क्या उत्तर प्रदेश गेरुआ-मय लग रहा है ?
गेरुआ रंग उत्तर प्रदेश के लोगों, खासकर भाजपा के कार्यकर्ताओं के सर चढ़ के बोल रहा है. अगर सब कुछ इसी रफ़्तार से चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब उत्तर प्रदेश के भाजपा कार्यकर्ताओं के फ़ोन का रिंगटोन- 'रंग दे तू मोहे गेरुआ' हो जाएगा!
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भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर एक भगवाधारी योगी आदित्यनाथ विराजमान हुए हैं. पर ऐसा नहीं है कि इनसे पहले किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री भगवाधारी नहीं रहा है. आज से लगभग डेढ़ दशक पहले योगी के पार्टी भाजपा की ही उमा भारती मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री का पद संभाल चुकी हैं. उमा भारती भी भगवाधारी साध्वी हैं. 2003 में जब उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थी, तब भगवा यानि गेरुआ रंग लोगों के सर चढ़ कर नहीं बोल रहा था. लेकिन योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से पूरे उत्तर प्रदेश का माहौल ही बदल गया है.
गेरूआ रंग में रंगा प्रदेश
जिस दिन से योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है, भगवा रंग आकर्षण का केंद्र बन गया है. आम लोग भी भगवा वस्त्र धारण करने लगे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब पहली बार विधानसभा में बोल रहे थे तो टेलीविजन स्क्रीन में उनके साथ फ्रेम में तीन अन्य मंत्री भी दिखाई दे रहे थे और सब ने भगवा रंग के कपड़े पहने हुए थे. हालांकि उनमें से कोई भी सन्यासी, योगी या साध्वी नहीं है. जो अन्य तीन लोग इस फ्रेम में थे वो हैं- दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डा. दिनेश शर्मा एवं पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी चेतन चौहान. ऐसा लग रहा था कि योगी के मंत्रियों ने अपने मुख्यमंत्री से प्रेरणा लेते हुए भगवा वस्त्र धारण कर लिया है.
योगी सरकार बनने के बाद उत्तर प्रदेश के लोगों में खुद को भाजपा का समर्थक बताने की होड़ सी लग गई है. इसके चलते प्रदेश में केसरिया गमछे की मांग आसमान छू रही है. राजधानी लखनऊ के कोने-कोने में भगवा रंग में रंगे योगी समर्थक नजर आ रहे हैं. गेरुवा रंग का कुर्ता और गले में राम नाम का दुपट्टा आज उत्तर प्रदेश का स्टाइल स्टेटमेंट हो गया है. क्या नौजवान, क्या बुजुर्ग, हर उम्र के लोग इस रंग की तरफ आकर्षित हुए हैं. राजधानी समेत राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी ‘योगी कट’ कुर्ते दिन-रात तैयार हो रहे हैं. भाजपा के कार्यक्रमों में जहां भी इन कुर्तों की बिक्री के स्टॉल लगते हैं वहां खरीदने वालों की कतारें देखने को मिल रही है.
रंग दे तू मोहे गेरुआ
खबर ये भी आ रही है कि शुरु-शुरु में मुख्यमंत्री के आवास एवं ऑफिस के लिए अधिकारियों को गेरुआ तौलिये खोजने में काफी मसक्कत करनी पड़ी थी. शपथ लेते ही मुख्यमंत्री के नजदीकी लोगों ने अधिकारियों को बताया की वो केवल गेरुआ रंग के ही तौलियों का इस्तेमाल करते हैं एवं शपथग्रहण के अवसर पर VVIP सीट पर सफ़ेद रंग के तौलिये रखे जाने से खुश नहीं थे. प्रदेश में बड़े पदों पर आसीन लोगों के कुर्सी पर सफ़ेद तौलिया रखने की परम्परा रही है. और क्यूंकी भगवा रंग के तौलिये बहुत प्रचलित नहीं हैं, इसलिए ये सहजता से नहीं मिल पा रहे थे. एक अधिकारी ने तो डाई करने वालों को बुलाकर सफेद रंग के तौलियों को ही गेरुआ रंग में रंगवा दिया. लेकिन साथ ही उन्हें ये डर भी सता रहा था कि कहीं उन तौलियों का रंग ना छूट जाए. लेकिन उनकी आशंका गलत साबित हुई.
मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद जब योगी आदित्यनाथ प्रेस कांफ्रेंस के लिए आए तो कुर्सी पर भगवा तौलिया रखी गई थी. और अब मुख्यमंत्री के किसी भी कार्यक्रम में कुर्सी के ऊपर केवल गेरुआ रंग के ही तौलिये दिखाई देते हैं. गेरुआ रंग उत्तर प्रदेश के लोगों, खासकर भाजपा के कार्यकर्ताओं के सर चढ़ के बोल रहा है. पूरा का पूरा माहौल केसरिया है. अगर सब कुछ इसी रफ़्तार से चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब उत्तर प्रदेश के भाजपा कार्यकर्ताओं के फ़ोन का रिंगटोन- 'रंग दे तू मोहे गेरुआ' हो जाएगा!
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