नीतीश के कैंपेन में जुटी कंपनियां सुधर जाएं वरना...
भाजपा एडवरटाइजिंग कम्पनियों को चेतावनी देती है कि वे अपने कार्य-व्यवहार में पारदर्शिता बरतें वरना आने वाले दिनों में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
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पारदार्शिता की दुहाई देने वाले नीतीश कुमार में अगर नैतिकता है तो बतायें कि पूरे बिहार में उनकी तस्वीर वाले जो हजारों होर्डिंग्स लगाए गए हैं उसकी फंडिंग करने वाली एजेंसी इंडियन पोलिटिकल कमिटी कंसलटिंग प्रा. लि. (Indian political Action Committee Consulting Pvt. Ltd) जिसका चार माह पहले मात्र एक लाख रुपये की आधार पूंजी से पंजीकरण हुआ है, को इतना पैसा कहां से आ रहा है कि वह पूरे बिहार में 2500 स्थानों पर 25 लाख वर्ग फुट जगह आरक्षित कर होर्डिंग्स लगाने वालों को करोड़ों का भुगतान कर रही है?
इस कम्पनी का जदयू का प्रचार कर रहे प्रशांत किशोर से क्या संबंध है?
महीनों बाद उन होर्डिंग्स पर जदयू के नाम से रातों रात होर्डिंग्स के रंग वाले स्टीकर लगाने की जरूरत क्यों पड़ी?
धोखाधड़ी
समाचार पत्रों की खबरों के अनुसार ‘बढ़ चला बिहार’ अभियान का काम जदयू के प्रचार की कमान थामे प्रशांत किशोर से जुड़े एनजीओ और प्रचार एजेंसियों को सौंपे गए, जिन्होंने सरकार से करोड़ों का भुगतान लेकर उसका उपयोग जदयू के चुनाव प्रचार के लिए किया.
इसी प्रकार एडवर्टीजमेंट वेलफेयर एसोसिएशन, बिहार जिससे जदयू के एक बड़े नेता जुड़े हैं पर दबाव डाल कर यूनीपोल पर होर्डिंग्स लगाने का काम निविदा की शर्तों का उल्लंघन कर दिया गया ताकि जदयू को लाभ पहुंचाया जा सके.
दरअसल हताश, निराश हो चुके नीतीश कुमार सरकारी पैसे से अपना प्रचार कर बिहार की जनता के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं.
सवाल
क्या बढ़ चला बिहार के प्रचार में लगी एजेंसियों पर ही दबाव डाल कर ये सभी होर्डिंग्स नहीं लगवाये गए थे जिन पर अब रातोंरात जदयू के नाम वाले स्टीकर चिपकाये गए है?
अगर ये सारे होर्डिंग्स जदयू की ओर से लगाये गए थे तो उनपर जदयू का नाम और चुनाव चिह्न क्यों नहीं था?
कल तक जदयू इन होर्डिंग्स को पार्टी का मानने से इनकार क्यों कर रहा था?
सरकार अब तक यह स्पष्ट क्यों नहीं कर पाई है कि बढ़ चला बिहार अभियान की पीआर एजेंसी से जदयू का प्रचार कर रही एजेंसी का क्या संबंध है?
चेतावनी
भाजपा एडवरटाइजिंग कम्पनियों को चेतावनी देती है कि वे अपने कार्य-व्यवहार में पारदर्शिता बरतें वरना आने वाले दिनों में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
भाजपा की ओर से आयकर व सेवा कर विभाग को पत्र लिख कर अन्य प्रचार एजेंसियों के साथ इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी कंसल्टिंग प्रा. लि. की जांच की मांग की जायेगी वहीं भाजपा गठबंधन की सरकार बनने पर इनके खाते व लेन-देन को भी खंगाला जा सकता है.
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