राजनीति ने इस दोस्ती में भी जहर घोल दिया
कभी लालू के खिलाफ दोनों एक साथ मिलकर मुकद्दमा लडते थे. लेकिन बिहार में राजनीति ने कुछ यूं करवट ली कि अब ये दो दोस्त एक-दूसरे को कटघरे में खड़ा करने की धमकी दे रहे हैं.....
-
Total Shares
कभी साथ मुकद्दमा लडते थे अब एक दुसरे पर मुकद्दमा करने की धमकी दे रहें हैं. राजनीति चीज ही ऐसी है. हम बात कर रहें है बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी और बिहार सरकार में मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह की. दोनों एक दूसरे पर कानूनी कार्रवाई करने की बात कर रहें है. बिहार में बाढ क्या आई कि दोनों एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप की झड़ी लगा रहे हैं.
चारा घोटाला मामले में दोनों लालू प्रसाद यादव के खिलाफ याचिकाकर्ता रहे हैं. लेकिन समय बदल तो राजनैतिक परिस्तिथियां बदल गई. जिनके खिलाफ मुकद्दमा लड़ थे आज वो साथ आ गए और जिनको साथ लेकर लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चारा घोटाला का मुकद्दमा लड़े वो राजनैतिक दुश्मन बन गए. इसे यही कह सकते हैं कि राजनीति में सब चलता है.
सुशील कुमार मोदी ने हाल में आई बाढ़ कि वजह तीन जगहों पर बांध टूटना बताया. और कहा कि इस लापरवाही के लिए बिहार के मुख्यमंत्री और जलसंसाधन मंत्री पर 302 का मुकद्दमा होना चाहिए. अब ललन सिंह ठहरे बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री. फिर क्या था. वह विफर पडे और चुनौती दे दी कि सुशील मोदी साबित करें की जलसंसाधन विभाग का कोई बांध टूटा है. नही तो कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें.
पलटवार करते हुए सुशील मोदी ने भी कह दिया कि बिहार की नितीश सरकार विपक्ष को मुकद्दमें की धमकी से डराकर अपनी गलती छिपा रही है. ललन सिंह ने दावा किया कि सुशील मोदी झुठ का पुलिंदा है और अखबार की खबरों को आधार बनाकर उल्टे-सीधे बयान देते है.
बिहार में बाढ़ से लाखों लोग बेघर हुए |
सुशील मोदी के आरोप पर ललन सिंह ने दावा किया कि भारी दबाव के बावजूद बिहार में जलसंसाधन विभाग का एक भी बांध नही टूटा है. सफाई देते हुए ललन सिंह ने कहा कि कटिहार में जो बांध टूटा वो मनरेगा का रिंग बांध था. वहीं दो जगहों पर ग्रामीणों ने बचाव के लिए प्रशासन की मौजूदगी में बांध काट दिया.
ललन सिंह ने यहां तक कहा कि चारा घोटाले के खिलाफ लड़ाई में सुशील कुमार मोदी का सिवाय मीडिया में बयान देने के और कोई योगदान नहीं रहा है. सिंह ने दावा किया कि जिस तरह से मोहन गुरू स्वामी के मानहानि मामले में सुशील मोदी को अनर्गल बयानों के लिए माफी मांगनी पडी थी ठीक उसी तरह अब उन्हें नितीश सरकार के खिलाफ बेबुनियाद आरोपों के लिए माफी मांगनी पड़ेगी.
कभी राजनीति में गहरे दोस्त रहे ललन के इस चुनौती के बाद भला मोगी कहां चुप बैठने वाले. उन्होंने आरोप लगा दिया कि मुख्यमंत्री नितीश कुमार जयललिता की तर्ज पर विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए बात-बात पर मुकदमे की धमकियां दिला रहे हैं. तटबंध टूटने की जांच सरकार सर्वदलीय समिति से कराएं. क्या सरकार उन सारे अखबारों के खिलाफ भी मुकदमा करेगी जिसमें तटबंध टूटने की खबरें प्रकाशित हुई है? तटबंध टूटने के तथ्यों को छिपाने और तोड़ मरोड़ कर बयान देने वाले मंत्री बाढ़ पीड़ितों से माफी मांगे वरना वे लोग उनके खिलाफ भी मुकदमा करेंगे. इसके बाद सुशील मोदी ने दोस्ती को तार-तार कर देने वाले कटु सवालों की पूरी फेहरिस्त सामने रख दी.
पहला, मोदी ने बयान जारी कर पूछा कि क्या लालू प्रसाद को चारा घोटाले में जेल भेजवाने वाले ललन सिंह को मंत्री बनाने से रोकने के लिए जब लालू प्रसाद ने गठबंधन में अपना वीटो लगाया तो उनसे पथ निर्माण जैसा महत्वपूर्ण विभाग छीन बेइज्जत करने की नियत से कम महत्व का विभाग नहीं दिया गया है?
दूसरा, नितीश-ललन के संबंधों को लेकर राबड़ी देवी की अपमानजनक टिप्पणी के बाद मानहानि का मुकदमा करने वाले ललन सिंह ने क्या सिर्फ मंत्री बनने के लिए मुकदमा वापस नहीं किया?
तीसरा, क्या छपास की बीमारी के कारण ही ललन सिंह को जदयू प्रदेश अध्यक्ष के पद से बर्खास्त नहीं किया गया था तथा जब उनकी संसद की सदस्यता समाप्त कराने की कार्रवाई शुरू हुई तो उन्होंने पार्टी के सामने आत्मसमर्पण नहीं कर दिया?
चौथा, सांसद रहते नीतीश कुमार को तानाशाह बता कर कांग्रेस का चुनाव प्रचार करने वाले ललन सिंह की क्या मेरे ही प्रयास से जदयू में पुनर्वापसी नहीं हुई थी?
पांचवा, कटाक्ष भरे इन सवालों के साथ ही मोदी ने दावा किया कि खुद ललन सिंह इस बात को मान रहे हैं कि कटिहार में मनरेगा के अन्तर्गत निर्मित गुमटी टोला लिंक बांध टूट गया था. क्या मनरेगा से निर्मित होने के कारण वह बांध सरकार का नहीं था? इसके साथ ही अब मोदी यह भी जानना चाह रहे हैं कि अगर राज्य में बांध नहीं टूटा तो फिर जल संसाधन विभाग के काढ़ागोला बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के दर्जनों अभियंता क्यों बांध की मरम्मत में लगे हुए हैं.
जलसंसाधन मंत्री ललन सिंह मोदी के इन बयानों से तिलमिला उठे हैं. उन्होंने कहा कि बाढ़ पर राजनीति करने के लिए मोदी के बेतुके बयानों का अंदाजा इसी बातसे लगता है कि वह उनके विभाग को कमजोर विभाग का तमगा दे रहे हैं. बहरहाल दोनों के बीच आरोपों की यह झड़ी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. आश्चर्य बस इस बात पर है कि कभी दोनों नेता बेहद करीब माने जाते रहे हैं, लेकिन राज्य में राजनीति ने करवट ली और दोनों एक दूसरे के दुश्मन बन बैठे हैं. कहते हैं न कि दोस्तों की दुश्मनी से खतरनाक कुछ नहीं होता. लिहाजा, इन पुराने दोस्ती में अब जब दरार पड़ चुकी है तो इसकी कड़वाहट तो हैरान करने वाली ही होगी.
आपकी राय