जैसे Lockdown लागू हुआ था वैसे ही Unlock हो गया - हिसाब बराबर!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने संपूर्ण लॉकडाउन (Lockdown) का फैसला तब लिया था जब कोरोना वायरस का खतरा बढ़ रहा था - और अनलॉक (Unlock 1) का फैसला तब हुआ है जब खतरे को लेकर और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है - लेकिन लॉकडाउन के दौरान बहुत कुछ बदल भी चुका है.
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देश में संपूर्ण लॉकडाउन (Lockdown) से अनलॉक (Unlock 1) का सफर मुख्य तौर पर तीन चीजों के आधार पर तय हुआ है. हालांकि, मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने साफ तौर पर चेताया भी कि अब ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि देश खुल गया है.
जो तीन चीजें लॉकडाउन को अनलॉक करने में बड़ी भूमिका निभायी हैं, वे हैं - कोरोना वायरस संक्रमण से रिकवरी रेट, मौतों का आंकड़ा और महामारी प्रभावित इलाकों की पहचान. ये तीन चीजें ही हर उस सवाल का जवाब दे रही हैं जो हर किसी के मन में स्वाभाविक तौर पर उठ रहा होगा.
जून को लेकर वो भविष्यवाणी
लो जी जून आ गया - और लॉकडाउन अपने पांचवें चरण में अनलॉक भी हो गया. एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने जून में ही कोरोना वायरस के मामले पीक पर होने की भविष्यवाणी की थी - और फिलहाल कोरोना वायरस जो करामात दिखा रहा है वो काफी हद तक वैसा ही है जैसी आशंका जतायी गयी थी.
ऐन उसी वक्त केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने एम्स निदेशक की आशंका को अपनी आशा, आकांक्षा और विश्वास के बूते सिरे से खारिज कर दिया था, कहा भी - मैं आशावादी हूं. मगर, इससे रणदीप गुलेरिया निराशावादी नहीं हो जाते. वो कोई हवाई बातें नहीं कर रहे थे. वो कोरोना वायरस के संक्रमण बढ़ने के तरीके पर बारीकी से गौर करने के बाद इतनी बड़ी बात कह रहे थे.
काश डॉक्टर हर्षवर्धन का आशावाद डॉक्टर गुलेरिया की आशंका को वैसे ही खत्म कर देता जैसे केंद्रीय मंत्री ने एम्स निदेशक की बातों को खारिज किया था. असल बात तो ये है कि आंकड़े आशा और निराश के द्वंद्व में कभी नहीं फंसते. आंकड़े खुल कर बोलते हैं और जो उन पर भरोसा करते हैं वे हकीकत से वाकिफ होते हैं.
पहला लॉकडाउन तीन हफ्ते का रहा. दूसरा उन्नीस दिन का और फिर उसके बाद दो-दो हफ्ते के लिए दो बार बढ़ाया गया. सबसे ज्यादा कोरोना के मामले लॉकडाउन 4.0 में ही दर्ज किये गये हैं. अभी की स्थिति तो यही है कि पिछले 24 घंटे में 8000 से ज्यादा संक्रमण के नये मामले सामने आये हैं. किसी भी एक दिन में ये अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. मौतों का आंकड़ा जहां 5 हजार पार कर गया है वहीं संक्रमण का आंकड़ा दो लाख से कुछ ही कम है.
एम्स डायरेक्टर ने कोरोना वायरस से होने वाले संक्रमण को लेकर दो महत्वपूर्ण बातों की ओर ध्यान दिलाया था - एक, कोरोना वायरस का सबसे विकराल रूप देखा जाना बाकी है - और दूसरा, जब ये पीक पर पहुंच जाता है तो धीरे धीरे उसका असर कम होने की संभावना है. डॉक्टर गुलेरिया का कहना रहा - ये एक कुदरती थ्योरी और ऐसा ही होता है.
PM मोदी की सलाह - ज्यादा सतर्क रहें, स्वस्थ रहें!
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने तब कहा था, "जिस तरीके से ट्रेंड दिख रहा है, कोरोना के केस जून में पीक पर होंगे... ऐसा बिल्कुल नहीं है कि बीमारी एक बार में ही खत्म हो जाएगी. हमें कोरोना के साथ जीना होगा - धीरे-धीरे कोरोना के मामलों में कमी आएगी."
एम्स निदेशक की बातें काफी हद तक सही होने जा रही हैं. ऐसा लगने लगा है कि जून में कोरोना के मामले हद से ज्यादा बढ़ सकते हैं और हाल फिलहाल कोरोना के मामलों में हुआ इजाफा इस आशंका को मजबूत भी करता है.
एक बात और जो डॉक्टर गुलेरिया ने कही थी - कोरोना के साथ हमे जीना होगा. अब तो कोरोना के साथ जीना शुरू हो ही चुका है. अब तो बच्चे कोरोना के साथ जन्म भी लेने लगे हैं. अहमदाबाद के कई अस्पतालों में 172 महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है - और उनमें से 44 कोरोना संक्रमण के शिकार हैं. कोरोना वायरस के साथ तो जीने की सबसे बड़ी चुनौती उन 44 बच्चों के सामने है.
ये है अनलॉक करने की असली वजह
कोरोना वायरस महामारी को लेकर अब तक दो ही बातें उम्मीद की किरण बनी हुई हैं. एक है कोरोना वायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा - और दूसरा है रिकवरी रेट. आबादी के हिसाब से दुनिया के कई देशों के मुकाबले इस मामले में भारत की स्थिति बेहतर है.
अब सवाल है कि जब वायरस संक्रमण तेजी से बढ़ रहा हो, तब लॉकडाउन को अनलॉक करने की क्या जरूरत रही? क्या केंद्र सरकार ने ये फैसला किसी तरह के दबाव में लिया है - दबाव से आशय कोई बाहरी अंतर्राष्ट्रीय दबाव या विपक्ष के राजनीतिक दबाव से नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था की पतली होती हालत से है.
ऐसा ही सवाल कांग्रेस नेता पीएल पूनिया ने पूछा था - 'ये देखा गया है कि कोरोना मामलों के बढ़ जाने पर लॉकडाउन बढ़ाया जाता है, लेकिन भारत में ये पूरी तरह से विपरीत है. मामले बढ़ रहे हैं और लॉकडाउन वापस लिया जा रहा है - अन्य देशों में लॉकडाउन में छूट तब दी जाती है जब मामलों में गिरावट होती है.'
नीति आयोग के CEO और कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य अमिताभ कांत ने आंकड़ों के साथ ही ऐसे सवालों के जवाब देने की कोशिश की है. अमिताभ कांत बताते हैं - भारत में 52 फीसदी मामले मजह पांच शहरों तक सीमित हैं - मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद और ठाणे.
30 districts account for over 70% of total cases of which 15 have > 1000 cases. Mumbai, Delhi, Chennai, Ahmedabad & Thane account for 52% cases. Here, hotspots need to be quickly identified with aggressive testing, contact tracing & timely treatment is a must. pic.twitter.com/Vr2g1lOyaD
— Amitabh Kant (@amitabhk87) May 30, 2020
अमिताभ कांत के मुताबिक देश के 30 जिले ऐसे हैं जहां से 70 फीसदी मामले आ रहे हैं और उनमें 15 जिले ऐसे हैं जहां 1000 से ज्यादा मामले पाये गये हैं.
साथ ही, अमिताभ कांत ने मौत और रिकवरी रेट की तरफ भी ध्यान दिलाया है. अमिताभ कांत बताते हैं कि भारत में कोरोना की वजह से होने वाली मृत्यु दर 3 फीसदी से भी कम है और रिकवरी रेट 47 फीसदी से ज्यादा है. पहले काफी दिनों तक देखा गया था कि रिकवरी रेट 33 फीसदी के आसपास हुआ करता रहा.
एक बात खास तौर पर ध्यान देने वाली है भारत में मृत्यु दर जहां 3 फीसदी से भी कम है, वहीं फ्रांस, इटली और ब्रिटेन में ये 14 फीसदी दर्ज की गयी है.
India's recovery rate has touched 47.6% whereas our case fatality rate (CFR) has remained consistently low at 3% as compared to over 14% in France, Italy and UK. Focus on hyper-localized containment strategies with timely testing, contact tracing, isolation & treatment are key. pic.twitter.com/yDMiOHIAJA
— Amitabh Kant (@amitabhk87) May 30, 2020
आंकड़ों के जरिये अमिताभ कांत यही समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि सरकार ने कोरोना वायरस के क्लस्टर की पहचान कर ली है. मालूम होता है कि कोरोना संक्रमण कुछ खास इलाकों तक ही सीमित है और वहां पर अनलॉक में भी किसी तरह की छूट नहीं दी जा रही है - ऐसे में पूरे देश को लॉकडाउन में रखने का क्या तुक बनता है?
31 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में जो कुछ भी कहा उसमें एक बात पर खास जोर दिखा - 'ज्यादा सतर्क रहना है.'
लेकिन ऐसा क्यों? यही बात तो तब भी बोले थे जब 24 मार्च को देश में संपूर्ण लॉकडाउन लागू किये जाने की टीवी पर घोषणा कर रहे थे.
बहरहाल, मन की बात में ही इस सवाल का जवाब भी दे दिया था - क्योंकि 'देश अब खुल गया है.'
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