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Updated: 28 दिसम्बर, 2015 07:27 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र नामधारी सूट पहन कर निकलते तो हैं लेकिन खुद को जोर शोर से चाय वाला भी बताते हैं.

वो न तो 'मौत के सौदागर' कहे जाने की परवाह करते हैं, न 'सूट-बूट की सरकार' के हमले से घबराते हैं. वो बड़े ही सलीके से सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को चाय पर चर्चा के लिए बुलाते हैं.

भले ही वो शशि थरूर को वो 'पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड' बोल कर ताने मार चुके हों लेकिन ऑक्सफोर्ड में उसके बेहतरीन भाषण और भारत के लिए मुआवजा मांगने पर सार्वजनिक तौर पर उनकी दिल खोल कर तारीफ करते हैं.

लालकृष्ण आडवाणी को वो भले ही मार्गदर्शक मंडल में भेज देते हैं, पर राष्ट्रपति भवन में उन्हीं के साथ जोरदार ठहाके भी लगाते हैं. जिसके डीएनए में वो खामी खोज लेते हैं उसी नीतीश कुमार के साथ सार्वजनिक मंच पर बातचीत में मसरूफ भी नजर आते हैं. शायद इसीलिए वो गिलास को न आधा भरा न आधा खली देखते हैं, बल्कि उन्हें तो उसमें आधा हवा और आधा पानी नजर आता है. नरेंद्र मोदी शायद इसीलिए सियासत के नायाब खिलाड़ी हैं.

मोदी की शख्सियत के इन्हीं मुहानों को दर्शा रही हैं हाल फिलहाल और इस साल की कुछ तस्वीरें.

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मुलाकातों में क्या गिले शिकवे
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कभी रात दिन हम साथ थे
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मुलाकातों में क्या सियासत

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फिर चलेंगे साथ साथ?
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विचारधारा पीछे छोड़िए, साथ चलते हैं
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जो कुछ है वो आपकी इनायत है

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