New

होम -> सियासत

बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 23 मार्च, 2023 04:09 PM
अशोक भाटिया
अशोक भाटिया
 
  • Total Shares

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तीन दिन के रूस दौरे पर हैं. उनके इस दौरे का मकसद रूस और यूक्रेन में चल रही जंग का समाधान करना है. हालात बताते है कि रूस और चीन में लगातार संबंध मजबूत हो रहे हैं . हाल ही में शी जिनपिंग का एक लेख रूस के अखबार रशियन गजेट में छपा है. इसी लेख में शी जिनपिंग ने उक्त बात लिखी है. जिनपिंग ने लिखा कि 10 साल पहले जब वह चीन के राष्ट्रपति बने थे तो जिस देश का उन्होंने सबसे पहले दौरा किया था, वो रूस ही था.

बीते दस सालों में शी जिनपिंग 10 सालों में आठ बार मॉस्को की यात्रा कर चुके हैं. साथ ही पुतिन और जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वार्ताओं के जरिए कुल 40 बार मुलाकात हुई है. लेख में जिनपिंग ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने पर जोर दिया ताकि किसी देश के एकाधिकार, दबदबे को खत्म किया जा सके. शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन के बीच मंगलवार को मुलाकात हो रही हैं. जिनपिंग ने लिखा कि रूस और चीन ने मिलकर एक ब्लूप्रिंट तैयार किया है, जिसके तहत दोनों देश विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएंगे और दुनिया के बड़े मुद्दों पर समय समय पर बातचीत करते रहेंगे. इससे पहले चीन के विदेश मंत्री ने भी यूक्रेन के विदेश मंत्री से फोन पर बात की.

China, Xi Jinping, Russia, Ukraine, War, America, Peace, Agreement, Vladimir Putinरूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ शी जिनपिंग की दोस्ती यक़ीनन यूक्रेन को अच्छी नहीं लगेगी 

चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यूक्रेन और रूस बातचीत के दरवाजे खुले रखेंगे और राजनैतिक समझौते के दरवाजे को बंद नहीं करेंगे. हालांकि अमेरिका और यूरोप को साथ लिए बगैर रूस-यूक्रेन युद्ध में किसी समझौते पर पहुंचने की आशंका बेहद कम है क्योंकि अमेरिका और यूरोप लगातार यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं और रूस के हमले में यूक्रेन को काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में बिना यूक्रेन की समस्याओं को समझे किसी समझौते पर पहुंचना आसान नहीं होगा.

पुतिन भी जिनपिंग की यात्रा से उत्साहित है क्योकि जिनपिंग की रूस यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने युद्ध अपराध के आरोप में व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. माना जा रहा है कि यह गिरफ्तारी वारंट पुतिन की छवि को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जारी किया गया है क्योंकि क्रिमिनल कोर्ट में 123 देश सदस्य हैं. वहीं शी जिनपिंग की रूस यात्रा से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी उत्साहित हैं.

यूक्रेन मामले पर संतुलित रुख अपनाने के लिए व्लादिमीर पुतिन ने शी जिनपिंग को धन्यवाद भी कहा. उन्होंने कहा कि रूस और चीन के संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं. यूक्रेन युद्ध समाप्त करने की चीन की पहल का भी पुतिन ने स्वागत किया. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूस यात्रा पर पश्चिमी राजधानियों में कड़ी निगाह रखी जा रही है. यहां आम राय है कि शी चीन के बढ़ते कूटनीतिक प्रभाव का मुजाहिरा करने के लिए इस यात्रा पर निकले हैं.

शी जिनपिंग सोमवार को मास्को पहुंचे, जहां उनका असाधारण स्वागत किया गया. वहां पहुंचने के तुरंत बाद उनकी रूस के साथ राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से अनौपचारिक बातचीत हुई, जो साढ़े चार घंटों तक चलती रही. पश्चिमी विश्लेषकों के मुताबिक शी और पुतिन इस यात्रा को अमेरिकी नेतृत्व वाली विश्व व्यवस्था को खुली चुनौती देने का मौका बना रहे हैँ.

शी ने मास्को पहुंचने के बाद कहा- हम चाहते हैं कि दुनिया अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक चले, ना कि “किसी के” बनाए नियमों के तहत. इस टिप्पणी के जरिए शी ने अमेरिका पर सीधा निशाना साधा. कुछ अमेरिकी विश्लेषकों के मुताबिक अपने राष्ट्रपति की इस यात्रा के जरिए चीन खुद को शांति दूत के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है. चीन की तरफ से ऐसे संकेत दिए गए हैं कि राष्ट्रपति शी की एक खास कोशिश यूक्रेन युद्ध समाप्त कराने की होगी.

कुछ चीनी विश्लेषकों ने इसे ‘शांति के लिए यात्रा’ नाम भी दिया है. यह यात्रा सऊदी अरब और ईरान के बीच समझौता कराने में चीन को मिली कामयाबी के कुछ ही दिन बाद हो रही है. पिछले महीने चीन ने यूक्रेन युद्ध समाप्त कराने का अपना 12 सूत्री फॉर्मूला भी पेश किया था. टीवी चैनल सीएनएन के एक विश्लेषण के मुताबिक अमेरिका और यूरोप में शी की इस यात्रा को रूस के लिए उनके मजबूत समर्थन के रूप में देखा जा रहा है.

कुछ ही रोज पहले अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने ‘युद्ध अपराध’ के आरोप में पुतिन के खिलाफ वारंट जारी किया. इसके बावजूद शी अपनी यात्रा का कार्यक्रम पर अडिग रहे. इसके अलावा पश्चिमी राजधानियों में आशंका है कि इस यात्रा के दौरान शी रूस को हथियारों की आपूर्ति के लिए सहमत हो सकते हैं. कुछ हफ्ते पहले अमेरिका ने आरोप लगाया था कि चीन रूस को हथियार देने की तैयारी में है.

तब अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि अगर चीन ने ऐसा किया, तो उसे युद्ध को भड़काने वाला कदम माना जाएगा और तब अमेरिका उस पर प्रतिबंध लगा सकता है. तब चीन ने इस आरोप का मखौल उड़ाया था. इस सिलसिले में अब अमेरिकी अधिकारी शी की मास्को में हो रही वार्ताओं पर नजर रख रहे हैं. यूक्रेन की भी इस यात्रा पर कड़ी नजर है. वॉशिंगटन स्थित यूक्रेन की राजदूत ओकसाना मारकरोवा ने सीएनएन से बातचीत में कहा- ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि चीन इस भयानक युद्ध में रूस का साथी नहीं बनेगा.’

विश्लेषकों के मुताबिक मास्को में शी के सामने अपने को एक तटस्थ शांति दूत के रूप में पेश करने की चुनौती है. उनके सामने यह सुनिश्चित करने की चुनौती भी है कि अमेरिका और यूरोप चीन से और अधिक नाराज ना हो जाएं. यात्रा के मौके पर रूसी मीडिया में शी जिनपिंग का एक लेख छपा है. इसमें शी ने अपनी मौजूदा यात्रा को ‘दोस्ती, सहयोग और शांति’ के लिए यात्रा बताया है.

वैसे जानकर लोगों का कहना है कि कोई ठोस नतीजा निकलने की तो उम्मीद कम है, क्योंकि पहली बात यह है कि किसी भी तरह से वेस्टर्न वर्ल्ड नहीं चाहता है कि चीन का शांति में हस्तक्षेप हो या युद्ध में हस्तक्षेप हो. वो कभी नहीं चाहेंगे कि चीन इस युद्ध के मध्य में आए. लेकिन जो शांति वार्ता की बात कर रहे हैं और जिसके लिए चीनी मीडिया में कहा जा रहा है कि ये एक पीस विजिट है, उसके मद्देनजर ये बहुत अहम हो जाता है.

अगर हम चीन के 12 सूत्री कार्यक्रम को देखें तो पता चल जाएगा कि ये एक बहुत अच्छा शांति का कदम है जो न सिर्फ रूस या चीन या यूक्रेन के लिए है, बल्कि इन्होंने जो बात की है, सबसे पहले अगर आप ध्यान देंगे तो उसमें क्षेत्रीय अखंडता है, उसको बनाए रखना है. इसमें चीन का भी हित है. अगर बाद में चीन और ताइवान का कोई विवाद हो तो यह मसला उसमें भी आएगा. हालांकि 12 सूत्री इस कार्यक्रम में बहुत सारी चीजें हैं, लेकिन जो दूसरी सबसे बड़ी बात है, ये है कि कोल्ड वॉर मानसिकता को खत्म करना होगा. इसके चलते भी शांति प्रस्ताव उन्होंने ना सिर्फ पूरी दुनिया को पेश किया है, बल्कि अपने राष्ट्रीय हितों का भी वो प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

तीसरी बात वो कहते हैं, जो सबसे अहम है, वो कहते हैं कि जो यूक्रेन में पून्ह निर्माण होगा उसके लिए चीन पूरी तरह से तैयार हैं. यानी अपना कारोबारी हित भी वहां देख रहे हैं. जो शांति प्रस्ताव शी जिनपिंग ने लाए हैं उसका एंटनी ब्लिंकन ने भी स्वागत किया. लेकिन इसमें कई किंतु परंतु हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या युद्ध के मध्य में पाश्चात्य विश्व चीन के हस्तक्षेप को स्वीकार करेगा. मुझे नहीं लगता है, क्योंकि जिस दिन से चीन ने शांति पहल की बात की है, पूरा वेस्टर्न वर्ल्ड कहने लगा है कि ये पार्टी है, ये इस इनिशिएटिव के हिस्सा कैसे हो सकते हैं?

उन पर इल्जाम ये भी लगाया जा रहा था कि वो हथियार सप्लाई करने वाले हैं या बहुत सारे ड्रोन्स देने वाले हैं. ये सारी चीजें उस चीन को बदनाम करने के लिए भी थीं. लेकिन हां, यह जरूरी था कि कोई शांति पहल लाए. जितनी भी शांति पहल हो सकती है, उनमें यूनाइटेड नेशन्स पूरी तरह से बैकसीट लेकर बैठा है. अनाज सप्लाई पर यूक्रेन और रूस की डील हुई थी, उसमें तुर्किए ने मध्यस्थता की थी. अब तुर्किए में मई में चुनाव होने वाले हैं तो वो भी अभी शांत पड़ा है.

अब कोई ना कोई एक आस तो दिखती है लेकिन ये पूरी तरह स्वीकार होगा कि नहीं, इस पर बहुत सारे प्रश्न उठेंगे. चीन का जो सबसे पहला कदम है, वो कहता है कि विश्व में भौगोलिक अखंडता को सुरक्षित रखना है. तो ये एक बहुत बड़ी बात है. सैनिकों की वापसी का जिक्र उसमें नहीं है. लेकिन जब आप बात करते हैं कि टेरिटोरियल इंटेग्रिटी को कायम रखना है तो ये शायद इस चीज को भी दर्शाता है कि जो मौजूदा सीमाएं हैं, उनको तोड़ा नहीं जाएगा.

हालांकि वो स्पष्ट शब्दों में नहीं कहते है, लेकिन उसमें वो निहित है. लेकिन जो सबसे बड़ी प्रॉब्लम इसमें आएगी, वो ये कि क्या रूस वापस होना चाहेगा? अमेरिका या वेस्टर्न वर्ल्ड ये कह रहे हैं कि वो सीजफायर कराना चाहते हैं पर सीजफायर से क्या होगा? ये एक फ्रोज़न कॉनफ्लिक्ट में बदल जाएगा. ये ठंडे बस्ते में पड़ जाएगा और उस पर रूस का आधिपत्य रहेगा. सवाल यह भी उठता है कि चीन यह सब कसरत क्यों कर रहा है ? इसके कई और भी कारण है सऊदी अरब और ईरान के बीच दोस्ती कराने के बाद चीन अब रूस और यूक्रेन की दोस्ती कराना चाहता है.

एक्सपर्ट का मानना है कि इस पीस प्लान के जरिए चीन खुद को 'जिम्मेदार महान शक्ति' के रूप में दिखाने की कोशिश कर रहा है. हॉन्गकॉन्ग स्थित सिटी यूनिवर्सिटी में लॉ प्रोफेसर वांग जिआंग्यु ने न्यूज एजेंसी से कहा, 'जिनपिंग वैश्विक मंच पर एक ऐसे राजनेता के रूप में दिखना चाहते हैं, जिसका रूतबा कम से कम अमेरिकी नेता के बराबर हो.' - इतना ही नहीं, अगर चीन की वजह दोनों देशों के बीच जंग रूक जाती है तो इससे जिनपिंग को अपनी छवि सुधारने का मौका भी मिलेगा.

जिनपिंग ने कभी भी यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा नहीं की है, उल्टा रूस के साथ उसके संबंध और गहरे हुए हैं. ऐसे में अगर दोनों के बीच ग रुकवाने में चीन का हाथ होता है, तो जिनपिंग की छवि सुधर सकती है. - इतना ही नहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का ये पीस प्लान उसके लिए कम लागत में ज्यादा रिटर्न देने वाला है. सवाल यह भी उठता है कि क्या यूक्रेन इसे मानेगा?

जानकारों का कहना है कि - यूक्रेन कह तो चुका है कि इस जंग को खत्म करने के लिए चीन को रूस पर दबाव बनाना चाहिए. जिनपिंग के मॉस्को दौरे से पहले चीन के विदेश मंत्री किन गांग ने यूक्रेनी विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा से फोन पर बात की थी. दोनों के बीच पीस प्लान पर ही चर्चा हुई थी. - माना जा रहा है कि अपने पीस प्लान के लिए जिनपिंग यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से भी चर्चा करना चाहते हैं.

हालांकि, यूक्रेन भी इस पीस प्लान को मानेगा, इसे लेकर थोड़ा संदेह भी जताया जा रहा है. वो इसलिए क्योंकि यूक्रेन अमेरिका और यूरोपीय देशों के ज्यादा करीब है, जो चीन के विरोधी हैं. और यूक्रेन की सहमति के बिना ये शांति समझौता हो नहीं सकता. सवाल यह भी है कि लेकिन नहीं माना तो क्या होगा? तो अगर शांति समझौता अमल में नहीं आया और रूस-यूक्रेन की जंग में से कोई एक जीत गया?

अगर रूस और यूक्रेन में कोई एक भी जीतता है तो इसके भी गंभीर नतीजे हो सकते हैं. - बीजिंग स्थित एक विशेषज्ञ एइनर तांगेन ने एक न्यूज़ एजेंसी को बताया कि अगर इस युद्ध में रूस जीतता है तो उसे यूक्रेन के पश्चिमी क्षेत्रों में मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा, जिससे उसके संसाधनों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और पुतिन को भी खुद के देश में आलोचनाओं का सामना करना पड़ेगा. - तांगेन ने बताया कि अगर इस जंग में यूक्रेन जीत जाता है तो फिर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का खतरा बढ़ जाएगा. इससे ऐसे हालत बनेंगे, जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा. 

लेखक

अशोक भाटिया अशोक भाटिया

अशोक भाटिया, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक एवं टिप्पणीकार पत्रकारिता में वसई गौरव अवार्ड – 2023 से सम्मानित, वसई पूर्व - 401208 ( मुंबई ) फोन/ wats app 9221232130 E mail – vasairoad.yatrisangh@gmail।com

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय