लखीमपुर और आर्यन के बहाने उद्धव का बीजेपी पर हमला - 'बंद करो एसिड अटैक!'
शिवसेना की दशहरा रैली में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने आर्यन खान और लखीमपुर खीरी हिंसा (Aryan and Lakhimpur Kheri Case) के बहाने और संघ प्रमुख मोहन भागवत का जिक्र कर एक बार फिर मोदी-शाह (Modi-Shah via Mohan Bhagwat) को टारगेट किया है - और आरोप जडा है कि महाराष्ट्र को बदनाम किया जा रहा है.
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दशहरे का ये दूसरा मौका रहा जब उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने बीजेपी नेतृत्व को जीभर खरी खोटी सुनायी - साल भर पहले भी शिवसेना की दशहरा रैली में उद्धव ठाकरे ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के भाषण का जिक्र करके बीजेपी को नसीहत दी थी.
उद्धव ठाकरे के भाषण में बॉलीवुड का जिक्र पिछली बार भी आया था, लेकिन तब वो कंगना रनौत के बहाने मोदी सरकार को टारगेट किये थे और इस बार आर्यन खान की गिरफ्तारी को लेकर NCB के एक्शन के बहाने - लब्बोलुआब यही रहा कि महाराष्ट्र को बदनाम करने की कोशिश हो रही है और हिम्मत है तो सरकार गिराकर दिखाओ.
पिछली बार एक्टर कंगना रनौत जितना खून खौला होगा, इस बार उद्धव ठाकरे का भाषण सुन कर आर्यन खान के पिता फिल्म स्टार शाहरुख खान को उतना ही सुकून मिला होगा - कोई तो है जो समझता है कि चल क्या रहा है? आर्यन खान और आशीष मिश्रा (Aryan and Lakhimpur Kheri Case) - दोनों ही अपनी अपनी फील्ड के ताकतवर पिताओं के बेटे और दोनों ही एक ही दौर में कानून की नजर में गुनहगार बने हैं, लेकिन फर्क ये रहा कि आशीष मिश्रा के पिता केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी जहां खुलेआम शुरू से बेटे के बचाव में मैदान में डटे रहे, वहीं शाहरुख खान परदे के पीछे से ही कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
उद्धव ठाकरे ने इस बार भी बीजेपी पर अपनी सरकार गिराने की मंशा जैसा इल्जाम मढ़ने की कोशिश की - और कहा कि बीजेपी ठुकराये हुए प्रेमी की तरह हरकत कर रही है. निश्चित तौर पर ये बीजेपी के साथ गठबंधन टूटने की तरफ इशारा होगा.
RSS चीफ मोहन भागवत को लूप में लेते हुए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने यहां तक कह दिया कि बीजेपी (Modi-Shah via Mohan Bhagwat) बौखलाए हुए आशिक की तरह एसिड अटैक पर आमादा है, लेकिन कोई पैदा नहीं हुआ कि जो ठाकरे परिवार पर हमला कर सके.
'मुझे फकीर मत समझना'
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जब दशहरा रैली को संबोधित कर रहे थे, लगा जैसे उनका भाषण तो राजनीतिक रहा लेकिन आवाज अंदर से निकल कर आ रही हो. राजनीति भी जब दिल पर चोट करती है तो मामला महज विचारधारा की लड़ाई का नहीं रह जाता - और उद्धव ठाकरे के भाषण से भी ऐसा ही लग रहा था.
उद्धव ठाकरे ने शिवसेना की दशहरा रैली में कहा, "आप परिवारों, बच्चों को निशाना बना रहे हैं... ये मर्दानगी नहीं है, ये अमानवीय है..."
और उद्धव ठाकरे कोई पहली बार ऐसी बातें कर रहे हों ऐसा नहीं है. इशारों इशारों में उद्धव ठाकरे ऐसी बातें कई बार कर चुके हैं. और अगर केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की गिरफ्तारी को राजनीति से इतर थोड़ा देखें तब भी कहानी वही समझ में आती है.
उद्धव ठाकरे ने मोदी-शाह के साथ साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत से भी सवाल पूछा है - आर्यन खान केस से लेकर लखीमपुर खीरी हिंसा तक!
जब सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच सीबीआई ने विशेष परिस्थितियों में अपने हाथ में लिया तो नारायण राणे के बेटे नितेश राणे ने बगैर आदित्य ठाकरे का नाम लिये ट्विटर पर लिखा था - 'बेबी पेंग्विन, तू तो गयो.'
और जब तक जांच पड़ताल किसी बेनतीजा मोड़ पर नहीं पहुंची नारायण राणे और नितेश राणे दोनों ही ठाकरे परिवार को निशाना बनाते रहे. कई बार ट्विटर पर ही लिखा गया पेंग्विन कोशिश करके भी बेबी पेंग्विन को नहीं बचा सकता. फिर एक दिन आदित्य ठाकरे ने भी लिखा कि ठाकरे परिवार को लेकर डर्टी पॉलिटिक्स हो रही है.
एक बार फिर से उद्धव ठाकरे ने जो परिवार और बच्चों को टारगेट करने की बात कही है, ऐसा लगता है जब उद्धव ठाकरे भाषण दे रहे थे तो आर्यन खान के रूप में कोई और ही छवि मन में उभर रही थी - और तभी संघ प्रमुख मोहन भागवत की बातों का जिक्र करते महाराष्ट्र से सीधे यूपी के लखीमपुर खीरी पहुंच जाते हैं.
उद्धव ठाकरे बोले, 'आज मोहन भागवत ने कहा, जो पिछले बार भी कहा था वो सही है... पहले सभी के पूर्वज एक थे... बिल्कुल पहले नहीं जा रहा, नहीं तो बंदर तक पहुंच जाएंगे, लेकिन अगर सबके पूर्वज एक हैं तो फिर विपक्ष वाले के पूर्वज इसमें नहीं हैं क्या? किसानों के पूर्वज नहीं है क्या? जिनपर गाड़ी चढ़ायी गयी, ये नहीं हैं क्या?'
थोड़े तल्ख होते हुए उद्धव ठाकरे ने सवाल किया, 'मैं मोहन भागवत जी को पूछता हू कि क्या आप इससे सहमत हैं - जो उनके साथ हो रहा है?
और लगे हाथ यूपी के मतदाताओं से सीधे कनेक्ट होने की कोशिश की - 'आम आदमी से कहना चाहता हूं कि वोट सबसे बड़ा हथियार है!'
ये तो ऐसा ही लगता है जैसे उद्धव ठाकरे आने वाले चुनाव में उत्तर प्रदेश के लोगों से लखीमपुर खीरी की दुहाई देकर बीजेपी को फिर से वोट देने की गलती न करने के लिए आगाह कर रहे हों.
उद्धव ठाकरे यहीं नहीं रुकते, सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातों को उनके ही लहजे में दोहराते हैं, लेकिन थोड़ा एडिट करके - "मैं फकीर नहीं हूं जो झोला उठाकर चल दूंगा."
महाराष्ट्र को बदनाम करने से बाज आओ
उद्धव ठाकरे की बातों से ऐसा लगता है जैसे आर्यन खान के बहाने और एनसीबी के जरिये महाराष्ट्र को बदनाम करने की कोशिश हो रही है. क्या उद्धव ठाकरे की बातों को शरद पवार के बयान से भी जोड़ कर देख सकते हैं, जिसमें एनसीपी नेता तमाम जांच एजेंसियों का नाम लेकर उनके दुरुपयोग का इल्जाम लगा रहे हैं?
उद्धव ठाकरे कहते हैं, 'पूरी दुनिया में मेरे महाराष्ट्र में ही गांजा-चरस का तूफानी कारोबार चल रहा है - ऐसा सब जगह बताया जा रहा है.'
फिर समझाने के अंदाज में अपना पक्ष रखते हैं, 'मैं फिर से बता रहा हूं कि हमारी संस्कृति आंगन में तुलसी लगाने की है, लेकिन ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे अब तुलसी की जगह गांजा लगाया जा रहा है - और ये सब जानबूझ कर किया जा रहा है.'
उद्धव ठाकरे अपनी बात समझाने के लिए बीजेपी को प्यार में ठुकराये गये आशिक जैसा बताते हैं, 'ऐसे वक्त में जब कंपनियां चीन छोड़ रही हैं, महाराष्ट्र की उनको अपनी तरफ खींचने की कोशिश है और राज्य को आगे ले जाने की कोशिश हो रही है... नशीले पदार्थों की तस्करी का नाम लेकर और कुछ मशहूर हस्तियों को पकड़ कर महाराष्ट्र को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है - क्योंकि हमने उनके साथ सरकार बनाने से मना कर दिया था... वो ठुकराये हुए प्रेमियों की तरह हम पर तेजाब फेंक रहे हैं.'
आरोप ये भी लगाते हैं कि बीजेपी नेतृत्व पर सत्ता का नशा हावी हो गया है. समझाते हैं कि छोटे छोटे से लेकर लोक सभा चुनाव तक जीत लेने की मंशा भी एक तरह की नशा ही है और फिर पूछते हैं - इस नशा का इलाज कौन करेगा?
और फिर मोदी के साथ बीजेपी नेता अमित शाह को चैलेंज करते हुए उद्धव ठाकरे कहते हैं, 'अगले महीने हमारी सरकार को दो साल पूरे हो रहे हैं... हमें तोड़ने का अनेक प्रयत्न किया गया. मैं आज भी कहता हूं - अगर हिम्मत है तो सरकार गिराकर दिखाओ!'
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