तिहाड़ जेल की VIP सुविधाएं हैं ही ऐसी, चिदंबरम फायदा क्यों न उठाएं?
क्या वाकई में कानून के नजर में सब समान है. ना कोई आम है ना कोई खास. चिदंबरम के जेल जाने के बाद ये सवाल फिर उठने शुरू हो गए हैं. जिसका जवाब जानना हो तो ये पूरी स्टोरी पढ़ लीजिए.
-
Total Shares
दिल्ली की CBI कोर्ट ने INX Media मामले में पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता P Chidambaram को 19 सितंबर तक के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया है. इससे पहले कोर्ट में आवेदन दाखिल कर चिदंबरम ने तिहाड़ जेल में वेस्टर्न टॉयलेट, अलग बैरक, चश्मा, दवाएं और सुरक्षा की मांग की. इसके बाद कोर्ट ने चिदंबरम को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने की इजाजत दे दी. अब उनको कोर्ट के आदेश और जेल मैनुअल के मुताबिक तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.
अब इस मामले के बाद एक बार फिर से ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या अधिकृत रूप से जेल में VIP कैदियों को वीआईपी सुविधाएं मिलेंगी? क्या जेल में भी आम और खास में फर्क होगा? क्या कानून की नजर में भी सब समान होने के बजाय आम और खास होते हैं. तो इसका जवाब हां में हैं. क्योंकि ये पहला मामला नहीं है जब जेल में विशेष कैदियों को विशेष सुविधाएं दी जा रही है. बल्कि ऐसे ढेर सारे उदाहरण हैं जब कैदियों को जेल में भी जेल के मेहमान जैसी सुविधाएं दी गयी हैं.
19 सितंबर तक के लिए तिहाड़ जेल में रहेंगे पी. चिदंबरम
सुब्रत रॉय सहारा: एसी, मोबाइल, वीडियो-कान्फ्रेंसिंग की सुविधा मिली
निवेशकों के 20 हजार करोड़ रुपए न लौटाने के कारण सुब्रत रॉय सहारा को तिहाड़ जेल जाना पड़ा था. जहां उन्होंने विशेष सुविधाओं के लिए जेल प्रशासन को 31 लाख रूपये चुकाए थे. 57 दिनों के लिए उन्हें एयर-कंडिशंड रूम, मोबाइल, वाई-फाई और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा प्राप्त थी. जिसके लिए रोजाना वे 54.4 हजार रुपए चुकाते थे. इसके अलावा सुब्रत रॉय के जान के उपर खतरे को देखते हुए सुरक्षाकर्मी भी उपलब्ध करवाया गया था. हालांकि उन्हें ये सुविधाएं सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही मिली थी. क्योंकि उनकी तरफ से कोर्ट से ये अनुरोध किया गया था कि उन्हें अपनी जमानत के लिए आवश्यक 10,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए अपनी कुछ संपत्तियों को बेचनी पड़ेंगी. जिसके लिए उन्हें मोबाइल, इंटरनेट समेत तमाम चीजों की जरूरत होगी.
अमर सिंह: घर का खाना, मिनरल वॉटर, वेस्टर्न शौचालय
अमर सिंह ने जेल की सामान्य कठिनाइयों से बचने के लिए किडनी की समस्या का हवाला देते हुए कई तरह की अतिरिक्त सुविधाएं हासिल की थी. जिसके तहत उन्हें एक अलग वार्ड मिला था. जहां कोई दूसरा कैदी नहीं रखा गया था. उन्हें घर का खाना, मिनरल वाटर और एक वेस्टर्न शौचालय की अनुमति थी. उनके वार्ड की दिन में चार से पांच बार सफाई होती थी और मच्छरों से बचने के लिए कीटनाशक का छिड़काव होता था.
कनिमोझी: तमाम सुविधाओं के अलावा साउथ इंडियन डिशेज
नई दिल्ली और चेन्नई के सत्ता के गलियारों से होते हुए तिहाड़ पहुंची कनिमोझी का सेल दूसरे तमाम कैदियों के विपरीत काफी सुसज्जित था. उन्हें टीवी, लाइट, पंखा, अखबार और वेस्टर्न टॉयलेट की सुविधा मुहैया कराई गई थी. खाने में दक्षिण भारतीय व्यंजन यानी डोसा, इडली और सांभर भी उपलब्ध था. कनीमोझी के सेल की सुरक्षा के भी तगड़े इंतजाम थे.
मनु शर्मा: पब में जाने के लिए जेल से ब्रेक
जेसिका लाल मर्डर केस में तिहाड़ में उम्र कैद की सजा काट रहे मनु शर्मा हरियाणा के प्रभावशाली कांग्रेसी नेता विनोद शर्मा का बेटा है. और एक बड़े आर्थिक साम्राज्य का मालिक भी है. बताया जाता है कि मनु शर्मा तिहाड़ के सीईओ की तरह काम करता है. तिहाड़ जेल को वह किसी कंपनी की तरह चलाता है. जहां मनु शर्मा कैदियों को काम भी बांटता है. रोटी बेलने, सेंकने से लेकर फर्नीचर बनाने तक. उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि उसके तरफ से पहली बार तिहाड़ जेल को 30 हजार स्कूल डेस्क बनाने का ठेका मिला था. मनु शर्मा का तिहाड़ जेल के अंदर रसूख का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि एक बार वह पैरोल पर जेल के बाहर आया तो था मां की बीमारी के बहाने, लेकिन उसे दोस्तों के साथ डिस्कोथेक में मौज-मस्ती करते हुए देखा गया था.
पैसे से जेल में भी खरीद सकते हैं 'आजादी'!
तिहाड़ जेल के शक्तिशाली कैदियों के लिए विशेष विशेषाधिकार की कहानियां पहली बार तब सामने आईं जब 1978 में मारुति उद्योग विवाद को लेकर कांग्रेस नेता संजय गांधी को 30 दिन जेल की सजा सुनाई गई थी. तब उनपर जेल से ही सरकार चलाने के आरोप लगे थे. उन्हें घर जैसी तमाम सुविधाएं दी गयी थी. इसके अलावे हाल के वर्षों में राष्ट्रमंडल खेल घोटाले में जेल गए सुरेश कलमाड़ी, 2जी घोटाले में जेल गए ए राजा, शाहिद बलवा और विनोद गोयनका, पप्पू यादव, क्रिकेटर एस श्रीसंत समेत तमाम वीआईपी कैदियों ने वीआईपी सुख-सुविधाओं का आनंद लिया था. जिसमें टीवी, अखबार, मिनरल वाटर से लेकर फाइव स्टार होटलों से मंगाया गया खाना तक दिया जाता था. इसमें कई सुविधाएं जेल अधिकारियों को पैसे देकर अवैध रुप से भी हासिल की गई थीं.
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हथेलियों में पैसे रखकर जेल में आज़ादी खरीदी जा सकती है. अधिकारी ने कहा कि कैदियों को आसानी से शराब, सिगरेट, घर में पका हुआ भोजन, मोबाइल फोन, एयर कंडीशनिंग, टीवी समेत तमाम विलासिता वाली चीजें हासिल की जा सकती है. इसी तरह 2002 में वरिष्ठ पत्रकार इफ्तिखार ने 'जेल में कटे वो दिन' किताब लिखी थी. जिसमें उन्होंने लिखा था कि जेल के अंदर रिश्वत सबसे सुरक्षित शर्त है. पैसा आपको घरेलू मदद लेने, घर का खाना खाने में मदद कर सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि अधिकारियों द्वारा आपके साथ अच्छा व्यवहार हो. यह अंदर की एक अलग दुनिया है.
ये भी पढ़ें-
तिहाड़ में और भी हैं बड़े नाम वाले कैदी
जुर्म की दुनिया के VIP जब जेल में बने मजदूर !
आपकी राय