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बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 19 अगस्त, 2020 05:56 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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सुशांत सिंह राजपूत केस को लेकर सारी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की तरफ बड़ी उम्मीद से देख रही थीं - रिया चक्रवर्ती भी उनमें शुमार थीं. ये मामला रिया चक्रवर्ती ही सुप्रीम कोर्ट में ले गयी थीं, ये मांग करते हुए कि बिहार में दर्ज FIR भी मुंबई पुलिस के पास ट्रांसफर कर दिया जाये. रिया चक्रवर्ती को लग रहा था कि बिहार पुलिस फंसा सकती है. एक वजह ये भी रही कि ये शक भी गहराने लगा कि मुंबई पुलिस रिया चक्रवर्ती को बचा रही है.

सुप्रीम कोर्ट के सीबीआई जांच (Sushant Singh Case CBI Probe) का फैसला सुन कर लोग ऐसे रिएक्ट कर रहे हैं, जैसे देश की सबसे बड़ी अदालत ने इंसाफ करते हुए दोषियों को सजा भी सुना डाली हो. सुशांत के परिवार, करीबी और प्रशंसकों की प्रतिक्रिया ही नहीं, राजनीतिक गलियारों से भी एक जैसी बातें सुनने को मिली हैं.

महाराष्ट्र सरकार, मुंबई पुलिस और निशाने पर आईं रिया चक्रवर्ती ने विरोध न किया होता तो शायद सीबीआई जांच को लेकर ऐसा इंतजार भी नहीं होता. सुशांत सिंह केस में मुंबई पुलिस ने बिहार पुलिस की जांच में रोड़े अटका कर रहस्य गहरा कर दिया.

पटना में एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच के सिलसिले में मुंबई पहुंच कर क्वारंटीन हुए आईपीएस अफसर विनय तिवारी का बयान भी इसी तरफ इशारा कर रहा था - 'सुशांत की मौत की वजह के साथ ये जानना भी जरूरी कि आखिर छिपाया क्या जा रहा है?'

सुशांत सिंह राजपूत के पिता कृष्ण किशोर सिंह ने पटना पुलिस को दर्ज करायी गयी अपनी शिकायत में रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के सदस्यों सहित छह लोगों पर अपने बेटे को आत्महत्या के लिए मजबूर करने सहित कई गंभीर आरोप लगाये हैं. सुशांत सिंह राजपूत को 14 जून, 2020 को बांद्रा में एक अपार्टमेंट में फंदे से लटका हुआ पाया गया था - और मुंबई पुलिस का दावा है कि एक्टर ने खुदकुशी की है.

बिहार की राजनीति में सुशांत केस की सीबीआई जांच का जहां बढ़ चढ़ कर स्वागत किया जा रहा है, वहीं महाराष्ट्र (Maharashtra Politics) में सत्ता पक्ष पर सियासी हमले शुरू हो गये हैं - बिहार (Bihar Election 2020) में क्रेडिट लेने की होड़ मची है तो महाराष्ट्र में विपक्ष को उद्धव ठाकरे की गठबंधन सरकार पर हमले का मौका मिल गया है.

महाराष्ट्र की राजनीति पर असर

अदालती फैसलों के ऐतिहासिक मानने की कुछ खास वजहें होती हैं, लेकिन ऐसा फैसला शायद ही कभी सुनने को मिलता हो जिसमें विरोध में खड़ी दोनों पार्टियों के मनमाफिक फैसले सुनने को मिले. अगर रिया चक्रवर्ती की पुरानी डिमांड के हिसाब से देखें तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐसा ही लगता है. ये रिया चक्रवर्ती ही हैं जो खुद सीबीआई से सुशांत सिंह केस की जांच कराने की मांग थी और अपने ट्वीट में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को टैग भी किया था - और ये केस लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाली भी रिया चक्रवर्ती ही हैं.

हालांकि, पटना में एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद रिया चक्रवर्ती बिहार पुलिस ही नहीं बल्कि सीबीआई जांच के खिलाफ हो गयीं. जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुशांत सिंह केस में सीबीआई जांच की मांग की तो रिया ने कड़ा विरोध जताया - और सीबीआई जांच की सिफारिश को लेकर रिया के वकील ने बिहार सरकार के अधिकार पर भी सवाल उठा रहे थे.

रिया चक्रवर्ती का कहना था कि बिहार में की जा रही जांच को आधार मानते हुए सीबीआई को केस ट्रांसफर करना गैर-कानूनी है - हालांकि, अगर अदालत सीबीआई से जांच कराने का फैसला लेती है, तो फिर कोई आपत्ति नहीं होगी.

अब तो सुप्रीम कोर्ट ने साफ साफ कह दिया है कि सीबीआई न सिर्फ पटना के FIR पर जांच के लिए सक्षम है बल्कि आगे भी इस मामले में कोई केस दर्ज होता है तो वो भी सीबीआई ही देखेगी. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि बिहार सरकार को ये पूरा अख्तियार है कि वो सुशांत सिंह के पिता की शिकायत पर दर्ज केस को सीबीआई जांच के लिए सिफारिश करे. बिहार पुलिस को लेकर हाय-तौबा मचाने वाली महाराष्ट्र पुलिस को भी सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर हिदायत दी है कि वो सीबीआई को सहयोग करे - क्योंकि अब सीबीआई जांच का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि महाराष्ट्र सरकार सीबीआई को जांच से जुड़े दस्तावेज मुहैया कराने में भी मदद करे. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि ये सुनिश्चित किया जाये कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के रहस्य की छानबीन के लिए सीबीआई सक्षम जांच एजेंसी है - और कोई भी राज्य पुलिस उसकी जांच में दखल न दे. देखा जाये तो मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार के लिए ये बड़ा झटका है.

uddhav thackeray, sushanr, rhea, nitish kumarसुशांत सिंह राजपूत केस में सीबीआई जांच के आदेश के साथ ही महाराष्ट्र और बिहार में राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो चुकी है

सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही बीजेपी नेता किरीट सोमैया महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार पर बरस पड़े हैं - और अनिल देशमुख का इस्तीफा मांग रहे हैं. अनिल देशमुख एनसीपी कोटे से उद्धव सरकार में गृह मंत्री हैं जो लॉकडाउन के वक्त वधावन बंधुओं के खंडाला से महाबलेश्वर दौरे को लेकर विवादों में रहे. एनसीपी नेता शरद पवार के पोते पार्थ पवार ने भी सुशांत सिंह केस को लेकर अनिल देशमुख को पत्र लिखा था और पवार परिवार में इस मामले को लेकर जो बवाल हुआ वो तो सबको मालूम है ही.

निश्चित तौर पर सीबीआई को सुशांत सिंह की रहस्यमय मौत का सच सामने लाने की जिम्मेदारी है, लेकिन बिहार चुनाव से पहले तो महाराष्ट्र की राजनीति पर तेज असर देखने को मिल रहा है. रिया चक्रवर्ती की गिरफ्तारी को लेकर लगाये जाने वाले कयासों के बीच उनका नाम तो ट्रेंड कर रहा है, एक और ट्रेंडिक टॉपिक भी टॉप 10 का हिस्सा बना हुआ है - #BabyPenguin.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे नारायण राणे के बेटे नितेश राणे फिलहाल कांकावली से विधायक हैं. नितेश राणे ने पहले भी अपने ट्वीट में बेबी पेंग्विन का इस्तेमाल किया है और निशाने पर महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे लगते हैं.

ऐसी ही टिप्पणियों पर शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने बीजेपी पर निम्न स्तर की राजनीति का आरोप लगाया था, 'हिम्मत है तो नाम लीजिये, हिम्मत है तो नाम लेकर सबूत लाकर बोलिये, आप सिर्फ बदनामी की मुहिम चलाएंगे - ये कैसे चलेगा?'

संजय राउत ने चैलेंज तो महाराष्ट्र बीजेपी के नेताओं को किया था, लेकिन चुनौती स्वीकार की बिहार बीजेपी के नेता निखिल आनंद ने, बोले - 'अब तो सीबीआई को संजय राउत और आदित्य ठाकरे से भी पूछताछ करनी चाहिये - संजय राउत-आदित्य ठाकरे का नारको टेस्ट हो जाये तो रहस्य से परदा हट जाएगा.'

जिस वक्त ये सब मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से चल रहा था, आदित्य ठाकरे ने बयान जारी कर सफाई पेश करने की कोशिश भी की थी. आदित्य ठाकरे ने अपने बयान में कहा था, 'लोग व्यक्तिगत रूप से मुझ पर और ठाकरे परिवार के सदस्यों पर कीचड़ उछाल रहे हैं. मेरा किसी भी प्रकार से सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु से कोई संबंध नहीं है - लोग सुशांत सिंह मामले की आड़ में डर्टी पॉलिटिक्स पर उतर आये हैं.'

बीजेपी की तरफ से सुशांत सिंह केस की सीबीआई जांच को लेकर सबसे दिलचस्प रिएक्शन संबित पात्रा का है. बीजेपी प्रवक्ता के इस ट्वीट में महाराष्ट्र सरकार को लेकर पार्टी की राजनीतिक मंशा की तरफ भी इशारा है. ध्यान देने वाली बात ये भी है कि बीजेपी ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बिहार चुनाव का प्रभारी बनाया हुआ है.

सीबीआई जांच और बिहार चुनाव

सुशांत सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से जवाब मांगे थे - रिया चक्रवर्ती, सुशांत फैमिली और बिहार सरकार से भी. सीबीआई की तरफ से भी कोर्ट में जवाब दाखिल किया गया था जिसमें ED को भी अपना जांच जारी रखने की सलाह भी शामिल थी.

बिहार सरकार का कहना रहा कि महाराष्ट्र में पुलिस पर राजनीतिक दबाव है और उसी वजह से एफआईआर दर्ज नहीं हो रही है. बिहार सरकार ने पटना के एसपी सिटी विनय तिवारी को क्वारंटीन किये जाने का भी उदाहरण दिया था और कोर्ट ने माना भी था कि ऐसा करने से मैसेज गलत जाता है. रिया के खुद भी सीबीआई जांच की मांग का हवाला देते हुए बिहार सरकार के वकील का कहना रहा कि मुंबई पुलिस ने 56 लोगों के बयान दर्ज किये लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की - आखिर क्यों?

बिहार के नेताओं में सीबीआई जांच का क्रेडिट लेने की होड़ तो मची ही है, यहां तक कि बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय की टिप्पणी भी पुलिसिया कम और राजनीतिक लहजे वाली ही है. गुप्तेश्वर पांडेय ने सीबीआई जांच का स्वागत तो किया ही, 'सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला ये दिखाता है कि बिहार पुलिस सही थी,' मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफों के पुल बांधते हुए बोले, 'बिहार के CM ने जो सपोर्ट किया उसी के चलते सुशांत केस की जांच सीबीआई तक पहुंची है. मीडिया के सवाल पर डीजीपी पांडेय बोले - मैं रिपीट करता हूं कि रिया चक्रवर्ती की हैसियत नहीं है कि वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिप्पणी करे.

शिवसेना की तरफ से सीबीआई जांच पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत सबसे ज्यादा बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय से ही खफा नजर आये. राउत ने कहा, 'बिहार के DGP किस बात से इतना खुश हैं जो नाच-नाच कर सब जगह बता रहे थे... वर्दी की एक गरिमा होती है - उनके हाथ में बस बीजेपी एक झंडा होना बाकी रह गया था.'

संजय राउत ने ये को कहा ही कि सीबीआई जांच की जरूरत नहीं थी क्योंकि मुंबई पुलिस की जांच सही दिशा में चल रही थी, तंज भी कसा कि 'अगर स्क्रिप्ट पहले से तय है तो अब माथापच्ची करने से क्या फायदा.'

सत्ता पक्ष के साथ साथ बिहार में विपक्ष भी सुशांत केस की सीबीआई जांच का श्रेय लेने की कोशिश कर रहा है - विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी और लोक जनशक्ति पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान भी.

सुशांत सिंह केस को लेकर हो रही राजनीतिक जंग के बीच सुनवाई की दौरान सुप्रीम कोर्ट कोर्ट की टिप्पणी इंसाफ की राह में कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण लगती है. सीबीआई जांच की आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा - "साफ-सुथरी और निष्पक्ष जांच होना वक्त की मांग है. शिकायतकर्ता ने अपना इकलौता बेटा खोया है और जांच का जो भी नतीजा आएगा वही उनके लिए न्याय का पैमाना होगा. याचिकाकर्ता के लिए भी ये न्याय होगा क्योंकि उन्होंने CBI जांच की मांग की थी." केस में याचिकाकर्ता रिया चक्रवर्ती ही हैं जो मुख्य आरोपी भी हैं. सुप्रीम कोर्ट की सबसे महत्वपूर्ण टिप्पणी रही - "दिवंगत भी चैन की नींद सो सकेगा. सत्यमेव जयते."

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#सुशांत सिंह राजपूत, #सीबीआई, #बिहार चुनाव 2020, Sushant Singh Case CBI Probe, Maharashtra Politics, Bihar Election 2020

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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