देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन गई थी यूपीए सरकार!
गृहमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि यूपीए सरकार देश की सुुरक्षा के लिए खतरा बन गई थी और राजनीतिक फायदे के लिए इशरत जहां का एफिडेविट बदलने से भी नहीं चूकी.
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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि यूपीए सरकार देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन गई थी. इशरत जहां मुद्दे पर न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ को दिए एक्सलूसिव इंटरव्यू में जेटली ने इशरत जहां केस में राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इस केस के साथ यूपीए सरकार द्वारा छेड़छाड़ किए जाने और राजनीतिक फायदे के लिए देश की सुरक्षा तक की परवाह न करने का आरोप लगाया है.
जेटली ने कहा कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को लश्करे-तैयबा से जुड़ी रही इशरत जहां के बारे में पुख्ता जानकारी थी और सुरक्षा एजेंसियों ने अपना काम बाखूबी अंजाम दिया था. लेकिन बाद में यूपीए सरकार ने इस केस से छेड़छाड़ की और इशरत जहां का नाम आतंकियों की लिस्ट से हटा दिया.
जेटली ने यूपीए सरकार में गृह मंत्री मंत्री रहे पी चिदंबरम का नाम लिए बिना ही इशारों में ही कहा कि सरकार के कुछ बुद्धिमान लोगों ने यह काम किया था. जेटली ने कहा कि ऐसा देश की सुरक्षा की अनदेखी करते हुए और राजनीतिक लाभ उठाने के लिए किया गया था. उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय के पास पहले से ही एक ऐफिडेविड मौजूद थी, जिसके मुताबिक इशरत लश्कर से जुड़ी थी. लेकिन इसमें बदलाव किया गया और ऐसा गृह मंत्रालय के सचिव के स्तर के ऊपर की अथॉरिटी द्वारा किया गया.
देखें: टाइम्स नाऊ को दिया गया अरुण जेटली का इंटरव्यूः
'The Ishrat Jahan case was fabricated at every level', says FM @ArunJaitley. https://t.co/znUJuboEKJ
— ET NOW (@ETNOWlive) March 2, 2016
जेटली ने कहा कि डेविड हेडली की गवाही को भी सेंसर्ड किया गया और उसमें से लश्कर के लिंक की बात को हटा दिया गया. जब जेटली से यह पूछा गया कि क्या सरकार के जिन बुद्धिमान लोगों का वह जिक्र कर रहे हैं वह यूपीए सरकार में गृहमंत्री रहे पी चिदंबरम हैं? तो उन्होंने कहा कि इस बारे में आप अनुमान लगाइए.
12 वर्ष पहले 2004 में गुजरात पुलिस ने खुफिया रिपोर्ट्स के आधार पर लश्करे तैयबा के तीन कथित आतंकियों को एक एनकाउंटर में मार गिराया था. इन तीनों पर आरोप था कि वे गुजरात जाकर तब के मुख्यमंत्रा नरेंद्र मोदी की हत्या करना चाहते थे. इनमें 19 वर्षीय इशरत जहां भी थी. बाद में इस एनकाउंटर की विश्वसनीयत पर सवाल उठे और हाईकोर्ट द्वारा गठित एसआईटी और सीबीआई ने इस एनकाउंटर को फर्जी करार दिया था.
लेकिन अब मामले में तब नया मोड़ आया है जब गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि यूपीए सरकार ने उन्हें इशरत मामले में एक नया एफिडेविड दाखिल करने के लिए बाध्य किया था, जिसमें उसका लश्कर के साथ टेरर लिंक की बात हटा दी गई थी. इस बयान के सामने आने के बाद से ही यूपीए सरकार में गृहमंत्री रहे चिदंबरम बीजेपी के निशाने पर आ गए हैं और उनके ऊपर ही इशरत के एफिडेविट को बदलने के आरोप लग रहे हैं.
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