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Updated: 10 अगस्त, 2021 01:24 AM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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बिहार की राजनीति में इन दिनों हर रोज ही कुछ नया हो रहा है. पेगासस और जातीय जनगणना जैसे मुद्दों पर बिहार (Bihar)के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के सुरों से अलग राग अलाप रहे हैं. बिहार में एनडीए का हिस्सा बनी जेडीयू की ओर से इस तरह की बातें होना थोड़ा चौंकाता है. खैर, चौंकाने के मामले में आरजेडी भी कम पीछे नहीं है. आरजेडी कार्यलय में हुए हालिया पोस्टर वॉर ने एक बार फिर से आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के परिवार में चल रही वर्चस्व की जंग को सामने ला दिया है. दरअसल, तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) की पटना में हुई छात्र आरजेडी की बैठक के लिए लगे पोस्टर से तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की तस्वीर गायब थी. पोस्टर में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेज प्रताप के अलावा छात्र आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष आकाश यादव की तस्वीर भी लगी थी. इस पोस्टर के लगने के बाद देर रात आकाश यादव की तस्वीर पर कालिख भी पोत दी गई. वहीं, कुछ समय बाद इस होर्डिंग की जगह तेजस्वी यादव की तस्वीर लगी होर्डिंग ने ले ली. इस स्थिति में फिर से उन सवालों को धार मिल गई है, जो तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव में अनबन की सुर्खियां बन जाते हैं.

आरजेडी के 25वें स्थापना दिवस पर लालू प्रसाद यादव ने अपने दोनों बेटों तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव की तारीफ की थी.आरजेडी के 25वें स्थापना दिवस पर लालू प्रसाद यादव ने अपने दोनों बेटों तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव की तारीफ की थी.

क्या तेजप्रताप का इशारा समझने में नाकाम रहे लालू?

आरजेडी (RJD) के 25वें स्थापना दिवस पर लालू प्रसाद यादव ने अपने दोनों बेटों तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव की तारीफ की थी. आरजेडी में टूट ने हो इसके लिए लालू प्रसाद लगातार कोशिश करते रहे हैं. यही वजह है कि वो तेज प्रताप और तेजस्वी दोनों को ही एक बराबर जताने का प्रयास करते दिखते हैं. लालू यादव पहले ही आरजेडी में विरासत को लेकर पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि तेजस्वी यादव ही पार्टी का चेहरा होंगे. जिसके बाद से ही तेज प्रताप यादव के कई फैसलों पर तेजस्वी ने प्रश्नचिन्ह लगा चुके हैं. कहा जाता है कि आरजेडी में भी तेज प्रताप की भरपूर उपेक्षा की जाती है. इस बात का दर्द समय-समय पर तेज प्रताप बयान भी करते रहते हैं. आरजेडी के स्थापना दिवस पर भी तेज प्रताप ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी. लेकिन, ऐसा लगता है कि कार्यक्रम में तेज प्रताप ने लालू यादव को कुछ इशारा देने की कोशिश की थी. लेकिन, लालू इसे समझ नहीं पा रहे हैं या फिर समझना नहीं चाह रहे हैं. दरअसल, आरजेडी के स्थापना दिवस पर तेज प्रताप ने कहा था कि तेजस्वी यादव देश-दुनिया में व्यस्त रहते हैं. वो जब बाहर होते हैं, तो यहां का मोर्चा हम संभाल लेते हैं.

क्या तेज प्रताप अपने इस बयान से बिहार की कमान यानी प्रदेश अध्यक्ष का पद उन्हें सौंपने का इशारा दे रहे थे. ये बात तो तय है कि भविष्य में तेजस्वी यादव ही लालू की विरासत को संभालते हुए आरजेडी के अध्यक्ष होंगे. लेकिन, आरजेडी में तेज प्रताप यादव का क्या भविष्य होगा, इसे लेकर अभी भी संशय बरकरार है. तेज प्रताप आरजेडी में तेजस्वी के बराबर कद की चाहत तो रखते हैं. लेकिन, उन्हें अभी तक अपने छोटे भाई की छाया तले रहकर ही पार्टी में रहना पड़ा है. अगर आरजेडी में तेज प्रताप को तेजस्वी के समकक्ष लाने की कोशिश की जाएगी, तो तेज प्रताप को कम से कम प्रदेश अध्यक्ष बनाना ही पड़ेगा. फिलहाल तेजस्वी यादव बिहार में नेता प्रतिपक्ष भी हैं. वहीं, तेज प्रताप भी कई बार संकेत दे चुके हैं कि तेजस्वी यादव देश की राजनीति को संभालें और बिहार की राजनीति को उनके लिए छोड़ दें. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि तेजस्वी देश की राजनीति संभालें, उन्हें मेरा आशीर्वाद है.

जगदानंद सिंह से तेज प्रताप की अदावत

कहा जाता है कि लालू यादव ने आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को अपने दोनों बेटों के बीच दूरी कम करने का टास्क दिया था. शायद जगदानंद सिंह इस टास्क को पूरा करने में नाकामयाब रहे हैं. यही वजह है कि वो हर बार ही तेज प्रताप यादव के निशाने पर आ जाते हैं. छात्र आरजेडी की जिस बैठक के पोस्टर को लेकर बवाल चल रहा था, उसी बैठक में तेज प्रताप ने जगदानंद सिंह को हिटलर बता दिया. तेज प्रताप इतने पर ही नहीं रुके और कहा कि कुर्सी किसी की बपौती नहीं है. ये पहली बार नहीं है, जब जगदानंद सिंह तेज प्रताप के निशाने पर आए हों. इससे पहले आरजेडी के स्थापना दिवस पर भी जगदानंद सिंह के मोबाइल पर बिजी होने पर तेज प्रताप ने कहा था कि लगता हैं. अंकल हमसे नाराज हैं. कार्यक्रम में सरेआम इस तरह की बेईज्जती के बाद जगदानंद सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन, लालू यादव के मनाने पर वो मान गए थे. जगदानंद सिंह से तेज प्रताप यादव की अदावत की वजह प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तो नहीं है. ये सवाल पूरी तरह से नजर आता है.

चलती रहेगी तेज प्रताप और तेजस्वी में कोल्ड वॉर

तेज प्रताप यादव हर बार ऐसे किसी भी मामले के बाद तेजस्वी यादव को अर्जुन और खुद को कृष्ण बताते दिख जाते हैं. हालिया मामले में भी ऐसा ही हुआ है. तेज प्रताप यादव ने कहा कि तेजस्वी मेरे अर्जुन हैं और होने वाले मुख्यमंत्री हैं. लेकिन, लालू परिवार में चल रहा ये घमासान वक्त-बेवक्त सामने आ ही जाता है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि तेज प्रताप ने तेजस्वी को अपना अर्जुन मान लिया है. लेकिन, वो खुद को भी कृष्ण की भूमिका में रखते हैं. तो, इतना आसानी से कहा जा सकता है कि तेज प्रताप अपने छोटे भाई तेजस्वी से ऊपर न सही, लेकिन कम से कम उनके समकक्ष की भूमिका निभाने की ख्वाहिश रखते ही हैं. इस बात की पूरी संभावना है कि तेज प्रताप और तेजस्वी के बीच की ये कोल्ड वॉर आरजेडी में दोनों के समकक्ष न आने तक जारी ही रहेगी.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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