ना मौत थमती है, ना राजनीति !
अनीता की मौत पिछले वर्ष हुए रोहित वेमुला की मौत की याद दिलाती है. तब उसकी मौत पर तमाम राजनितिक दलों ने जमकर राजनीति की थी और अब फिर वही सिलसिला शुरू हो गया है...
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तमिलनाडु की एक मेधावी छात्रा अनीता को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा. हालात से जंग आकर उसने शुक्रवार को अपनी जान दे दी. इसके पीछे की वजह उसका मेडिकल में दाखिला न मिलना माना जा रहा है. अनीता के पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं. बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली 17 वर्षीय अनीता पढ़ाई के मामले में अव्वल थी. 12वीं की परीक्षा में उसने 1,200 में 1,176 अंक हासिल किया था. अरियालपुर जिले के कुझुमुर गांव की रहने वाली ये होनहार छात्रा अनुसूचित जाति की थी.
अनीता, छात्रा
अनीता की मौत के बाद तमिलनाडु में राष्ट्रीय प्रवेश-योग्यता परीक्षा यानि "नीट" के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भड़क उठा है. त्रिची के 14 छात्रों ने इस प्रवेश परीक्षा को हटाने की मांग करते हुए अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल का ऐलान कर दिया हैं. राज्य के राष्ट्रवादी संगठन "नाम तालिमार काट्ची" और "स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया" के छात्रगण नीट के खिलाफ चेन्नई और त्रिची की सड़कों पर उतर आए हैं. वो अनीता की मौत के लिए नीट के नीतियों को दोषी ठहरा रहे हैं. प्रदर्शनकारियों में नेताओं के खिलाफ भी रोष हैं. इसे देखते हुए मामले पर अब राजनीति शुरू हो गई है. जिसमें दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपरस्टार कमल हासन और रजनीकांत इसमें कूद पड़े हैं. दोनों कलाकारों ने अनीता की मौत पर दुख जताया है. अव्वल तो ये मामला केवल तमिलनाडु का ही नहीं रहा, बल्कि देश के दूसरे राज्यों में भी मामला तूल पकड़ता जा रहा है. अनीता के लिए देश भर में भावनाओं का ज्वार उमड़ता जा रहा है.
राजनीति की बात करें तो उनका पहला निशाना राज्य के मुख्यमंत्री पलानीसामी और पन्नीरसेल्वम हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसके जरिये केंद्र सरकार पर भी निशाना साध रहे हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और पीएमके नेता अंबुमणि रामदास ने इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को दोषी ठहराया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पलानीस्वामी की अध्यक्षता वाली राज्य सरकार और केंद्र सरकार को छात्रा की मौत की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. उन्होंने शुरू में आश्वासन दिया था कि तमिलनाडु को नीट से एक वर्ष की छूट मिलेगी.
रोहित वेमुला पर हुई राजनीति अलग नहीं
अनीता की मौत पिछले वर्ष हुए रोहित वेमुला की मौत की याद दिलाती है. जब उसकी मौत पर तमाम राजनितिक दलों ने जमकर राजनीति की थी. उस दौरान केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच खूब आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला था. वेमुला के प्रति सहानुभूति जताने के लिए कांग्रेस के राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल के बीच आगे निकलने की होड़ मची थी. वहीं दूसरी पार्टियां भी कुछ खास पीछे नहीं दिखे थे. केंद्र की तरफ से तो तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने इस मुद्दे पर संसद में भावुक और जोरदार भाषण भी दिया था.
अपनी होनहार बेटी को खो चुके अनीता के पिता का कहना है कि वह प्रवेश परीक्षा को लेकर बहुत चिंतित रहती थी. तमाम परेशानियों के बावजूद उसने अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया था. इसमें उसने क्या गलत किया और उसकी मौत के लिए अब कौन जवाबदेह है?
यह है पूरा मामला
पिछले वर्ष तक तमिलनाडु में बारहवीं के नंबर के आधार पर मेडिकल कॉलेज में दाखिला हुआ करता था. लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली परीक्षा 'नीट' में मिले नंबर के आधार बना दिया था. तमिलनाडु ने इस साल के लिए नीट से अपने राज्य के छात्रों को बाहर रखने के लिए अधिसूचना की गई थी. इसके बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि तमिलनाडु की तरफ से जारी अधिसूचना का वह समर्थन नहीं करता है. ग्रामीण छात्रों की तरफ से नीट के खिलाफ आवाज उठाने वाली दलित छात्रा अनीता भी नीट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी. लेकिन तमिलनाडु को नीट के दायरे से छूट नहीं मिली. इसके बाद 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से राज्य में एमबीबीएस और बीडीएस की सीटों को नीट की मेरिट लिस्ट के आधार बनाने को कहा था. इसके बाद से अनिता कथित तौर पर परेशान थी.
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