करीब पैतीस-चालीस की कीमत की जमीन साढ़े अट्ठारह करोड़ में राम मंदिर ट्रस्ट को दे दी. लेकिन प्रभु राम आपकी भक्ति, समर्पण और त्याग को कदापि स्वीकार नहीं करेंगे. आपने पैतीस-चालीस करोड़ की मार्केट वैल्यू की अयोध्या की इस भूमि को श्री राम की भक्ति में सिर्फ साढ़े अट्ठारह करोड़ में बेच दिया.
रामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट द्वारा अयोध्या में जमीन खरीद के बाद सलामत अंसारी सुर्ख़ियों में हैं
अच्छी बात है. लेकिन इतनी बड़ी कीमत की जमीन को आपने दो करोड़ में कैसे खरीदा? उसका मौजूदा सर्किट रेट क्या था? इतनी ज्यादा वैल्यू की जमीन दो करोड़ मे कैसे बिक सकती है? दो करोड़ में बिकी जमीन मे शामिल आप सहित सभी ने पाप किया है, और पापी रामभक्त हो ही नहीं सकता.
मर्यादा पुरुशोत्तम श्री राम चंद्र जी ईमानदारी का पर्याय हैं. इनका चरित्र और आचरण नैतिक जिम्मेदारियों की मर्यादा मे रहने का अहसास कराता है. राष्ट्र के प्रति कर्तव्य, समर्पण और ईमानदारी बरतने का सिद्धांत भी श्री राम के चरित्र मे झलकता है. इसलिए कोई राम भक्त या राम भक्ति का दावा करने वाला कोई देश या प्रदेश के साथ छल कैसे कर सकता है. मोदी और योगी की ईमानदार गवर्नेंस में टैक्स की चोरी कैसे कर सकता है ? देश के राजस्व को कैसे हानि पंहुचा सकता है? स्टैम्प की चोरी कैसे कर सकता है?
करोड़ों मजदूरों, गरीबों, किसानों आम-खास नागरिकों, छोटे-बड़े व्यवसायियों/रामभक्तों की समर्पण राशि से भव्य राम मंदिर के पवित्र निर्माण के अनुष्ठान को असुर शक्तियों यानी बेइमानी की भावना से दूर रखिए. यदि कोई इस अनुष्ठान में आर्थित रूप से सहयोग नहीं कर पा रहे. समर्पण राशि या चंदा नहीं दे सके हैं तो चंदे की पहरेदारी करे. निगरानी रखे. क्योंकि राममंदिर के लिए चंदा देने वाला यदि रामभक्त है तो मंदिर निर्माण के चंदे की निगरानी करने वाला और इस पवित्र अनुष्ठान को असुर शक्तियों से बचाने वाला महा रामभक्त कहलाएगा.
अयोध्या में इस जमीन खरीद मामले में सुल्तान ही नहीं इस खरीद-फरोख्त से जुड़े तमाम दस्तावेज जब पब्लिक डोमेन तक नहीं आए़गे तब तक इस तरह के तमाम सवाल उठते रहना लाजमी है. इसलिए राममंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट जमीन खरीद मामले की जांच अब ज़रूरी हो गई है.
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