Surat Fire: बाहरी खतरों से तो बचा लेंगे लेकिन Unsafe India का क्या करेंगे मोदी जी?
Surat Takshila Complex Fire बताती है कि Lok sabha Election 2019 के नतीजों के बाद नरेंद्र मोदी को भारत में होने वाले इन हादसों के लिए कुछ करना होगा.
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Surat Takshila Complex Fire accident Analysis | नरेंद्र मोदी की जीत के बाद जिस तरह से भाजपा की लहर पूरे देश में दिख रही है वो साफ है कि बिना विपक्ष के पूर्ण बहुमत वाली सरकार फैसले लेने के लिए सक्षम है. नरेंद्र मोदी ने पहले ही कहा था कि वो आने वाले पांच सालों में और भी कड़े फैसले लेंगे और भारत के विकास के लिए ही काम करते रहेंगे. 2019 के मुद्दों में राष्ट्रीय सुरक्षा का भी मुद्दा है और इस मुद्दे में बाहरी दुश्मन और आतंकवाद ही नहीं आम लोगों की सुरक्षा से जुड़ी हर बात शामिल है. लेकिन नरेंद्र मोदी की जीत के अगले ही दिन सूरत में जो हुआ वो सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े करता है. Surat Takshila Complex Fire ने भारत के विकास और सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. आग लगने और छात्र-छात्राओं के हताहत होने की ये बहुत ही दुखद घटना है. सूरत के तक्षिला कॉम्प्लेक्स में एक कोचिंग इंस्टिट्यूट चलता था जिसमें घटना के वक्त 40 स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे थे. घटना शॉर्ट सर्किट से हुई और धीरे-धीरे आग कॉम्प्लेक्स के दूसरे फ्लोर पर पहुंच गई. अभी तक 19 लोगों के मरने की पुष्टी हो चुकी है, लेकिन और लोगों की मौत की आशंका है.
Surat fire video दिखाते हैं कि किस तरह से बच्चे कॉम्प्लेक्स के ऊपरी फ्लोर पर जाकर कूद रहे थे और अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे थे. वो वीडियो विचलित कर सकता है इसलिए यहां इस्तेमाल नहीं किया जा रहा. किसी भी इंसान के लिए इस तरह की तस्वीरें देखना दुखद होगा. घटना को लेकर पीएम मोदी ने भी ट्वीट की है और शोक जताया है.
Extremely anguished by the fire tragedy in Surat. My thoughts are with bereaved families. May the injured recover quickly. Have asked the Gujarat Government and local authorities to provide all possible assistance to those affected.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 24, 2019
इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. विकास की बातें तो होती रहती हैं, लेकिन विकास किस हद तक हो रहा है? ये सिर्फ बिल्डिंग बनाने, अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए, देश को आगे बढ़ाने के लिए है, या इसमें कहीं सुरक्षा का क्लॉज भी डला हुआ है.
सूरत के कॉम्प्लेक्स में लगी आग अपने साथ कई सवाल लेकर आई है.
2016, 2017, 2018 में भी इसी तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं...
2016 में केरल के कोल्लम स्थित पुत्तिंगल देवी मंदिर में आतिशबाजी प्रतियोगिता के लिए पटाखे रखे थे. इस प्रतियोगिता की मंजूरी भी स्थानीय प्रशासन ने नहीं दी थी. मंदिर में जगह और लोगों की संख्या (करीब 10 हजार) को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने आने वाले खतरे को सूंघ लिया था. लेकिन अगर प्रशासन की तरफ से सिर्फ मंजूरी नहीं देना काफी न होता और वहां पर एक टीम भेजकर मामले पर नजर रखी जाती जो शायद ये हादसा नहीं होता. मंदिर में रखे पटाखों में आग लगने से 100 से भी अधिक लोगों की मौत हो गई और करीब 400 लोग घायल हो गए थे. केरल के मलयाली दैनिक मलयाला मनोरमा के मुताबिक पिछले 10 सालों में आग की घटनाओं से करीब 500 लोगों की मौत हो चुकी है.
उत्तर प्रदेश में 1 नवंबर 2017 को ऊंचाहार में एनटीपीसी की यूनिट-6 में बॉयलर फट गया था. बॉयलर की राख की निकासी को लेकर सही गाइडलाइंस नहीं थी, जिसके चलते राख में दबाव बढ़ा और एक धमाका हो गया. इसमें करीब 46 लोगों की मौत हुई थी और 100 से भी अधिक लोग घायल हुए.
दिसंबर 2017 में मुंबई की कमला मिल्स में लगी आग में 14 लोगों की मौत हो गई थी. ये आग भी एक रेस्टोरेंट में शॉर्ट सर्किट की वजह से हुई थी. सुरक्षा के पूरा उपाय न होने की वजह से एक चिंगारी ने विकराल आग का रूप ले लिया. आग से निपटने की कोई व्यवस्था नहीं थी.
2019 में ही दिल्ली स्थित एक होटल में आग लग गई थी. करोल बाग स्थित इस होटल की आग में 9 लोगों की मौत हो गई थी. लोग नींद में ही झुलस गए थे.
इन सब हादसों में एक गहरी समानता है. वो ये कि जिन बिल्डिंगों और मैदानों में ये घटना हुई वहां सुरक्षा का इंतजाम ठीक नहीं था. बिल्डिंगों में आग लगने के बाद सुरक्षा इंतजामों में भारी कमी थी. लोग आग की स्थिति में बाहर नहीं भाग सकते थे. ऐसी जगहों पर आग बुझाने के इंतजाम भी नहीं थे.
ऐसे तो न जाने कितनी सारी बिल्डिंग शक के घेरे में होंगी. चलिए राजधानी दिल्ली के ही सबसे चर्चित इलाके और देश के सबसे महंगे कॉर्पोरेट जोन कनॉट प्लेस की बात करते हैं. यहां जितनी दुकानें, रेस्त्रां, बार और पब हैं उतने एक जगह पर मिलना मुश्किल होता है. हर रोज़ हज़ारों लोग यहां होते हैं. किसी भी एक रूफटॉप रेस्त्रां में जाने की कोशिश कीजिए. एक छोटी सी गली नुमा सीढ़ी से जाना होगा. यहीं से लोग वापस भी आएंगे. अगर ऐसी स्थिति में आग लगती है तो कितने लोगों की जान को खतरा होगा ये समझना मुश्किल नहीं है.
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— mahesh ™ (@MaheshMooch) May 24, 2019
सूरत की आग सबसे पहले निचले हिस्से से शुरू हुई थी. इस आग को फैलते देर नहीं लगी. अब जांच होगी और ये सामने आएगा कि सूरत की आग के लिए जिम्मेदार कारणों में से एक कारण ये भी था कि उस बिल्डिंग में आग से बचने के लिए जरूरी सुरक्षा नियमों का पालन नहीं किया गया था.
लगभग हर ऐसी घटना में यही होता आया है. आग लगने पर जांच होती है और सामने आने वाले तथ्य भी एक जैसे ही निकलते हैं. यहां भी लापरवाही को ही जिम्मेदार माना जाता है. पर इस तरह की लापरवाही को करने वाले को पकड़ा कैसे जाए? क्या बिल्डिंग बनाने वाले, बिल्डिंग को किराए पर लेने वाले, बिल्डिंग में रहने वाले, पढ़ने वाले, काम करने वाले? स्थानीय अधिकारी जिन्हें बिल्डिंग का मुआयना करना चाहिए था, या राज्य सरकार और केंद्र सरकार जिनके लिए नियमों को बनाने के अलावा उनका पालन न करने वालों की लिस्ट सामने नहीं पहुंच पाती.
ऐसी देश भर में लाखों बिल्डिंग हो सकती हैं जहां कोई बड़ा हादसा हो सकता है. दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, कोलकता, मेरठ, अहमदाबाद, गांधीनगर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार से लेकर कश्मीर में कुछ सीटें जीतने तक सभी जगह भाजपा पर लोगों ने भरोसा जताया है तो कम से कम मोदी सरकार को अब इस समस्या को लेकर भी कुछ करना होगा.
आखिर क्यों किसी बड़े हादसे के इंतजार में लोग बैठे रहते हैं. आग लगना, रेल हादसा, पुल हादसा, भगदड़ सब हादसों के बाद क्या अब भी ये कहा जा सकता है कि लापरवाही नहीं बरती जा रही?
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