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Updated: 22 जुलाई, 2017 05:01 PM
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गुजरात में भी वक्त से पहले चुनाव कराये जाने के कयास लगाये जा रहे थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अब ममता बनर्जी अगले ही साल आम चुनाव की आशंका जता रही हैं. वैसे आम चुनाव मोदी सरकार के पांच साल पूरे होने पर 2019 में होने हैं.

इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता ने 9 अगस्त से 'बीजेपी भारत छोड़ो आंदोलन' शुरू करने का ऐलान किया है. तो क्या ममता की पार्टी टीएमसी की बीजेपी विरोधी मुहिम चुनावी तैयारियों का हिस्सा है?

2019 या 2018?

वक्त से पहले चुनाव की संभावना से इंकार करना मुश्किल है, लेकिन उसके पीछे ठोस तर्क जरूरी हो जाते हैं. ममता बनर्जी ने कहा है कि उन्हें समय से पहले आम चुनाव कराये जाने के बाबत जानकारी मिली है. इस पर भी ममता का कहना है कि वो और उनकी पार्टी इसके लिए तैयार है.

यूपी चुनाव में बीजेपी को मिली जीत के बाद गुजरात में भी समय से पहले चुनाव कराये जाने की संभावना जतायी जा रही थी. फिर समझ आया ऐसा कुछ नहीं है. माना जा रहा था कि सत्ताधारी बीजेपी अपने पक्ष में बने माहौल का फायदा उठाने के लिए ऐसा कर सकती है. आम चुनाव को लेकर ममता बनर्जी को मिली जानकारी पर भी यही बात लागू होती है.

mamata banerjeeममता की संपूर्ण क्रांति...

ममता को मिले इनपुट का आधार जो भी रहा हो, ये तो साफ है कि बीजेपी से मुकाबले के लिए वो बड़ी मुहिम की तैयारी में हैं, बशर्ते विपक्ष एकजुट होकर उनका साथ भी दे.

'BJP भारत छोड़ो!'

बीजेपी के खिलाफ सबसे बड़ी और सबसे पहले कॉल नीतीश कुमार ने बनारस पहुंच कर दी थी - 'शराब मुक्त समाज और संघ मुक्त भारत'. नीतीश को उनके महागठबंधन के साथियों का सपोर्ट तो दूर उल्टे हमले भी झेलने पड़े थे. अब बीजेपी के खिलाफ हल्ला बोल की तैयारी लालू प्रसाद कर रहे हैं - 27 अगस्त को पटना में 'बीजेपी हटाओ, देश बचाओ' रैली की तैयारी चल रही है. इस रैली में उन तमाम विपक्षी दलों के शामिल होने की अपेक्षा है जो सोनिया गांधी के लंच और करुणानिधि के बर्थडे में शामिल हुए थे. बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने रैली को लेकर कम्पोज हुआ एक गाना भी शेयर किया है.

नीतीश और लालू के बाद अब ममता बनर्जी ने भी बीजेपी के खिलाफ बड़ी मुहिम का ऐलान कर दिया है. ममता बनर्जी का ये अभियान भारत छोड़ो आंदोलन की तारीख 9 अगस्त यानी लालू की रैली से भी पहले शुरू होगा. इन अभियान को नाम दिया गया है - 'बीजेपी भारत छोड़ो आंदोलन'. कहा तो ये जा रहा है कि ये आंदोलन पूरे देश में चलाया जाएगा, लेकिन ये मुमकिन तो तभी हो पाएगा जब पूरा विपक्ष ममता को सपोर्ट करे. ये आंदोलन 9 अगस्त को शुरू होकर 30 अगस्त तक चलेगा.

18 दलों का निकला दम!

ममता बनर्जी इस आंदोलन के पीछे 18 दलों के दम होने का दावा कर रही हैं. ये 18 दल वे ही हैं जो उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी का समर्थन कर रहे हैं. इनमें 18वां दल नीतीश कुमार का जेडीयू है. यहां सवाल ये उठता है कि क्या नीतीश कुमार ममता के इस अभियान को सपोर्ट करेंगे? लालू की प्रस्तावित रैली से जेडीयू पहले ही कन्नी काट चुका है जबकि नीतीश ने न्योता मिलने पर रैली में शामिल होने की बात कही है. सवाल सिर्फ नीतीश का ही नहीं बाकी कई और दलों को लेकर भी है.

विपक्षी एकता की हालत बताने के लिए दो घटनाएं काफी हैं - जीएसटी का जश्न और राष्ट्रपति चुनाव. मोदी सरकार द्वारा संसद में आधी रात को आयोजित जीएसटी के जश्न में विपक्षी एकता के नाम पर सिर्फ कांग्रेस, आरजेडी और तृणमूल ही विरोध में खड़े नजर आये. राष्ट्रपति चुनाव में भी नीतीश कुमार द्वारा एनडीए उम्मीदवार का समर्थन किये जाने के बाद ओडीशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और एआईएडीएमके भी साथ हो गये. नतीजे के साथ तो अब क्रॉस वोटिंग का मामला भी साफ हो ही चुका है.

ममता कह रही हैं कि बंगाल सोनिया गांधी, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल, लालू प्रसाद, नवीन पटनायक और उन सभी के साथ है जो बीजेपी के विरोध में खड़ा है.

पूरी तस्वीर साफ होने के बावजूद मालूम नहीं ममता किस भरोसे सभी के साथ होने की बात कर रही हैं. राष्ट्रपति चुनाव में पूरे दलित विमर्श के दौरान अरविंद केजरीवाल अछूत बने रहे. नोटबंदी के मुद्दे पर नीतीश कुमार के साथ ममता का 36 का रिश्ता सामने आ चुका है. रैली के लिए पटना पहुंची ममता ने नीतीश से मुलाकात तक नहीं की - और उन्हें लगता है कि उनके आंदोलन को साथ मिलेगा तो क्या कहा जाये?

ममता का कहना है कि अगले लोक सभा चुनाव में महागठबंधन मोदी सरकार को उखाड़ फेंकेगा. अब विपक्ष के जो रंग ढंग दिख रहे हैं उससे तो ये सब मुंगेरी लाल के हसीन सपने ही लगते हैं. बेहतर होता ममता बनर्जी फिलहाल पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था पर खुद को फोकस करतीं और 'मां, माटी और मानुष' के अपने वादों पर काम करतीं - वरना, राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग उनके घर में भी हुई है और इसका मतलब वो अच्छी तरह समझती हैं.

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