आतंकवादी भी पाकिस्तान को सीरियसली नहीं लेते !
दो साल पहले दुनिया को दिखाने के लिए पाकिस्तान ने आतंक की फैक्ट्री के खिलाफ ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज़्ब शुरू किया. लेकिन जब-जब पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन को सफल घोषित करने की कोशिश की आतंकियों ने अपने एक ही अंदाज में मौजूदगी दर्ज करा दी.
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अपने ही देश के हालात को झूठलाते हुए पाकिस्तानी सेना ने 1 सितम्बर 2016 को ये ऐलान किया की पाकिस्तान से 'संगठित आतंकवादियो' का खात्मा कर दिया गया हैं. पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने ये भी कहा की उनके मिलिट्री आपरेशन 'ज़र्ब-ऐ-अज़्ब' के तहत करीब 3500 आतंकवादियो को मार गिराया गया और जिसके साथ ही पूरे देश में फैली हुई संगठित आतंकवादियो की फ़ौज का भी सफाया कर दिया गया हैं.
पाकिस्तान सेना के द्वारा इस बयान को अभी 24 घंटे भी पूरे नहीं हुए थे की पाकिस्तान के पेशावर में शुक्रवार यानि 2 सितम्बर की सुबह बड़ा आतंकी हमला होता हैं. इस हमले में तीन लोगो की मौत हो गयी और चार घायल हो गए. हालाँकि इस हमले में शामिल चार आतंकियों को मार गिराया गया. इसके साथ ही मर्दन डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में भी दो धमाका होता हैं जिसमें 6 लोगो की मौत हुई और 40 से अधिक घायल हो गए.
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ये आतंकी हमले पाकिस्तान सेना के उस दावे को बिलकुल बेनकाब कर रही हैं की उनके देश से आतंकवाद का सफाया किया जा चुका हैं.
पाकिस्तानी सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल असीम बाजवा ने कहा की जून 2014 में ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज़्ब शुरू हुआ था और तब से लेकर अभी तक पाकिस्तानी सेना ने आतंकवाद के खिलाफ जबरदस्त सफलता पायी हैं.
नवाज शरीफ |
पाकिस्तानी सैन्य प्रवक्ता बाजवा के इस व्यक्तव्य के विपरीत गौर कीजिये किस तरह पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर, लश्कर-ए-तय्यबा के हाफिज सईद, हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सलाहुद्दीन और 1993 मुम्बई धमाकों का मुख्य गुनहगार दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में खुले आम घूम रहे हैं. इनके जैसे कई और आतंकवादियो को पाकिस्तान पनाह दे रही है जो आतंकवाद की नई पौध को साल दर साल तैयार कर रहे हैं. इनका मकसद सिर्फ और सिर्फ ये है की वे किस तरह भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे सके.
पाकिस्तानी सरकार और सेना के लिए ये आतंकवादी संगठन और उनके प्रमुख शायद इसी लिए संगठित आतंकवाद के दायरे में नहीं आते क्योंकि दोनों का मकसद एक हैं. भारत को तबाह करना, चाहे इसके लिए कोई भी क़ुरबानी देना पड़े.
पाकिस्तानी सेना अपनी पीठ भले ही थपथपाए, परिस्थिति इसके विपरीत हैं. पाकिस्तान के कई आतंकवादी अभी भी गिरफ्त से बाहर हैं जिन्होंने कराची, रावलपिंडी, पेशावर, लाहौर इत्यादि में कई आतंकी वारदातो को अंजाम दिया हैं. उदाहरण के तौर पर फैज़ मुहम्मद और इकराम उल्लाह जो की बेनजीर भुट्टो की मौत के गुनाहगार हैं. इन पर 20 लाख रुपये का इनाम है और ये अभी तक पाकिस्तानी सेना की पहुँच से बाहर हैं.
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पाकिस्तान में अभी भी कई आतंकवादी संगठनो के फुटप्रिंट देखने को मिल जायेंगे जिन्होंने हाल के वर्षो में कई आतंकवादी वारदातों को अंजाम दिया हैं. तहरीक-ऐ-तालिबान पाकिस्तान, लश्कर-ऐ-जहांगवी आदि कई आतंकवादी संगठन अभी भी पाकिस्तान में सक्रिय हैं और अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं.
पिछले साल दिसम्बर में भी पाकिस्तानी सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल असीम बाजवा ने कहा था की जबसे ऑपरेशन ज़र्ब-ए-अज़्ब शुरू हुआ उसे कई कामयाबियां मिली हैं. आतंकवादियों की रीढ़ को तोड़ दिया गया है और उनके मुख्य ढांचे को नष्ट कर दिया गया है. लेकिन ठीक एक दिन बाद क़बायली इलाक़े कुर्रम में हुए बम हमले में कम से कम 25 लोग मारे गए और कई घायल हुए थे.
पाकिस्तान में हकीकत क्या हैं आप खुद अंदाज लगा सकते हैं. पाकिस्तान को ये समझने की जरूरत हैं की बयानों से ही आतंकवाद का खात्मा नहीं होता हैं बल्कि परिपक्वता दिखाते हुए गंभीर कदम उठाने होंगे और आतंकवाद को जड़ से खत्म करना होगा.
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