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Updated: 06 मई, 2022 05:00 PM
अमित सिंह
अमित सिंह
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लम्बे समय से बोतल में बंद CAA का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है. पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों के बाद पहली बार पश्चिम बंगाल की धरती पर पहुंचे, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने CAA का जिक्र करते हुई कहा कि 'टीएमसी सीएए के बारे में अफवाह फैला रही है कि सीएए जमीन पर लागू नहीं होगा, आज मैं ये कह कर जाता हूं कि कोरोना की लहर समाप्त होते ही CAA लागू होगा.'

पश्चिम बंगाल में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ एक बड़ी समस्या रही है, किसी समय इस घुसपैठ के खिलाफ रहीं ममता बैनर्जी अब इसे बीजेपी का पॉलिटिकल स्टैंड बतातीं हैं. यही कारण है कि यहाँ CAA और NRC बहुत बड़ा मुद्दा है, इसी को बीजेपी ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भी मुद्दा बनाया था.

Amit Shah, West Bengal, Citizenship Amendment Act, Oppose, Muslim, BJP, Modi Government केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है 

क्या है कानून को लेकर विवाद

मुस्लिम समुदाय में इसलिए विरोध

विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यह एक धर्म विशेष के खिलाफ है.

यह कानून भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है.

अनुच्छेद 14 सभी को समानता की गारंटी देता है.

आलोचकों का कहना है कि धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता.

यह कानून अवैध प्रवासियों को मुस्लिम और गैर-मुस्लिम में विभाजित करता है.

अफगानिस्तान, बांग्लादेश व पाकिस्तान के अलावा अन्य पड़ोसी देशों का जिक्र क्यों नहीं.

31 दिसंबर, 2014 की तारीख का चुनाव करने के पीछे का उद्देश्य भी स्पष्ट नहीं.

असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध का कारण

बिना किसी धार्मिक भेदभाव के सभी अवैध प्रवासियों को बाहर किया जाए.

राज्य में इस कानून को 1985 के असम समझौते से पीछे हटने के रूप में देखा जा रहा है.

समझौते के तहत सभी बांग्लादेशियों को यहां से जाना होगा, चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम.

असम समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों को डर है कि इससे जनांकिकीय परिवर्तन होगा.

सरकार का पक्ष

इन विदेशियों ने अपने-अपने देशों में भेदभाव व धार्मिक उत्पीड़न झेला.

कानून से गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश व अन्य राज्यों में आए लोगों को राहत मिलेगी.

भारतीय मूल के कई लोग नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत नागरिकता पाने में असफल रहे.

वे अपने समर्थन में साक्ष्य देने में भी विफल रहे.

कहां फसा है पेच

संसद से पास होने के बाद देश भर में हुए विरोध, धरना प्रदर्शनों और बड़े बड़े आंदोलनों के बाद ऐसा लगता है कि CAA फ़िलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है. शायद यही कारण है कि दो साल से भी अधिक समय होने के बावजूद CAA आजतक लागू नहीं हुआ है. पर ऐसा नहीं है, दरअसल, किसी भी कानून के पास होने के बाद उससे संबधित नियम बनाने की कुछ प्रक्रिया होती है. हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय इस पर काम तो कर रही है पर ये नियम अभी तक बनाये नहीं जा सकें हैं.

क्या कहता है नियम

संसदीय कार्य संबंधी नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के लिए नियम राष्ट्रपति की सहमति के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए या फिर लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान संबंधी समितियों से अधिक समय देने के लिए अनुरोध किया जाना चाहिए. क्योंकि गृह मंत्रालय CAA कानून बनने के छह महीने के भीतर नियम नहीं बना सका, इसलिए मंत्रालय ने समितियों से बार समय मांगा है.

ढाई साल के भीतर बार बार बढ़ी है समय सीमा 

पहली बार जून 2020 में समय मांगा

9 अप्रैल 2021 तक का समय मांगा.

9 जुलाई 2021 तक का समय मांगा गया.

9 अक्टूबर 2021 में फिर 3 महीने का समय मांगा. 

9 जनवरी को फिर 3 महीने का समय मांगा. 

9 अप्रैल को 9 अक्टूबर तक का समय मांगा गया.

ऐसे में अमित शाह ने कोरोना के ख़त्म होने के बाद CAA को लागू करने की बात तो कर दी है, पर जिस तरह संसदीय समिति बार बार समय बढ़ा रही है, उसमें ये देखना दिलचस्प होगा कि पहले नियम बनता है या कोरोना खत्म होता है.

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लेखक

अमित सिंह अमित सिंह @100000411375491

लेखक आजतक में पत्रकार हैं

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