SP Vs BJP: अपनों की बगावत, गैरों के सहारे कैसे पार होगी चुनावी नैया!
दशकों से अपनी पार्टी को समर्पित वो ज़मीनी कार्यकर्त्ता जिन्हें टिकट मिलना था पर इसलिए नहीं मिला क्योंकि कैंडीडेट दूसरे दल से आयात कर लिया गया. तमाम ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जहां सपा और भाजपा दोनों ही दलों के लिए अपनों की ही नाराजगी ने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.
-
Total Shares
भाजपा और सपा के सामने कई सीटों पर विकट समस्या आन पड़ी है. इन दोनों दलों की दर्जनों सीटों पर सैकड़ों ऐसे असंतुष्ट दावेदार हैं जिसका टिकट कट गया. कुछ रूठों को पार्टी ने मना लिया. कई मानें नहीं और बगावत पर उतर आए, लेकिन कई ऐसे वफादार पुराने कार्यकर्ता हैं जो अपनी पार्टी को अपनी मां समझते हैं. बगावत करना नहीं चाहते. उन्हें इंतेज़ार है कि पार्टी हाईकमान उन्हें मनाए और ढांढस दे. लेकिन हाइकमान को अपनी ज़मीनी कार्यकर्त्ता के आंसू भर पोंछने की दो-चार मिनट की भी फुर्सत नहीं है. दशकों से अपनी पार्टी को समर्पित वो ज़मीनी कार्यकर्त्ता जिन्हें टिकट मिलना था पर इसलिए नहीं मिला क्योंकि कैंडीडेट दूसरे दल से आयात कर लिया गया. तमाम ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जहां सपा और भाजपा दोनों ही दलों के लिए अपनों की ही नाराजगी ने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.
कई बागी इसलिए बगावत पर नहीं उतरे कि उन्हें टिकट नहीं मिला, वो इसलिए नाराज़ हैं कि पार्टी के दर्जनो़ वफादार ज़मीनी कार्यकर्त्ताओ की दावेदारी को नजरंदाज कर बाहरी (दूसरी पार्टी से आए) को टिकट दिया गया.
चाहे सपा हो या फिर भाजपा जिस तरह से टिकट बंटे हैं तमाम कार्यकर्ता आहत हैं और बगावत पर उतर आए हैं
भाजपा और सपा दोनों ही दलों के ज़मीनी और खाटी कार्यकर्ताओं का कहना है कि जमीनी कार्यकर्ताओं से चुनाव लड़ने का हक़ छीनने या टिकट काटने की वजह शीर्ष संयंत्र पर गुटबाजी है. बानगी के तौर पर दो मिसालो पर गौर कीजिए- लखनऊ में पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में सपा ने अपने एक खाटी कार्यकर्त्ता के साथ यही किया.
2017 लखनऊ जिसे भाजपा का गढ़ और अटल बिहारी वाजपेई की सियासी विरासत कहा जाता है यहां की पश्चिम सीट से रेहान नईम को सपा को जीत दिलाई थी. 2017 में भाजपा का हिंदुत्व कार्ड और मोदी सोनामी के दौरान भी रेहान लखनऊ पश्चिम सीट पर करीब अस्सी हजार वोट हासिल करके भाजपा के सुरेश श्रीवास्तव से कम ही अंतर से हारे थे.
2017 में ही बसपा के उम्मीदवार अरमान खान को 36 हजार वोट मिले थे. सपा ने इस बार लखनऊ पश्चिम का टिकट 80 हजार वोट पाने वाले अपने पुराने कार्यकर्ता रेहान का टिकट काट कर बसपा से सपा में आए और पिछले चुनाव में 36 हजार वोट ही हासिल करने वाले अरमान खान को दे दिया. जिस फैसले से रेहान समर्थक हजारों सपा कार्यकर्ताओं में रोष व्याप्त रहा.
इसी तरह एक बिसवां के सलिल सेठ खाटी भाजपाई कार्यकर्ता हैं. दशकों से पार्टी सेवा में लगे हैं. लम्बे समय से राष्ट्रय स्वंय सेवक संघ से जुड़े हैं. लोगों के काम आते हैं इसलिए जनाधार भी है. इनका कहना है कि बिसवां विधानसभा सीट के टिकट के सबसे सशक्त दावेदार थे. चयन समिति और भाजपा पार्लियामेंट्री बोर्ड में भी इनका नाम प्रबल दावेदार के रूप में चला.
लेकिन सलिल सेठ का टिकट काट कर ऐन वक्त पर सपा से भाजपा में आए निर्मल वर्मा को भाजपा ने बिसवां विधानसभा सीट का टिकट दे दिया. सलिल बगावत पर उतर आए और आजाद उम्मीदवार के तोर पर परचा भरकर खुद जीतने के बजाय निर्मल वर्मा को हराने का संकल्प लें रहे हैं.
वो जानता के बीच कह रहे हैं कि उनका टिकट काट कर किसी दूसरे भाजपा कार्यकर्ता को टिकट दिया जाता तो उन्हे़ कोई मलाल नहीं होता, बल्कि वो उसे जिताने के लिए युद्ध संयंत्र पर पसीना बहाते, किंतु पार्टी के लिए खून-पसीना बहाने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं को नजरंदाज करके दूसरी पार्टी से आए लोगों को टिकट देने कितना न्यायोचित है?
सलिल कहते हैं कि कोई ताकत तो है जो भाजपा के अंदर भाजपा को नुक्सान पहुंचाने का काम कर रही है. भाजपाइयों को खुद का वजूद बचाना है तो पार्टी की जड़ें कमजोर करने वाली अंदर की ताकतों से लड़ना होगा. ये लड़ाई असली भाजपाई बनाम नकली भाजपाई की लड़ाई है.
सलिल सोशल मीडिया पर भी बहुत भावुक और आक्रामक नजर आ रहे हैं. लिखते हैं- एक स्वयंसेवक और हिंदू होने के नाते मैं जीवन पर्यंत RSS, VHP, ABVP, बजरंग दल के लिए सर्वस्व अर्पित करने वालों की पंक्ति में सबसे आगे खड़ा मिलूंगा.बाकी 2022 का चुनाव मेरे अधिकार की लड़ाई है जिसे मैं लडूंगा क्योंकि यही मार्ग तो यदुवंशी श्री कृष्ण ने गीता में कहा है.
कुल मिलाकल भाजपा हो या सपा, दोनों ही दल बाहर की लड़ाई में जितने चोटिल हो़गे अंदर की लड़ाई में इससे ज्यादा घाव लगेंगे.
ये भी पढ़ें -
'पाक' साफ तो सिद्धू भी नहीं हैं और चन्नी के चेहरे पर भी दाग देख लिये!
Owaisi पर हमले के राजनीतिक मायने हैं जिनसे बिगड़ सकता है सपा-बसपा का चुनावी खेल!
ओवैसी पर हमला करने वाले सचिन और शुभम एक खतरनाक रवायत की तरफ इशारा हैं
आपकी राय