उन्नाव रेप पीड़िता की कहानी एक प्रभावशाली नेता के खिलाफ जंग से काम नहीं है
दुर्भाग्य ये है कि उन्नाव पीड़िता का पत्र CJI रंजन गोगोई के पास पहुंचा ही नहीं. अब इस रिपोर्ट से यह उजागर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने सेक्रेटरी जनरल से रिपोर्ट मांगी कि उन्नाव बलात्कार पीड़िता की ओर से CJI रंजन गोगोई को लिखा पत्र उनके सामने क्यों नहीं रखा गया.
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उन्नाव बलात्कार पीड़िता एक संदिग्ध कार दुर्घटना में अपने जीवन और मौत के बीच जूझ रही है. उसके साथ होने वाली त्रासदियां उसकी अकेली लड़ाई की कहानी कहती हैं. इस मामले में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत 10 लोगों पर हत्या का मामला दर्ज किया गया है. लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में पीड़िता का इलाज चल रहा है.
2017 में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा कथित रूप से बलात्कार किए जाने पर नाबालिग ने पिछले साल अप्रैल में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के आवास के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया था. उसके अगले ही दिन, विधायकों के सहयोगियों द्वारा कथित तौर पर हमला किए जाने के बाद पीड़ित महिला ने अपने पिता को खो दिया. पीड़िता के चाचा को भी झूठे केस में पिछले 9 महीने से जेल में डाल दिया गया है. इन घटनाओं से बीजेपी को सेंगर को निलंबित करने और सीबीआई को चार्जशीट करने के लिए काफी आक्रोश पैदा किया था.
कुलदीप सिंह सेंगर पर जेल से ही साजिश रचने के आरोप लग रहे हैं
कुलदीप सिंह सेंगर को लेकर विपक्षी पार्टियों ने बीजेपी को घेरा तो यूपी बीजेपी ने कहा कि कुलदीप सिंह सेंगर पार्टी से पहले से ही निलंबित थे और निलंबन अब भी रद्द नहीं हुआ है.
फिर भी सीबीआई अपने गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही है, बावजूद इसके कि आरोपी एक प्रभावशाली और बाहुबली नेता है. सीबीआई ने पिछले साल जुलाई में सेंगर और उनके सहयोगियों के खिलाफ तीन चार्जशीट दायर की थीं- एक नाबालिग से बलात्कार के आरोप में, दूसरा उनके पिता को एक झूठे मामले में फंसाया जाने के आरोप में, और तीसरा पीड़िता के पिता पर जानलेवा हमले के मामले में. लेकिन त्रासदी ये है कि 12 महीने से अधिक समय बीतने के बावजूद इस केस का परीक्षण शुरू भी नहीं हुआ है और यही विफलता पीड़िता के लिए महंगी साबित हुई है. जबकि आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत दो महीने के भीतर बलात्कार के मामलों में मुकदमा पूरा करने का निर्देश देती है.
अब 'पीड़िता कार दुर्घटना' मामला भी जो CBI को जांच के लिए सौंपा गया है गया, उसे इस संभावना की जांच करनी चाहिए कि यह दुर्घटना का अंजाम सबूत मिटाने के उद्देश्य से किया गया था जिसमें पीड़िता मुख्य गवाह थी. 12 जुलाई को, पीड़िता ने CJI रंजन गोगोई को पत्र लिखकर विधायक के सहयोगियों द्वारा मामले में तोड़फोड़ करने का आरोप लगाया था. इसमें यह कहा गया है- “उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई कीजिए जो हमें धमका रहे हैं.” पत्र में आगे लिखा गया है- “लोग मेरे घर आते हैं, धमकाते हैं और केस वापस लेने की बात कर ये कहते हैं कि ऐसा नहीं किया तो पूरे परिवार को फर्जी केस में जेल में बंद करवा देंगे.” लेकिन दुर्भाग्य ये है कि ये पत्र CJI रंजन गोगोई के पास अब तक पहुंचा ही नहीं. अब इस रिपोर्ट से यह उजागर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने सेक्रेटरी जनरल से रिपोर्ट मांगी कि उन्नाव बलात्कार पीड़िता की ओर से CJI रंजन गोगोई को लिखा पत्र उनके सामने क्यों नहीं रखा गया.
इस हादसे में पीड़िता की मौसी और चाची की मौत हो गई, पीड़िता और वकील ICU में हैं
जिस ट्रक ने पीड़िता की कार को कुचला था उसकी नंबर प्लेट काली थी यह महज कोई संयोग नहीं हो सकता. पिछले ही साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की गवाह सुरक्षा योजना को मंजूरी दी थी, जिसमें प्रमुख गवाहों के लिए खतरे का विश्लेषण, निरंतर पुलिस सुरक्षा, उनका सुरक्षित जगहों में रखना, आवश्यक होने पर उन्हें नई पहचान देना और उनके फोन की निगरानी करना शामिल था. CBI एक केंद्रीय एजेंसी होने के नाते गवाह सुरक्षा के लिए राज्य पुलिस को रास्ता दिखाना और तरीका बताना चाहिए था.
उन्नाव बलात्कार पीड़िता के साथ होने वाली कई बेहद संदिग्ध घटनाएं दर्शाती हैं कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को बलात्कार के मामलों में अधिक से अधिक मंशा दिखानी चाहिए.
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