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Updated: 22 जून, 2015 05:36 PM
परवेज़ सागर
परवेज़ सागर
  @theparvezsagar
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भाजपा महासचिव राम माधव उपराष्ट्रपति पर ट्वीट करके फंस गए हैं. उन्हें अपने आरोपों से पीछे हटना पड़ा. माफी तक मांगनी पड़ी. बीजेपी में उनकी अहमियत किसी से छिपी नहीं है. उन्हें पर्दे के पीछे रहकर काम करने के लिए जाना जाता है. लेकिन कभी-कभी इंसान का अति उत्साह उसके लिए परेशानी का सबब भी बन जाता है. ऐसा ही उनके साथ भी हुआ.

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर राम माधव के निशाने पर थे राज्यसभा अध्यक्ष हामिद अंसारी और उनके अधीन आने वाला राज्यसभा टीवी. जरिया था ट्विटर:

  1. आरोप लगाया कि राज्सभा टीवी ने राजपथ पर हुए योग कार्यक्रम का प्रसारण नहीं किया और उसे ब्लैक आउट रखा.
  2. फिर लिखा राष्ट्रपति को कार्यक्रम में आए थे, लेकिन उपराष्ट्रपति अनुपस्थ‍ित रहे.
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इन दोनों ही तथ्यों में राम माधव को मुंह की खानी पड़ी. राज्यसभा टीवी पर लगे आरोपों का जवाब सीईओ गुरदीप सिंह सप्पल ने ट्वीट करके ही दिया, बताया, 'आधारहीन अफवाहें. राज्यसभा टीवी ने न केवल राजपथ पर आयोजित कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया बल्कि आज योग पर तीन वृत्तचित्र और एक विशेष रिपोर्ट भी दिखाई.' उन्होंने बाद में फिर ट्वीट करके कहा , 'एक बार फिर RSTV के खिलाफ बेबुनियाद अफवाह - कि हमने योग दिवस का ब्लैक आउट किया. सरासर झूठ. आज राजपथ और योग कॉन्फ्रेस से RSTV पर लाइव रहा.'

फिर जवाबी कार्रवाई की बारी थी उपराष्ट्रपति के दफ्तर की. वहां से एक बयान जारी किया गया कि उन्हें योग दिवस के कार्यक्रम में आमंत्रित ही नहीं किया गया. उपराष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से यह बयान आने के बाद राम माधव ने माफी मांगी और कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उपराष्ट्रपति बीमार हैं. इसके बाद फिर से उपराष्ट्रपति के ऑफिस ने एक बयान जारी करके कहा कि उपराष्ट्रपति के बीमार होने की बात सही नहीं है. उपराष्ट्रपति उन कार्यक्रमों में शरीक होते हैं, जिनमें उन्हें प्रोटोकाल के तहत आमंत्रित किया जाता है.

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दरअसल राम माधव की प्रतिक्रिया की तेजी को राजनीति से प्रेरित मानकर ही देखा जाना चाहिए. उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी राज्यसभा के सभापति हैं, जहां एनडीए सरकार अल्पमत में है. शायद इसी बात की बौखलाहट है कि हामिद अंसारी को दूसरी बार ऐसे सार्वजनिक रूप से बदनाम करने की कोशिश की गई. अभी ज्यादा वक्त नहीं बीता है. बात इसी साल के गणतंत्र दिवस समारोह की है. ओबामा मुख्य अतिथि थे. राजपथ पर ध्वजारोहण के वक्त उपराष्ट्रपति ने प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सलामी के लिए हाथ नहीं उठाया था. क्योंकि नियम है कि गणतंत्र दिवस की परेड में सेना से सलामी लेने का हक सिर्फ राष्ट्रपति का होता है. अगर राष्ट्रपति अनुपस्थित हो तो उस हालात में उपराष्ट्रपति सलामी ले सकते हैं. मगर इस मामले को भाजपा और भगवा ब्रिगेड के नेताओं ने अति उत्साह में हवा दी. सोशल मीडिया पर उपराष्ट्रपति के खिलाफ कई अभद्र टिप्पणियां की गई. उन्हें गद्दार तक कहा गया. लेकिन जब हकीकत पता चली तो उपराष्ट्रपति के खिलाफ अभियान चलाने वालों को सांप सूंघ गया.

संघ की पाठशाला में पढ़ लिखकर आए राम माधव प्रतिभाशाली नेता माने जाते हैं. मगर उनका ऐसा आचरण, कुछ सोचने पर मजबूर करता है. उनके ट्वीट इसलिए तो नहीं थे कि अंसारी कांग्रेस से आते हैं? या इसलिए तो नहीं कि वे अल्पसंख्यक हैं?

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लेखक

परवेज़ सागर परवेज़ सागर @theparvezsagar

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में असोसिएट एडिटर हैं.

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