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Updated: 29 दिसम्बर, 2022 01:36 PM
प्रशांत तिवारी
प्रशांत तिवारी
  @prashant.tiwari.5895
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दिसंबर में आये गुजरात चुनाव के नतीजों में बीजेपी को ऐतिहासिक जीत हासिल हुई. गुजरात में मिली इस बंपर जीत के साथ ही बीजेपी ने आगामी लोकसभा चुनाव को जितने का दावा करना शुरू कर दिया है. लेकिन इसके पहले 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में इनको शानदार प्रदर्शन करना होगा. चूंकि 9 राज्यों में चुनाव होना 2023 में निर्धारित है. लेकिन जम्मू -कश्मीर में लगातार की जा रही तैयारियों के बीच ऐसी संभावना जताई जा सकती है कि सरकार इस राज्य में भी अगले साल विधानसभा का चुनाव करवा सकती है. इसके आलावा 2023 में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों के अलावा पूर्वोत्तर के त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम में भी विधानसभा चुनाव होने हैं इस तरह करीब दस राज्यों में चुनावी बिगुल बज सकता है. इन राज्यों के परिणाम ही आगमी लोकसभा चुनाव में बीजेपी की दशा और दिशा तय करेंगे.

General Election, Assembly Elections, BJP, Narendra Modi, Prime Minister, Karnataka, Rajasthan, Tripura2023 में तमाम राज्यों में चुनाव होने हैं ऐसे में भाजपा कैसा प्रदर्शन करेगी उसपर सबकी नजर है

किन राज्यों में चुनाव और क्या है स्थिति?

2023 में होने वाले राज्यों में जहां चुनाव होने हैं उनमे राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और तेलंगाना में टीआरएस की सरकार है. तो वहीं कर्नाटक, मध्य प्रदेश और त्रिपुरा में बीजेपी और मेघालय और नागालैंड में बीजेपी समर्थित सरकार सत्ता में है, जबकि मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है . एमएनएफ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का ही हिस्सा है.

कर्नाटक में राह आसान नहीं ?

2018 विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. भाजपा 104 ,कांग्रेस 78 और जेडीएस 37 सीट जीतने में कामयाब रहा था .त्रिशंकु विधानसभा बनने के बाद राज्यपाल ने सबसे बड़े दल बीजेपी के नेता के तौर पर बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवाई लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर राज्य में सरकार का गठन किया.

लेकिन हालात कुछ ऐसे बने कि भाजपा ने फिर राज्य में 2019 में सरकार का गठन कर येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन 2023 विधानसभा चुनाव को देखते हुऐ राज्य में नेतृत्व परिवर्तन कर येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया. पिछले तीन साल में बीजेपी को दो मुख्यमंत्री बनाने पड़े. इससे यह साफ़ जाहिर होता है कि दक्षिण के जिस राज्य कर्नाटक में सबसे पहले भाजपा की सरकार बनी 2023 में होने वाला चुनाव कितना महत्वपूर्ण होने जा रहा है.

तेलंगाना में खराब स्थिती

2018 के चुनाव में 88 सीट जीतने में कामयाब रही टीआरएस की सरकार है और मुख्यमंत्री के चंदशेखर राव हैं. 2018 विधानसभा की बात करें तो यहां कांग्रेस को 19 और बीजेपी को सिर्फ एक सीट ही मिली थी लेकिन भाजपा का मानना है कि 2023 में तेलंगाना में टीआरएस का विकल्प बन उभरेगी जब की चंदशेखर राव 2024 के लोक सभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर बड़ा मोर्चा तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं.

राजस्थान में कड़ा मुक़ाबला

राजस्थान में अभी कांग्रेस की सरकार है और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री हैं. राजस्थान सरकार को चार साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री गहलोत ने एलान किया कि आने वाले अप्रैल से बीपीएल परिवारों को साल में 12 सिलेंडर पांच सौ रुपए प्रति सिलेंडर की दर से दिए जाएंगे. पुरानी पेंशन योजना का जिस तरह से फायदा हिमाचल में कांग्रेस को मिला है उसी तरह गहलोत राजस्थान में लोकलुभावन योजनाओ के सहारे 2023 का चुनाव जितना चाहती है.

हांलाकि कांग्रेस में गहलोत और पायलट की रार जगजाहिर है. लेकिन बीजेपी के लिए भी चुनौती कम नहीं है क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की अंतर्कलह भी किसी से छुपा नहीं है. जब कि 2018 के विधान सभा चुनाव कि बात करे तो बीजेपी को 200 में से सिर्फ 73 सीट पर ही जीत मिली थी.

मध्य प्रदेश चुनाव

2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बाहर कर 15 साल बाद जीत का स्वाद चखा था और कमलनाथ राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन करीब 15 महीने भी कांग्रेस इस जनादेश को संभाल नहीं पाई और ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों के एक धड़ा अलग होने के बाद भाजपा की तरफ से शिवराज सिंह चौहान फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने.

2018 के चुनाव में कांग्रेस को 114 सीट जब कि बीजेपी को 109 सीट जीत मिली थी. जब कि दोनों में करीब 1 प्रतिशत वोट शेयर का अंतर था. भले ही 2018 चुनाव में आम आदमी पार्टी को 0.66% वोट शेयर था लेकिन मध्य प्रदेश नगर निकाय चुनाव में जिस तरह से चौंकाने वाले नतीजे आये थे उससे भी बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होगी.

छत्तीसगढ़ चुनाव

डेढ़ दशक तक सत्ता में रहने के बाद 2018 के चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था . जिसमे कांग्रेस 90 विधानसभा सीटों में से 68 पर जीत हासिल की थी जब कि बीजेपी को मात्र 15 सीट ही हासिल हो पाया था .कांग्रेस ने हालिया उपचुनावों में भी अपने को और मजबूत किया इससे ऐसा लगता है कि 2023 के चुनाव बीजेपी को कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलेगी.

त्रिपुरा चुनाव में होगी चुनौती

2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 35 सीट और लेफ्ट को 16 सीट मिली थी. लेकिन दोनों के बीच वोट शेयर में एक फीसदी से थोड़ा सा ही ज्यादा का ही अंतर था. त्रिपुरा में कभी कांग्रेस की गिनती भी दमदार खिलाड़ियों में होती थी, लेकिन 2018 चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाया और दो फीसदी से भी कम वोट मिले. ऐसे में बीजेपी को रोकने के लिए सीपीएम और कांग्रेस हाथ मिला सकते हैं.

अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी के लिए सत्ता में वापसी करना बेहद मुश्किल हो जाएगा. इस बार बीजेपी को टीएमसी से भी कड़ी टक्कर मिल सकती है क्यों की त्रिपुरा में कुल आबादी का दो तिहाई बांग्ला भाषा बोलने वाले हैं. टीएमसी की नज़र इस वोटबैंक पर है. इसके अलावा भाजपा को टिपरा मोथा से भी खतरा है, जिसने त्रिपुरा जनजाति क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद चुनाव (टीटीएएडीसी) का चुनाव जीता था

मेघालय में भी मुश्किलें बढ़ी

2018 में, कांग्रेस मेघालय में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, लेकिन 60 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत हासिल करने में विफल रही. केवल 2 सीटें जीतने वाली भाजपा ने राज्य में सरकार बनाने के लिए नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) से हाथ मिलाया, लेकिन इस बार मेघालय के मुख्यमंत्री कानराड संगमा ने कहा कि उनकी पार्टी नेशनल पीपुल्स पार्टी 2023 में विधानसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ेगी.

कांग्रेस पिछली बार के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन 2023 में होने वाले चुनाव से पहले एक तरह से उसका सफाया हो गया है. अभी उसके पास एक भी विधायक नहीं. 2018 के चुनाव में एक भी सीट नहीं जीतने वाली ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस अचानक मेघालय विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई. इस बार मेघालय चुनाव मुकाबले में टीएमसी के पैठ से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

मिजोरम में चुनाव

2023 के विधानसभा चुनाव में सभी 40 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला भाजपा ने किया है जब की 2018 में एक सीट जीत अपना खाता खोला था . वर्तमान में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार सत्ता में है. ज़ोरमथांगा के नेतृत्व वाली पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनावों में 40 में से 27 सीटें जीतीं . एमएनएफ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का ही हिस्सा है. 2018 के चुनावों में कांग्रेस मात्रा 4 सीट पर ही जीत हासिल कर सकी थी .

नागालैंड में चुनाव

2018 में नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) 26 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी.लेकिन एनडीपीपी-बीजेपी गठबंधन आसानी से बहुमत हासिल करने में कामयाब रही. 2018 के चुनाव में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी को 17 और बीजेपी को 12 सीटों पर जीत मिली थी . इस बार भी बीजेपी नेफ्यू रियो की NDPPसे मिलकर चुनाव लड़ेगी. 2023 के चुनावों में बीजेपी का प्लान 20 सीटों पर लड़ने और अन्य 40 सीटों पर एनडीपीपी उम्मीदवारों का समर्थन करने की है.

पिछली चुनाव में कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाया था .नेशनल पीपुल्स पार्टी को दो सीटें और जेडीयू को एक सीट पर जीत मिली. निर्दलीय के खाते में एक सीट गई थी. इस बार के चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी की नजर भी नागालैंड में अपनी पैठ बढ़ाने पर है और वो भी चुनाव लड़ेगी.

इसके साथ साथ नागालैंड के चुनावी बिसात में 2021 में अस्तित्व में आई राइजिंग पीपुल्स पार्टी की इंट्री हो रही है. हालांकि विधानसभा चुनाव से पहले नगालैंड में बीजेपी को झटका देते हुए पार्टी के तीन जिला अध्यक्ष नवम्बर में जेडीयू में शामिल हो गए थे. ये सब आने वाले चुनाव में बीजेपी के लिए सिरदर्द साबित हो सकते है .

जम्मू-कश्मीर में चुनाव

जम्मू-कश्मीर अब एक केंद्र शासित प्रदेश हो गया है. यहां  का चुनाव पिछले सभी चुनावों से अलग होगा क्यों की परिसीमन के बाद राज्य में कई सीटें रिजर्व हो गई हैं और पहला चुनाव भी होगा. जम्मू-कश्मीर में लगातार की जा रही तैयारियों के बीच ऐसी संभावना जताई जा सकती है की सरकार इस राज्य में भी अगले साल विधानसभा का चुनाव करवा सकती है. 

लेखक

प्रशांत तिवारी प्रशांत तिवारी @prashant.tiwari.5895

लेखक आजतक में पत्रकार हैं.

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