डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने तो कुछ यूं होगी अमेरिकी विदेश नीति!
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति बनते हैं तो सबसे अहम सवाल है कि उनकी विदेश नीति क्या होगी? चुनाव प्रचार के दौरान जिन मुद्दों पर ट्रंप सुर्खियां बटोर रहे हैं क्या राष्ट्रपति बनने के बाद वह उन्हें अपनी नीतियों में जगह देकर देश की विदेश नीति को बदलने की कोशिश करेंगे.
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अमेरिका में नया राष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया मार्च 2015 से चल रही है. विपक्ष में बैठी रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए प्रमुख दावेदार के तौर पर रियल एस्टेट बिजनेस टायकून डोनाल्ड सुर्खियों में हैं. मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आक्रामक राय रखने वाले ट्रंप अपने चुनाव प्रचार के दौरान इस समुदाय के खिलाफ जमकर आग उगलते हैं. जानकारों का मानना है कि ट्रंप की यह स्ट्रटेजी उन्हें प्रबल दावेदार बनाने में सफल हो रही है और इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि वह नवंबर में होने वाले चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार बन जाएंगे.
ऐसे में यदि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति बनते हैं तो सबसे अहम सवाल है कि अमेरिका की विदेश नीति में किस तरह के बदलाव देखने को मिल सकते हैं. गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों से राष्ट्रपति पद की दौड़ के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कई ऐसे मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी है जिसका सीधा असर अमेरिका की विदेश नीति पर देखने को मिलेगा. लिहाजा, नजर डालते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान जिन मुद्दों पर ट्रंप सुर्खियां बटोर रहे हैं वह राष्ट्रपति बनने के बाद कैसे उनकी नीतियों में तब्दील होंगे.
1. मेक्सिको बॉर्डर पर दीवार
डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे पहले वह अमेरिका और पड़ोसी देश मेक्सिको के बीच लंबी सीमा पर बाउंड्री वाल का निर्माण कराएंगे. ऐसा इसलिए कि लंबे समय से अमेरिका को मेक्सिको सीमा से ड्रग्स तस्करी और गैरकानूनी इमीग्रेशन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
2. मुस्लिमों की देश में एंट्री बंद
अपने चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप एक से ज्यादा बार यह साफ कर चुके हैं कि कट्टरवादी इस्लाम के बड़े विरोधी हैं. उनका दावा रहा है कि राष्ट्रपति पद संभालने के बाद वह खासतौर पर मुस्लिम देशों से अमेरिका पहुंच रहे लोगों पर लगाम लगाने के लिए कई मुस्लिम देशों के नागरिकों की अमेरिका में एंट्री पर प्रतिबंध लगा सकते हैं.
3. करोड़ों मुस्लिम एमीग्रेंट को देश निकाला
बीते कुछ दशकों से आतंकवाद का सामना कर रहे अमेरिका के लिए 9-11 का हमला टर्निंग प्वाइंट था. इस हमले के बाद अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा मजबूत करने के लिए देश में रह रहे मुस्लिम इमीग्रेंट को स्कैनर पर रखा गया. अब अपने प्रचार में ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि राष्ट्रपति चुने जाने पर वह देश में मुस्लिम इमीग्रेंट की संख्या में बड़ी कमी लाने के लिए कानून लाएंगे.
4. चीन और जापान से ट्रेड वॉर
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रचार के दौरान दावा किया है कि वह चीन और जापान जैसे देशों के खिलाफ ट्रेड वॉर छेड़ेंगे. ऐसा इसलिए कि इन दोनों देशों ने बिते कई दशकों में अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में मात दिया है. ट्रंप ने आरोप लगाया है कि दोनों देशों ने अपनी घरेलू मुद्रा के साथ छेड़छाड़ कर डॉलर के मुकाबले फायदा उठाया है. इसके अलावा इन देशों ने सस्ते दरों पर काम कर अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ाने में मदद की है लिहाजा इनसे निपटने के लिए अमेरिका को कड़े व्यवसाइक प्रतिबंध लगाने होंगे.
5. फ्री ट्रेड पर प्रतिबंध
चीन और जापान के अलावा अमेरिका को कई एशियाई देशों से भी व्यापार में नुकसान उठाना पड़ रहा है. ट्रंप का मानना है कि इसके लिए अमेरिका को फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से बाहर निकलने की जरूरत है. ट्रंप का दावा है कि ज्यादातर देश अमेरिकी कंपनियों के लिए कड़े मापदंड रखते हैं जिससे बिते कई सालों में अमेरिका का कारोबार सिकुड़ रहा है और इन देशों में तेज ग्रोथ दर्ज हो रही है.
6. रूस से गहरी दोस्ती
राष्ट्रपति पद के दावेदार ट्रंप का सबसे हैरतअंगेज बयान रूस के लिए आया है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अमेरिका और रूस के बीच प्रतिद्वंदिता और आपसी अविश्वास से दुनिया वाकिफ है. इसके उलट ट्रंप ने ब्लादिमीर पुतिन को एक ताकतवर ग्लोबल नेता घोषित करते हुए कहा है कि राष्ट्रपति बनने के बाद वह पुतिन के साथ गहरी दोस्ती गांठने का काम करेंगे.
7. इराक, सीरिया समेत कुछ इस्लामिक देशों के खिलाफ बड़ी सैन्य कारवाई
मौजूदा समय में इस्लामिक स्टेट से मिल रही चुनौती को देखते हुए डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनो का पूरी ताकत के साथ दमन करने की जरूरत है. इसके लिए वह यूरोप से फ्रांस और जर्मनी के साथ-साथ रूस जैसे देशों के साथ मिलकर बड़ा सैन्य कारवाई के पक्षधर हैं. ट्रंप का मानना है की कच्चे तेल की कमाई ज्यादातर आतंकी संगठनों की रीढ़ की हड्डी है लिहाजा उनके खात्मे के लिए जरूरी है कि कच्चे तेल के कारोबार पर पूरी तरह से अमेरिका और मित्र देशों का कब्जा बनाया जाए.
8. एच1बी वीजा पर प्रतिबंध
अमेरिका में बढ़ती बेरोजगारी के लिए डोनाल्ड ट्रंप एच1बी वीजा नीति को मानते हैं. चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप कह चुके हैं कि राष्ट्रपति पद संभालने के बाद वह ट्रंप एच1बी वीजा को बंद करने का प्रस्ताव कर सकते हैं जिससे वहां काम करने के लिए आ रहे बड़ी संख्या विदेशियों को रोका जा सके. इस नीति में किसी बदलाव का सीधा असर भारत पर भी पड़ेगा क्योंकि इस वीजा का बड़ा फायदा भारत से अमेरिका जा रहे लोगों को मिलता है.
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