AAP के राज्य सभा पहुंचने से पहले ही सपोर्ट में खड़े हुए विपक्षी दल
दिल्ली की जंग में 'चपरासी' ऐसा कीवर्ड है जो हर कुछ दिन बाद चर्चा में आ जाता है. पहले ऐसा खुद केजरीवाल करते रहे हैं - अब विपक्ष ने दिल्ली में उनके साथ 'चपरासी' जैसे सलूक किये जाने का इल्जाम लगाया है.
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आम आदमी पार्टी के साथ विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति चुनाव में अछूत जैसा व्यवहार किया. अब हालत ये है कि और उन्हीं विपक्षी दलों के नेता उसके सपोर्ट में लामबंद होने लगे हैं. देखा जाये तो राज्य सभा में आप के दस्तक देने से पहले ही उसकी धमक महसूस की जाने लगी है. दिल्ली की जंग अभी से संसद में गूंजने लगी है.
दिल्ली से राज्य सभा की सीटों को लेकर आप में पहले से ही बवाल मचा हुआ है - और सबसे मुखर कुमार विश्वास के सपोर्टर नजर आ रहे हैं. संकेत साफ हैं जल्द ही आप राज्य सभा में सत्ता पक्ष के लिए सरदर्द बनने वाली है, बशर्ते वो अपने अंदरूनी कलह से उबर जाये.
चपरासी जैसा सलूक?
दिल्ली की जंग में 'चपरासी' ऐसा कीवर्ड है जो हर कुछ दिन बाद किसी न किसी बहाने इस्तेमाल किया जाता रहा है. विपक्षी नेताओं ने दिल्ली के उपराज्यपाल पर केजरीवाल के साथ 'चपरासी' जैसा व्यवहार करने का इल्जाम लगाया है. इससे पहले खुद केजरीवाल भी कह चुके हैं कि उनकी इतनी भी हैसियत नहीं कि एक 'चपरासी' की भी नियुक्ति कर सकें. इतना ही नहीं, एक बार तो केजरीवाल ने उपराज्यपाल पर बीजेपी के पोलिंग एजेंट की तरह काम करने का आरोप लगाते हुए कहा था - "उनके पास दिल्ली के मंत्रियों से मिलने का समय नहीं है लेकिन भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह के 'चपरासी' के बुलावे पर भी वह तुरन्त चले जाएंगे." ये तब की बात है जब दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग हुआ करते थे.
अब तो बस कीजिए हुजूर!
राज्य सभा में केजरीवाल का मामला उठाया समाजवादी पार्टी सांसद नरेश अग्रवाल ने, जो हाल ही में कुलभूषण जाधव पर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में थे. नरेश अग्रवाल ने कहा, 'दिल्ली सरकार को कोई पावर नहीं है. लेफ्टिनेंट गवर्नर दिल्ली की मुख्यमंत्री को चपरासी की तरह ट्रीट करता है. ये क्या है, एक मुख्यमंत्री की बेइज्जती है. एक लेफ्टिनेंट गवर्नर चुने हुए मुख्यमंत्री को चपरासी की तरह ट्रीट करे.'
समाजवादी पार्टी के ही रामगोपाल यादव ने दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन के उद्घाटन के मौके पर केजरीवाल को न बुलाये जाने का मामला भी उठाया. तृणमूल कांग्रेस ने इसे ओछी राजनीति का नतीजा बताया. सीपीआई नेता डी राजा ने कहा कि इसे खत्म करना ही होगा क्योंकि ये सिर्फ दिल्ली का ही मामला नहीं है, पुड्डुचेरी में भी यही मुश्किल आती रहती है.
एक वो भी दौर था...
दिल्ली से राज्य सभा में किसे भेजा जाये इसको लेकर पेंच अब भी फंसा हुआ है. इसे लेकर तब भी विवाद हुआ था जब आप ने पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के सामने पेशकश की थी लेकिन उन्होंने साफ साफ मना कर दिया.
वैसे आप के त्रिदेव होंगे कौन?
दिल्ली से तीन लोगों को राज्य सभा में भेजा जाना है और सत्ताधारी आप ने पहले कहा था कि पार्टी के अंदर से किसी को भी नहीं भेजा जाएगा. आप की ओर से बताया गया था कि पार्टी चाहती है कि आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र की बड़ी हस्तियों को भेजा जाये. हालांकि, अब आप नेता संजय सिंह और मीरा सान्याल के नामों की चर्चा चल रही है. तीसरा कोई नाम खुल कर चर्चा में नहीं है.
पहले कुमार विश्वास को भी राज्य सभा भेजे जाने की चर्चा रही, लेकिन कपिल मिश्रा को सपोर्ट करने के शक के चलते पार्टी ने हाथ पीछे खींचने की ओर इशारा किया. कुमार विश्वास के समर्थक इन दिनों उन्हें राज्य सभा भेजने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. यहां तक कि वे आप के दफ्तर के सामने तंबू लगा कर धरने पर बैठ गये थे.
आप दफ्तर पर कुुमार समर्थकों का डेरा
एक वक्त तो ऐसी भी चर्चा रही कि भ्रष्टाचार के मुद्दों को जोर शोर से उठाने और बीजेपी को घेरने के मकसद से खुद केजरीवाल भी राज्य सभा जाने का फैसला कर सकते हैं. बहरहाल, कुमार विश्वास को लेकर इस वक्त बीजेपी की दिलचस्पी समझ में नहीं आ रही है.
बीजेपी की आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने एक ट्वीट में केजरीवाल पर कुमार विश्वास की अनदेखी करने का आरोप लगाया है. मालवीय ने मीडिया रिपोर्टों की दुहाई देते हुए दावा किया है कि कुमार विश्वास की लोकप्रियता से अरविंद केजरीवाल सत्ता की सीढ़ियों पर चढ़ पाये. हालांकि, AltNews वाले प्रतीक सिन्हा ने उनके दावों की हवाल गूगल डेटा के जरिये निकालने की कोशिश की है. सिन्हा ने पांच साल का डाटा शेयर करते हुए कहा है कि केजरीवाल हमेशा ही कुमार विश्वास से काफी आगे रहे हैं.
If media reports are to be believed, @drkumarvishwas on whose popularity @arvindkejriwal rode to power has been overlooked for Rajya Sabha...
— Amit Malviya (@malviyamit) December 29, 2017
Kejriwal came to power due to Kumar Vishwas's popularity - @malviyamit
Blue line in the graph represents Google search volume for Arvind Kejriwal, red line represents Vishwas.
Data for 5 years shows higher average volume for Kejriwal, Vishwas has higher volume in last 1 year. pic.twitter.com/X1uJLrSaHA
— Pratik Sinha (@free_thinker) December 29, 2017
इस बीच कुमार विश्वास ने अपने समर्थकों से अपील की है कि वो बड़े मुद्दों के लिए संघर्ष करें, न कि छोटी बातों के लिए.
कुमार विश्वास अभिमन्यु हैं या अर्जुन?
अपने समर्थकों से अपील वाले ट्वीट में कुमार विश्वास ने कहा है - 'अभिमन्यु के वध में भी उसकी विजय है.'
मैनें आप सब से सदा कहा है,पहले देश,फिर दल,फिर व्यक्ति????@AamAadmiParty मुख्यालय पर जमा कार्यकर्ताओं से निवेदन है कि स्वराज,Back2Basic,पारदर्शिता के मुद्दों के लिए संघर्ष करें,मेरे हित-अहित के लिए नहीं.स्मरण रखिए अभिमन्यु के वध में भी उसकी विजय है????????????
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) December 28, 2017
यहां कुमार विश्वास ने अपनी तुलना अभिमन्यु से की है. क्या कुमार विश्वास आम आदमी पार्टी को चक्रव्यूह मानने लगे हैं. कुमार विश्वास ने खुद को अभिमन्यु बताया है तो आखिर अर्जुन कौन है? देखा जाये तो कुमार विश्वास को तो बस मछली की आंख की तरह राज्य सभा की सीट दिखती नजर आती है. और अगर वो खुद अर्जुन नहीं हैं तो क्या अर्जुन के रोल में कपिल मिश्रा हैं? अगर ऐसा है तो सारथी कौन है? कपिल मिश्रा के मामले में तो लोग कुमार को ही सारथी मान रहे थे. फिर तो मामला और भी उलझ जाता है. कुमार विश्वास अभिमन्यु हैं या अर्जुन? और कभी कभी तो वो कृष्ण जैसा उपदेश भी देते नजर आते हैं. फिर क्या और कैसे समझा जाये?
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