बंगाल का बवाल क्या 2021 चुनाव के बाद ही थमेगा?
पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के पहले से चली आ रही हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही हैं. और चुनाव परिणाम के बाद भी ये सिलसिला जारी है. चुनाव परिणाम के बाद से अब तक करीब 20 लोग इसका शिकार हो चुके हैं जिसमें दोनों दलों- टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ता शामिल हैं.
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पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के भाटपाड़ा में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है. धारा 144 लागू होने के बावजूद शुक्रवार को दो बाइक सवारों ने देसी बम फोड़कर तनाव को बढ़ाने का काम किया जिसको देखते हुए एहतियातन क्षेत्र में इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ीं और पुलिस के साथ-साथ रैपिड एक्शन फोर्स को तैनात किया गया है. खबरों कि मानें तो सत्तारूढ़ टीएमसी और बीजेपी से संबद्ध दो गुटों के बीच बृहस्पतिवार को हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई थी और 11 घायल हो गए थे. पुलिस ने हिंसा के मामले में अब तक 16 लोगों को गिरफ्तार किया है. बीजेपी ने राज्य प्रशासन पर टीएमसी के कार्यकर्ताओं की तरह काम करने का आरोप लगाया है तो वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दोषियों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है.
अभी हाल ही में कूच बिहार जिले में बीजेपी की युवा शाखा के कार्यकर्ता आनंदपाल की हत्या कर दी गई थी. बीजेपी ने इसे लेकर एक सोशल मीडिया पोस्ट भी लिखा था. पार्टी ने लिखा था कि "भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के कार्यकर्ता 28 वर्षीय आनंद पाल की मंगलवार को कूच बिहार जिले के नताबारी इलाके में तृणमूल कांग्रेस के गुंडों ने बेरहमी से हत्या कर दी." इसमें आगे कहा गया कि "क्या (मुख्यमंत्री) ममता बनर्जी में कोई दया नहीं है? यह बंगाल के इतिहास का सबसे काला दौर है."
#WATCH West Bengal: Police use baton to remove locals from the spot in Bhatpara in North 24 Parganas, as a BJP delegation visits the area. pic.twitter.com/wyE7vdJOq6
— ANI (@ANI) June 22, 2019
बता दें कि टीएमसी ने भी आनंदपाल को अपना कार्यकर्ता बताया था. आनंदपाल के बड़े भाई गोविंद पाल ने कहा कि उसका भाई पहले टीएमसी का कार्यकर्ता था, बाद में वह बीजेपी में आ गया था. इसके कुछ ही दिन पहले बीजेपी ने दावा किया था कि उसके कार्यकर्ता सरस्वती दास की बंगाल के बशीरहाट में हत्या कर दी गई. पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के पहले से चली आ रही हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही हैं और चुनाव परिणाम के बाद भी ये सिलसिला जारी है. प्रदेश में लगातार हो रही इन हत्याओं का कोई आधिकारिक आंकड़ा तो मौजूद नहीं है लेकिन खबरों के मुताबिक चुनाव परिणाम के बाद से अब तक करीब 20 लोग इसका शिकार हो चुके हैं जिसमें दोनों दलों- टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ता शामिल हैं.
पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम के बाद से अब तक करीब 20 लोग हिंसा का शिकार हुए हैं
15 जून को गृह मंत्रालय ने प्रदेश सरकार को प्रदेश में हुई राजनीतिक हत्याओं को लेकर एक एडवाइजरी भेजी थी जिसमें कहा गया है कि चार सालों में 183 लोगों कि हत्या हुई है.
साल | राजनीतिक हत्या |
2019 | 26 |
2018 | 96 |
2017 | 25 |
2016 | 36 |
प्रदेश में हो रही इन हिंसाओं से इतना तो साफ है कि कई जगह बीजेपी नई ताकत बन चुकी है तो वहीं टीएमसी अपनी ज़मीन बचाने की पुरजोर कोशिश कर रही है. हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी की सीटें पश्चिम बंगाल में दो से बढ़कर 18 तक हो गयी हैं और वो टीएमसी से महज़ चार सीट ही पीछे है. इतना ही नहीं बीजेपी का वोट प्रतिशत भी काफी बढ़ गया है जो टीएमसी के लिया बड़ा सिरदर्द बन चुका है. अगर हम 2011 विधानसभा चुनाव नतीजों से दोनों दलों की स्थिति की समीक्षा करें तो उसके बाद टीएमसी का प्रदर्शन बहुत गिरा है.
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