ये जांच है या मजाक - जब ऑक्सीजन की कमी नहीं तो सप्लायर दोषी कैसे?
अगर अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं थी तो पुष्पा सेल्स के सप्लाई बाधित करने से क्या फर्क पड़ता? अगर बच्चों की मौत के मामले में सप्लायर दोषी है तो इसका मतलब अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी थी.
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गोरखपुर में 60 से ज्यादा बच्चों की हुई मौत पर दो रिपोर्टें आई हैं. एक केंद्रीय जांच टीम की - और दूसरी, गोरखपुर के जिलाधिकारी की रिपोर्ट है. एक ही घटना की दो रिपोर्ट अपनेआप में इतनी विरोधाभासी हैं कि सरकारी दावों पर संदेह के लिए दिमाग पर जोर डालने की भी जरूरत नहीं पड़ती. केंद्रीय जांच टीम ने योगी सरकार के दावे पर ही मुहर लगायी है. उसका कहना है कि बच्चों की मौत की वजह ऑक्सीजन नहीं है. दूसरी तरफ, गोरखपुर के डीएम की रिपोर्ट में ऑक्सीजन के सप्लायर और अस्पताल में निर्बाध सप्लाई के लिए जिम्मेदार डॉक्टर को दोषी पाया गया है.
एक दूसरे पर सवाल उठाती दो जांच रिपोर्ट्स
गोरखपुर में बच्चों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए केंद्र सरकार ने डॉक्टरों की एक टीम भेजी थी. इस जांच दल के सदस्य दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग के प्रमुख हरीश चेलानी ने बताया है कि केस शीट और आंकड़ों की जांच की गई और उससे पता चलता है कि ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत नहीं हुई है.
थोड़ा बेहतर पर बहुत नहीं बदले हालात
अब अगर गोरखपुर के डीएम की रिपोर्ट देखें तो केंद्रीय जांच टीम का दावा झूठा लगता है. अब तो सवाल ये है कि दोनों में किस रिपोर्ट में सच्चाई है. विरोधाभासी दावों के चलते लगता है दोनों रिपोर्टों को किसी और जांच टीम के हवाले करना पड़ेगा.
गोरखपुर के जिलाधिकारी की रिपोर्ट
डीएम की रिपोर्ट के अनुसार, ऑक्सीजन की खरीद और रीफिलिंग से जुड़ी लॉग बुक में कई जगह ओवर राइटिंग हुई है. इस रिपोर्ट में पुष्पा सेल्स को लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित करने का जिम्मेदार बताया गया है. जांच में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ. आरके मिश्रा और एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ. सतीश कुमार 10 अगस्त को अनुपस्थित पाये गये हैं. रिपोर्ट में कॉलेज से दोनों की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाए गए हैं. दरअसल, डॉ. सतीश पर ही अस्पताल के तमाम वॉर्डों में ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी थी.
सवाल ये है कि अगर अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं थी तो पुष्पा सेल्स के सप्लाई बाधित करने से क्या फर्क पड़ता? अगर बच्चों की मौत के मामले में सप्लायर दोषी है तो इसका मतलब अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी थी - और ऑक्सीजन की कमी बच्चों की मौत का कारण बनी. सरकार के दावों पर सवाल खड़े करने की लिए ये दोनों रिपोर्ट ही काफी हैं - किसी और चीज की जरूरत नहीं लगती.
वरुण गांधी की पहल और केजरीवाल का एक्शन
गोरखपुर में बच्चों की मौत को लेकर बीजेपी सांसद फिरोज वरुण गांधी ने जो पहल की है वो शानदार है. साथ ही, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जो एक्शन लिया है वो भी बाकियों के लिए मिसला हो सकती है.
अस्पताल में जांच टीम
बच्चों को बेहतर इलाज मुहैया कराने को लेकर वरुण गांधी की पहल तारीफ के काबिल है. वरुण ने अपने संसदीय क्षेत्र सुल्तानपुर के सरकारी अस्पताल के बाल रोग विभाग में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एक स्पेशल यूनिट बनाने के लिये सांसद निधि से पांच करोड़ रुपये देने की घोषणा की है. वरुण ने ट्वीट कर ये भी बताया कि इस बारे में उन्होंने सुल्तानपुर के डीएम और सीएमओ से बात कर वहां के अस्पतालों में इलाज की सुविधाओं और इंतजामों के बारे में जानकारी ली.
Spoke to the DM & Chief Medical Superintendent. Have pledged Rs 5cr from my MPLAD funds to build a new state-of-the-art paediatrics wing in
— Varun Gandhi (@varungandhi80) August 14, 2017
अपने प्रेस स्टेटमेंट में वरुण ने कहा, "मैंने स्थानीय प्रशासन से छह महीने के भीतर इसका निर्माण कार्य पूरा करने को कहा है." इतना ही नहीं वरुण ने निजी प्रयासों से कापोर्रेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत अलग से पांच करोड़ रुपये के इंतजाम की भी बात कही है. साथ ही, वरुण ने साथी सांसदों से अपील की है कि वे भी अपने अपने इलाके में अत्याधुनिक बाल रोग अस्पताल बनाने के लिए आगे आयें.
केजरीवाल ने गोरखपुर की घटना से सबक लेते हुए दिल्ली के मेडिकल सुपरिटेंडेंट से पूछा है कि सरकारी अस्पताल में कौन-कौन सी दवाइयां उपलब्ध हैं और कौन सी दवाओं की कमी है. मुख्यमंत्री ने सरकारी अस्पतालों में जुलाई और अगस्त में दवाइयों के स्टॉक का डाटा तलब किया है और अगर दवाइयों की कमी हुई है तो उसकी वजह भी पूछी है. दिल्ली के सीएम ने अस्पताल में लगे उपकरणों पर भी स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है.
कितना अजीब लगता है गोरखपुर मामले में यूपी की योगी सरकार ने बहुत ही गैर जिम्मेदाराना रुख अख्तियार किया - और दिल्ली के मुख्यमंत्री एहतियातन खुद भी सक्रिय हैं और स्वास्थ्य विभाग को भी निर्देश दे रहे हैं.
बच्चे कब तक होंगे एनसेफेलाइटिस के शिकार?
सच में अगर वरुण गांधी की तरह बाकी सांसद और केजरीवाल की तरह दूसरे सीएम भी पहल करें तो गोरखपुर जैसी घटनाओं की भरपाई तो नहीं हो सकती लेकिन भविष्य में जान बचायी जा सकती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात में आम लोगों की ओर से हुई ऐसी सकारात्मक पहल का जिक्र किया करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी चाहें वरुण गांधी की पहल को वैसे ही आगे बढ़ा सकते हैं जैसे उन्होंने सांसदों को अपने इलाके से एक एक गांव गोद लेने की अपील की थी.
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