अतीक अहमद की जरूरत तो ओवैसी और योगी आदित्यनाथ दोनों को थी!
साबरमती जेल में बंद गैंगस्टर अतीक अहमद को ओवैसी ने पार्टी का सदस्य बना लिया है. उनकी पत्नी को भी. लेकिन, अतीक पर नज़र तो योगी आदित्यनाथ की भी थी. वो भी उन्हें साबरमती जेल से यूपी जेल में शिफ्ट करना चाह रहे हैं. ताकि बताया जा सके कि मुख्तार अंसारी की तरह सपा के पूर्व बाहुबली नेता का उन्होंने क्या हाल किया है.
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव आने में भले ही कुछ समय शेष हो. लेकिन सियासी ड्रामे की शुरुआत सूबे में हो चुकी है. दलों ने कमर कस ली है और उनके द्वारा जोड़ तोड़ की राजनीति को बदस्तूर अंजाम भी दिया जा रहा है. अब इसे तुष्टिकरण की राजनीति कहें या फिर इसे बड़े सियासी दांव की संज्ञा दें. जो कुछ भी एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने किया है उसने उत्तर प्रदेश का सियासी पारा बढ़ाया भी है और चढ़ाया भी है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खौफ में ज़िन्दगी जी रहे इलाहाबाद से 5 बार के बाहुबली विधायक और सांसद अतीक अहमद ने पत्नी के साथ असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM का दामन थाम लिया है. बताते चलें कि अभी बीते दिन ही राजधानी लखनऊ में ओवैसी की उपस्थिति में अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन ने अपनी और पति अतीक अहमद की ओर से सदस्यता ली है.
बाहुबली सांसद और साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद और उनकी पत्नी शाइस्ता परवीन ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की सदस्यता ले ली है
अतीक के AIMIM में आ जाने को खुद असदुद्दीन ओवैसी भी एक बड़ी राजनीतिक घटना मान रहे हैं. अतीक पर चल रहे अलग अलग मुकदमों पर अपना पक्ष रखते हुए ओवैसी ने इस बात पर बल दिया है कि, अभी अतीक पर दोष साबित नहीं हुआ है. वहीं ओवैसी ने अपनी बात को वजन देने के लिए एडीआर की रिपोर्ट का हवाला दिया और भाजपा पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि खुद भाजपा में सर्वाधिक विधायकों और सांसदों पर तमाम क्रिमिनल केस हैं.
जॉइनिंग के बाद पूरे कॉन्फिडेंस से ओवैसी ने इस बात पर बल दिया कि उनकी पार्टी न केवल बाहुबली अतीक अहमद और उनकी पत्नी को चुनाव लड़वाएगी. बल्कि विधायक भी बनवाएगी. अब ओवैसी का ये सपना पूरा होता है. या महज सपना बन कर रह जाता है. इसका जवाब तो वक़्त देगा। लेकिन अतीक के ओवैसी के साथ आ जाने ने उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में हड़कंप जरूर मचा दिया है.
आज भले ही AIMIM की खेमे में आकर अतीक और उनकी पत्नी फूले न समा रहे हों. लेकिन ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि अतीक अहमद की जरूरत जितनी असदुद्दीन ओवैसी को थी. उतनी ही यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ को भी थी. ये बात भले ही आपको हैरत में डाल दे. लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति से जुड़ा हुआ ये एक ऐसा सच है जिसे नकारना या ये कहें कि ख़ारिज करना अपने में बड़ी भूल होगी.
इस कथन को समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा. और उस वक़्त को याद करना होगा जब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ अतीक को साबरमती जेल से यूपी जेल में शिफ्ट कराने के लिए अपनी तरफ से हर तैयारी लगभग पूरी कर चुके थे. जैसे माफियाओं और अराजक तत्वों पर योगी आदित्यनाथ के तेवर हैं. शायद योगी अतीक को न केवल बताना बल्कि दिखाना चाह रहे हों कि माफिया विधायक मुख्तार अंसारी की तरह उन्होंने खुद को बाहुबली कहने वाले अतीक अहमद का क्या हाल किया है.
गौरतलब है कि जिस तरह योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार और अतीक जैसों पर नकेल कसी है यूपी में ये बात फैल चुकी है कि योगी अपने आगे किसी की भी न चलने देंगे. चाहे वो इलाहाबाद हो या फिर राजधानी लखनऊ के अलग अलग ठिकाने जिस तरह योगी ने अतीक पर शिकंजा कसा है साफ है कि एक बाहुबली के रूप में अतीक की 'व्यवस्था' चरमरा गई है.
आए रोज ही खबरें आती हैं कि योगी ने फलां जगह अतीक की प्रॉपर्टी पर हमला किया है जो इस बात की तस्दीख कर देता है कि एक मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ गुंडों और माफियाओं को लेकर अपनी कही बात पर अटल हैं. बात साबरमती जेल से अतीक को लाने की हुई है तो ये अपने आप में दिलचस्प है कि अतीक वहां यूं ही नहीं पहुंचे.
अतीक का टेरर इतना था कि यूपी की तमाम अलग अलग जेलों ने उन्हें अपने यहां रखने से मना कर दिया था. चूंकि यूपी में कोई जेल अतीक को रखने को तैयार नहीं थी इसलिए मामले पर देश की सर्वोच्च अदालत को अपना दखल देना पड़ा और 3 जून 2019 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अतीक अहमद को गुजरात की जेल भेज दिया गया.
बहरहाल साबरमती जेल में बंद गैंगस्टर अतीक अहमद को ओवैसी ने पार्टी का सदस्य बना लिया है. उनकी पत्नी को भी. लेकिन, अतीक पर नज़र तो योगी आदित्यनाथ की भी थी. ख़ैर अभी मुद्दा ठंडा नहीं पड़ा है. अतीक के मद्देनजर योगी सीरियस तो पहले से ही हैं. बाकी एक सीएम के रूप में जैसे तेवर योगी आदित्यनाथ के हैं, हमारा भी यही मानना है कि वो अपने कहे को अमली जामा पहना कर ही दम लेंगे. और यकीनन ये सब चुनावों से पहले पहले ही होगा.
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