Uddhav Thackeray को मोदी के जीवनदान के बाद महाराष्ट्र बीजेपी की ब्लैक फ्राइडे मुहिम!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की तरफ से बड़ी राहत पाने वाले उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की मुश्किलें नये सिरे से शुरू हो चुकी हैं. महाराष्ट्र बीजेपी (Maharashtra BJP) ने ठाकरे सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है.
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महाराष्ट्र में भारी कोरोना वायरस संकट के बीच ही बीजेपी (Maharashtra BJP) ने उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) सरकार के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत भी कर डाली है. उद्धव ठाकरे की सरकार पर कोरोना वायरस को काबू में करने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए बीजेपी का ‘महाराष्ट्र बचाओ’ आंदोलन शुरू हो चुका है. बीजेपी की ये मुहिम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की वजह से उद्धव ठाकरे की कुर्सी को मिले जीवनदान के ठीक बाद चलायी जा रही है.
उद्धव सरकार में शामिल कांग्रेस ने इस मुहिम को 'भाजपा बचाओ आंदोलन' करार दिया है - और इसके साथ ही ट्विटर पर #महाराष्ट्रद्रोहीBJP बनाम #MaharashtraBachao हैशटैग भी ट्रेंड करने लगे हैं.
उद्धव ठाकरे के खिलाफ बीजेपी की मुहिम
उद्धव ठाकरे सरकार के खिलाफ महाराष्ट्र बीजेपी की मुहिम काफी हद तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कोरोना वॉरियर्स की हौसला अफजाई के लिए अपनायी गयी ताली-थाली बजाओ और दीया जलाओ मुहिम जैसी ही लगती है. बस थोड़ा सा फर्क है और वो ये कि इसे मौन प्रदर्शन का रूप दिया गया है.
लेकिन इतना तो लगता ही है कि जो तरीका प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना से जंग के लिए अपनाया, महाराष्ट्र बीजेपी उद्धव ठाकरे की महाविकास आघाड़ी सरकार के खिलाफ अपना रही है. बीजेपी की अपील पर उसके समर्थकों ने अपने घर के बाहर या बालकनी पर मुहं पर काला मास्क लगाकर हाथों में तख्ती लिये मौन प्रदर्शन किया.
महाराष्ट्र बीजेपी की इस मुहिम से ठीक पहले उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से महाराष्ट्र में विधान परिषद चुनाव कराने की गुजारिश की थी और अब तो उद्धव ठाकरे निर्विरोध विधायक चुन भी लिये गये हैं. दरअसल, उद्धव ठाकरे को 28 से पहले राज्य के किसी भी सदन से विधायक बनना जरूरी था नहीं तो उनको मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ता. उद्धव ठाकरे को इस संकट से बचाने में प्रधानमंत्री मोदी ही मददगार साबित हुए.
वैसे पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अब भी अपना डिस्क्लेमर याद दिलाना नहीं भूल रहे हैं कि 'संकट के इस दौर में वो राजनीति करना नहीं चाहते', लेकिन ये भी कह रहे है कि जब 'जनता में कोरोना संकट लगातार बढ़ रहा है' तो ऐसे समय में चुप रहना भी मुमकिन नहीं है.
महाराष्ट्र में कोरोना संकट के बीच बीजेपी ने महाराष्ट्र बचाओ मुहिम शुरू की है
26 अप्रैल को बीजेपी नेताओं ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन किया था. हालांकि, उस आंदोलन से जनता को नहीं जोड़ा गया था. वीडियो कांफ्रेंसिंग के इस दौर में बीजेपी नेताओं ने अपने अपने घर पर ही धरना दिया था. ममता बनर्जी पर भी बीजेपी का आरोप रहा है कि वो कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में ठीक से काम नहीं कर रही हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तो ममता बनर्जी को पत्र भी लिख चुके हैं और नोटिस भी भेजे गये हैं. महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में थोड़ा फर्क ये है कि ममता बनर्जी के खिलाफ राज्यपाल जगदीप धनखड़ जहां रह रह कर हमले बोलते रहते हैं वहीं महाराष्ट्र में भगत सिंह कोश्यारी ऐसा कुछ नहीं करते. हां, उद्धव ठाकरे को लेकर महाराष्ट्र कैबिनेट के प्रस्ताव जब तक संभव हुआ वो जरूर लटकाये रहे.
महाराष्ट्र में केरल मॉडल की मिसाल
राजनीति के तौर तरीके भी कितने अजीब होते हैं. महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार को नाकाम साबित करने के लिए बीजेपी को केरल की मिसाल देनी पड़ रही है. तो क्या ये मान लिया जाये कि बीजेपी के पास कोई ऐसी सरकार नहीं है जिसने कोरोना पर काबू पाने की मिसाल पेश कर पायी हो और उद्धव ठाकरे के सामने वो मॉडल के तौर पर पेश कर सके. गोवा भी तो कोरोना मुक्त होने के बाद फिर से संक्रमण की चपेट में आ चुका है.
महाराष्ट्र बचाओ आंदोलन को लेकर मीडिया से बात करते हुए प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा था - 'महाराष्ट्र और केरल दोनों राज्यों में कोरोना का पहला मरीज 9 मार्च को यानी एक ही दिन मिला था. चंद्रकांत पाटिल कहते हैं, 70 दिन बाद केरल में कोरोना के मरीजों की संख्या करीब 1000 है और 12 की मौत हुई है, लेकिन महाराष्ट्र का आंकड़ा 40 हजार के करीब पहुंच रहा है - और करीब 1200 लोगों की मौत भी हो चुकी है.
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को तो कोरोना संकट के बीच ही मुख्यमंत्री की कुर्सी भी मिली थी, लेकिन योगी आदित्यनाथ से लेकर विजय रुपाणी, मनोहरलाल खट्टर और त्रिवेंद्र सिंह रावत से लेकर बीएस येदियुरप्पा तक कोरोना से जंग में दिन रात एक किये हुए हैं, लेकिन किसी ने भी ऐसा मॉडल क्यों नहीं पेश कर सका है कि महाराष्ट्र बीजेपी उद्धव ठाकरे के सामने उदाहरण दे सके.
प्रमोशन और विरोध प्रदर्शन साथ साथ
बीजेपी का ताजा आंदोलन सिर्फ महाराष्ट्र तक ही नहीं सीमित है बल्कि देश के सभी राज्यों में शुरू हो रहा है - खास बात ये है कि जहां बीजेपी का शासन है वहां प्रमोशन होगा और जहां गैर बीजेपी दलों की सरकार है वहां विरोध प्रदर्शन होगा - कॉमन बात कोरोना वायरस से जंग ही है. द प्रिंट की एक रिपोर्ट बताया गया है कि कैसे बीजेपी अलग अलग राज्यों में कोरोना वायरस से जंग की तस्वीर अपने फायदे और नुकसान के हिसाब से पेश करने जा रही है.
दिल्ली में बीजेपी अरविंद केजरीवाल सरकार से पूछ रही है कि मोदी सरकार ने जो राशन गरीबों और मजदूरों के लिए दिया था वो कहां गया? बंटवाया क्यों नहीं.
दिल्ली में आंदोलन का नेतृत्व प्रमुख तौर पर प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी और बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी कर रहे हैं. ये आंदोलन दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में हो रहा है.
राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया के मुताबिक अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ आंदोलन तीन चरणों में चलाया जाएगा. इस दौरान सोशल मीडिया और छोटी छोटी वीडियो क्लिप के जरिये कांग्रेस सरकार की खामियों को उजागर करन की कोशिश होगी. लोगों के ये भी समझाने की कोशिश होगी कि किस तरह बस घोटाले में प्रियंका गांधी का पर्दाफाश हो गया - और ये भी कि मोदी सरकार लोगों को कोरोना संकट से उबारने के लिए कितनी कोशिशें कर रहे हैं.
ऐसी ही मुहिम बिहार और मध्य प्रदेश में भी चलायी जाने वाली है. मध्य प्रदेश में जहां दो दर्जन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं वहीं बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. नजर अपने घर लौटे प्रवासी मजदूरों पर कुछ ज्यादा ही है, बीजेपी आलाकमान की तरफ से साफ हिदायत है कि लौट चुके लोगों खासकर मजदूरों का खास तौर पर ख्याल रखा जाये.
बाकी राज्यों में भी बीजपी की तरह से ऐसी ही मुहिम चल रही है जिसमें बीजेपी के पक्ष में प्रमोशन और विरोधियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का मजबूत पैकेज तैयार किया गया है - मुसीबत में मौका खोज लेने का राजनीतिक कौशल भी तो इसे ही कहते हैं.
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