त्रिपुरा में लेनिन का गिरना केरल के लिए संकेत है
चुनाव में तो सीपीआई(एम) को हराकर वामपंथ के सफाए की सिर्फ शुरुआत भर हुई थी, असली सफाए का नजारा तो चुनावी नतीजे आने के बाद त्रिपुरा की सड़कों पर देखने को मिला.
-
Total Shares
हाल ही में भाजपा ने त्रिपुरा चुनाव में जीत हासिल की और करीब 25 सालों से त्रिपुरा पर राज कर रही सीपीआई(एम) को हरा दिया. त्रिपुरा में हुए चुनावों के नतीजे आते ही भाजपा ने यह दिखा दिया कि त्रिपुरा के लोग सीपीआई(एम) से खुश नहीं हैं, इसीलिए तो जनता ने उन्हें हराकर सत्ता का ताज भाजपा के सिर सजा दिया. इसी जीत के बाद लोग कह रहे थे कि भाजपा ने वामपंथ का सफाया कर दिया है. लेकिन मामला इससे भी अधिक बड़ा है. चुनाव में तो सीपीआई(एम) को हराकर वामपंथ के सफाए की सिर्फ शुरुआत भर हुई थी, असली सफाए का नजारा तो चुनावी नतीजे आने के बाद त्रिपुरा की सड़कों पर देखने को मिला. सड़कों पर दिखा नजारा डरावना भी है और केरल में होने वाले चुनाव को लेकर एक संकेत भी. मुमकिन है कि इस तरह वामपंथी लोगों और उनसे जुड़े स्मारकों पर हमले से न केवल त्रिपुरा से वामपंथ को खत्म करने में मदद मिलेगी, बल्कि केरल चुनाव में भी यह सीपीआई(एम) कार्यकर्ताओं और नेताओं में एक डर पैदा कर सकता है.
त्रिपुरा चुनाव के नतीजों में भाजपा की जीत के दो दिन बाद ही भाजपा समर्थकों ने वामपंथ से जुड़ी हर चीज का सफाया करने का एक अभियान जैसा शुरू कर दिया है. इसके तहत रूसी क्रांति के नायक व्लादिमिर लेनिन के पुतले पर भी बुल्डोजर चला दिया गया. त्रिपुरा के बेलोनिया कॉलेज स्क्वायर में स्थित इस पुतले को करीब 5 साल पहले स्थापित किया गया था. सोमवार दोपहर के बाद कुछ भाजपा समर्थक बुल्डोजर के साथ यहां पहुंचे और 'भारत माता की जय' का नारा लगाते हुए पुतले को गिरा दिया. कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का तो ये भी कहना है कि पुतला गिरने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने लेनिन के सिर से फुटबॉल खेला. वामपंथ के लोग इस बात से काफी नाराज भी हैं. एक राज्य से किसी पार्टी का सफाया करने का ये तरीका खतरनाक तो है, लेकिन यही सच भी है. ऐसा नहीं है कि भाजपा की जीत के बाद सिर्फ लेनिन का पुतला गिराने की घटना सामने आई है, बल्कि कई सीपीआई(एम) के दफ्तरों में भी तोड़-फोड़ किए जाने की खबरें सामने आ रही हैं.
#WATCH: Statue of Vladimir Lenin brought down at Belonia College Square in Tripura. pic.twitter.com/fwwSLSfza3
— ANI (@ANI) March 5, 2018
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राम माधव ने पुतला गिराने की एक तस्वीर के साथ ट्वीट भी किया और अपनी खुशी का इजहार किया. उन्होंने ट्वीट में लिखा- लोग लेनिन का पुतला गिरा रहे हैं... ये रूस में नहीं, बल्कि त्रिपुरा में है... 'चलो पलटाई'. हालांकि, बाद में किन्हीं कारणों से उन्होंने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया. हो सकता है कि उनके किसी फैन को या पार्टी के किसी बड़े नेता को उनका ये ट्वीट अच्छा न लगा हो.
इसके अलावा सीपीआई(एम) के कई पार्टी दफ्तरों पर हमला होने की खबरें भी सामने आई हैं. सीपीआई(एम) ने तो भाजपा पर आरोप लगाया है कि उनके दफ्तरों पर हमले की 1500 घटनाएं हुई हैं, जिसमें 514 पार्टी लीडर और समर्थक घायल भी हुए हैं. इस तरह की खबरें भी सामने आई हैं कि यह हमले न सिर्फ पार्टी दफ्तरों पर किए जा रहे हैं, बल्कि सीपीआई(एम) कार्यकर्ताओं और नेताओं की प्रॉपर्टी पर भी हो रहे हैं. पार्टी समर्थकों के करीब 200 घरों को नुकसान पहुंचाने की बात कही जा रही है. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता मृणाल कांति देब ने कहा है कि उन्हें न तो इस तरह की किसी घटना की जानकारी है, ना ही ऐसा कुछ भारतीय जनता पार्टी ने करने को कहा था. सवाल ये है कि भले ही ऐसा करने को किसी ने नहीं कहा था, लेकिन लोगों के घरों को जलाने और तोड़ने की तस्वीरें तो सामने हैं. जिनके घर तोड़े गए हैं या फिर जिनके साथ मारपीट की गई है उनका क्या? दोषियों की तलाश करने और उन्हें सजा दिलाने की दिशा में क्या किया जा रहा है?
Visuals of CPI (M) offices vandalised in different locations in #Tripura. pic.twitter.com/YUxpzRTksl
— ANI (@ANI) March 5, 2018
कई जगह हुई हिंसा
त्रिपुरा में मामला अभी तक तो सिर्फ मूर्ति तोड़ने और सीपीआई(एम) के कार्यकर्ताओं से मारपीट करने का लग रहा है, लेकिन यह मामला इससे भी बड़ा है. इसे लेकर कई जगह छुटपुट हिंसा की खबरें भी सामने आई हैं, जो आने वाले समय में एक विकराल रूप ले सकती हैं. हिंसा की खबरों के बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यपाल और डीजीपी से बात भी की है और नई सरकार के सत्ता संभालने तक राज्य में शांति सुनिश्चित करने को कहा है. आपको बता दें कि 8 मार्च को शपथ ग्रहण के बाद नई सरकार सत्ता संभालेगी. सीपीआई(एम) ने भाजपा और आरएसएस पर इसका आरोप लगाया है. साथ ही गवर्नर को भी इसमें शामिल होने की बात कही है. आरोप है कि हिंसा भड़काने के लिए यही लोग जिम्मेदार हैं.
Attacks in #Tripura are now being coordinated in a centralized way by BJP-IPFT leadership. Left got 45% vote. BJP-IPFT wants to use their newly acquired power to smash that support base thru physical attacks, torching of offices, intimidation & bullying.#StandByTripuraLeft pic.twitter.com/dcXq1l2ow0
— CPI (M) (@cpimspeak) March 6, 2018
Hundreds of cadre are unable to go to their homes because of violence and threats of violence by the BJP-IPFT.#StandByTripuraLeft pic.twitter.com/sqnCzNk8vK
— CPI (M) (@cpimspeak) March 6, 2018
All over India CPIM units and well wishers in social movements have been expressing their concern and also solidarity over these attacks.#StandByTripuraLeft pic.twitter.com/aFrsbYXD8i
— CPI (M) (@cpimspeak) March 6, 2018
जिस तरह से इन दिनों त्रिपुरा में सीपीआई(एम) पर ताबड़तोड़ हमले हो रहे हैं, वैसा ही कुछ पश्चिम बंगाल में भी देखने को मिला था. अगस्त 2016 में तो सीपीआई(एम) ने सत्ताधारी पार्टी टीमसी पर आरोप लगाया था कि उनके कार्यकर्ताओं ने पिछले 5 सालों में सीपीआई(एम) के 183 कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी है और करीब 2000 कार्यकर्ता घायल हुए हैं. आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में भी करीब 25 सालों तक वामपंथ ही सत्ता पर काबिज थी. तो क्या जैसा माहौल पश्चिम बंगाल में सीपीआई(एम) की हार के बाद पैदा हुआ था, वैसा ही हाल त्रिपुरा का भी होगा? शुरुआती घटनाएं तो उसी ओर इशारा कर रही हैं, लेकिन ये हमले और हिंसा कब पूरी तरह से रुकेंगे, ये तो आने वाला समय ही बताएगा.
ये भी पढ़ें-
त्रिपुरा चुनाव में भाजपा की जीत में योगी आदित्यनाथ की अहम भूमिका
त्रिपुरा परिणाम और क्रांति की गप हांकते क्रांतिकारी कॉमरेड!
त्रिपुरा में बीजेपी के सिफर से शिखर तक का शानदार सफर काफी दिलचस्प है
आपकी राय