चार लोग, चार कुत्ते: लेकिन फर्क बहुत गंभीर है...
वीके सिंह दो मासूम बच्चों की मौत के संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे. वे राजनेता और मंत्री होने से पहले एक सैनिक भी हैं, ऐसे में क्या उनका बयान और गैरजिम्मेदाराना नहीं हो जाता है..
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हम भारतीयों की बोल-चाल में 'कुत्ते-कमीने' कोई बहुत आपत्तिजनक शब्द के रूप में नहीं समझा जाता. लेकिन फर्क तो पड़ता ही है कि इस जुमले का उपयोग किसने, कहां और क्यों किया है...
बात की शुरुआत चार उदाहरण लेकर की जा सकती है.
1. आम लोगों के लिए आम है कुत्ता
कुत्तों के समूचे वंश को ही हम अपनी-अपनी जरूरत के हिसाब से परिभाषित करते रहे हैं. पुराने दौर से अब तक वह सबसे वफादार पालतू जानवर है. गली-मोहल्ले में दिखा तो कभी रोटी खिला दी और कभी मूड बिगड़ा तो पत्थर मार दिया. अकसर दुत्कारा गया यह जानवर अपनी इसी छवि के लिए एक निकृष्ट उपमा बनकर रह गया. लेकिन यह सबके लिए आम बात है.
2. धर्मेंद्र का कुत्ता हममें जोश और आक्रोष भर देता है
गौर कीजिए... धर्मेंद्र जब शोले फिल्म में गब्बर से कहते हैं 'कुत्ते मैं तेरा खून पी जाउंगा' या 'बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना' तो हम सभी जोश और गुस्से से भर जाते हैं. गब्बर को कुत्ता समझने के लिए उतावले. यदि सामने आ जाए तो उसी वहीं खत्म करने पर आमादा. इसलिए कि धर्मेंद्र उस मौके पर सबसे बड़े एंटरटेनर नजर आते हैं. यहां उनका गब्बर को कुत्ता कहना बहुत जायज लगता है. और मन करता है कि ऐसे हर आदमी को कुत्ता कहें.
3. अभिजीत का कुत्ता कहना असंवेदनशीलता
मशहूर गायक अभिजीत भट्टाचार्य भी उसी फिल्म इंडस्ट्री से आते हैं. उनके अपने फैन हैं. लेकिन सलमान खान पर हिट एंड रेन केस का फैसला आ रहा था तो वे उनके समर्थन में कह गए कि कुत्ता सड़क पर सोएगा तो कुत्ते की मौत मरेगा. बात सही है लेकिन गलत संदर्भ में और गलत तरीके से कही गई. यहां कुत्तों की उपमा उन्हें दी गई जो सड़क किनारे सोए हुए थे और सलमान की कार ने उन्हें कुचल दिया. वे तो इंसान थे, ऐसी मौत यदि कुत्ते को भी आती है तो उसके प्रति संवेदना दिखाई जानी चाहिए. लोगों ने इस बयान पर गुस्सा दिखाया. कुछ ने तो उन्हें ही कुत्ता कहा. आखिर अभिजीत ने माफी मांगी.
4. वीके सिंह की बात बर्दाश्त के काबिल नहीं
हरियाणा में दलित बच्चों की मौत पर मीडिया के सामने प्रतिक्रिया देते हुए जब केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि कोई कुत्ते को भी पत्थर मारे तो लोग सरकार को ही दोष देने लगते हैं, तो हंगामा मचना ही था. ऐतराज इस बात के लिए नहीं था कि कुत्ते को पत्थर मारना कोई बहुत बड़ी बात होती है और वीके सिंह ने इसे मामूली माना. ऐतराज यह था कि वे रामराज का आश्वासन देने वाली बीजेपी से ताल्लुक रखते हैं. उन्हीं की पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक इंटरव्यू में गुजरात दंगे का जिक्र करते हुए कहते हैं कि गाड़ी चलाते-चलाते अगर नीचे कुत्ता भी आ जाए तो दुख तो होता है. तो वीके सिंह का मन क्यों नहीं मचला. वे तो दो मासूम बच्चों की मौत के संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे. वे राजनेता और मंत्री होने से पहले एक सैनिक भी हैं, ऐसे में क्या ये बयान और गैरजिम्मेदाराना नहीं हो जाता है.
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