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Updated: 05 मई, 2017 09:46 PM
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जयपुर-दिल्ली नेशनल हाईवे पर बहरोड में दिन दहाड़े जिस तरह से गो-रक्षा के नाम पर सरेआम भीड़ ने गो-तस्करी के आरोप में पहलू खान को पीट-पीट कर मार डाला उसे देखकर किसी भी लोकतांत्रिक देश के सभ्य नागरिक को शर्म आ जाए. ये एक आपराधिक घटना है जिसे होने को लेकर न केवल आफसोस व्यक्त किया जा सकता है पर ऐसे जघन्य अपराध के लिए कठोर सजा की मांग भी की जा सकती है. लेकिन एक शासन- व्यवस्था से न्यूनतम उम्मीद राज-धर्म की तो की ही जा सकती है.

आज 5 मई है. आज से ठीक एक महीने पहले पहली बार आजतक बहरोड के रोंगटे खड़े कर देनेवाली तस्वीर सामने लेकर आया था जिसमें एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति भीड़ के बीच फुटबाल बना हुआ है. लोग लात-घूंसे से उसे पीटे जा रहे हैं और उछाल-उछाल कर एक तरफ से दूसरी तरफ ले जा रहे हैं. दृश्य में पुलिस भी दिख रही थी वह भी हंसती हुई. देश स्तब्ध था. मैं भी इस दृश्य की सच्चाई को जानने के लिए आधी रात तक पुलिस वालों से बातचीत करता रहा. विश्वास नहीं हो रहा था कि ये तस्वीर भारत की है, क्योंकि ऐसी वहशीपने की तस्वीरें हम अमूमन अफगानिस्तान जैसे देशों में देखते रहते हैं.

pehlu khan, alwar

लेकिन जैसै मैं सोच रहा था राजस्थान की शासन व्यवस्था वैसा नहीं सोच रही थी. उन्हें इसबात पर अफसोस नहीं था कि गो तस्करी के आरोप में पहलू खान को पीट-पीट कर मार डाला गया बल्कि अफसोस इस बात का था कि मारपीट की तस्वीरें कैसे सामने आ गईं. एक साथ अलवर जिले के सारे विधायक और मंत्री कहने लगे कि पहलू खान गो तस्कर था और मारनेवाले गो-भक्त थे. रामगढ़ से विधायक ज्ञानदेव आहूजा तो अपना ज्ञान लेकर मौके पर पहुंच गए और कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में लिखा है कि मौत पिटाई से नहीं हुई है, सदमे से हुई है. भला इन विधायक को कौन समझाए की रीढ़ और छाती की हड्डी टूटने से ही SHOCK लगना लिखा हुआ है मगर ये पुलिसवालों को ही कारर्वाई करने पर देख लेने की चुनौती देते रहे. स्थानीय विधायक और श्रम मंत्री ने अपना सारा श्रम लगा रखा है कि हत्या का कोई आरोपी पकड़ा न जा सके.

ये एक मामूली बात नहीं है कि पहलू खान की हत्या के मामले में सात नामजद अभियुक्त हैं और सातों के सातों एक महीने बाद भी गिरफ्तार नहीं हुए हैं. पुलिस का इसबात पर यकीन करना मुश्किल है कि वो पांच हजार की आनाम घोषित कर रखे हैं मगर आरोपी मिल नहीं रहे हैं. भला पुलिस पकड़ने की हिम्मत कैसे करे जब पुलिस विभाग का मुखिया गृहमंत्री पुलिस मुख्यालय में बैठकर हत्या के आरोपियों को देशभक्त बताए. गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया बेहद शालिन और आर्थिक रुप से बेहद ईमानदार व्यक्ति हैं मगर उनकी नैतिक बेईमानी जगजाहिर है. विचारधारा के प्रति झुकाव और आरएसएस से जुड़े पदाधिकारियों के नामजद आरोपी होने की वजह से गृहमंत्री पहलू खान को बिना जांच के गो तस्कर बता रहे हैं. पुलिस की जांच और कोर्ट के फैसले तक का इंतजार इनको नहीं है. हद तो ये हो गई कि विधानसभा में खड़े होकर कह दिया कि पहलू खान के खिलाफ गो-तस्करी के तीन मामले अलवर में दर्ज हैं. अपने महकमे के मुखिया के इस अद्भुत जानकारी से परेशान अलवर पुलिस ने पिछले बीस साल के सारे मुकदमे खंगाल डाले मगर पहलू खान के खिलाफ गो तस्करी का एक भी मामला नहीं मिला.

सवाल ये है कि जब सत्ता के शीर्ष पर बैठी सरकार का रुख ऐसा है तो मातहत पुलिस के लिए संदेश साफ है कि चुपचाप बैठे रहो वर्ना कुछ तो उत्तरदायित्व बनता. अलवर के पुलिस अधीक्षक राहुल प्रकाश से जब हमने ये पूछा कि आखिर नामजद आरोपी क्यों नहीं  गिरफ्तार हो रहे हैं तो उनका जवाब सुनकर हैरान रह गए एसपी साहब ने कहा कि 'आप आजतक पर कह दीजिए कि एसपी ने बात करने से मना कर दिया है.' ये हिमाकत एसपी साहब इसलिए कर पा रहे हैं कि इन्हें सत्ता का वरदहस्त प्राप्त है. मैं यही कहने की कोशिश कर रहा हूं कि जब राजा राजधर्म का पालन नहीं कर रहा होता है जिस अकाउंटिबिलिटी की बात की जाती है वो दम तोड़ देती है.

मारपीट के वीडियो को देखकर पुलिस ने एबीवीपी के एक छात्र नेता को पकड़ा था जो पुलिस कस्टडी में परीक्षा देने जब बहरोड़ के अपने कालेज में आया तो गो-रक्षा के स्व्यं-भू ठेकेदार साध्वी कमल दीदी (नाम ही दीदी रख लिया है) कालेज पहुंचकर उसका स्वागत कार्यक्रम कर लिया. साथ में पुलिसवाले खड़े थे और दीदी उन्हें धमकी भरे अंदाज में नसीहत दे रही थीं कि जेल में ख्याल रखना. ये हमारे आजाद भारत के भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद हैं. क्या संभव है कि जेल में बंद किसी आरोपी का स्वागत समारोह पुलिस की मौजूदगी में बिना शासन व्यवस्था की मिलीभगत के हो सके.

sadhvi kamal didiसाध्वी कमल दीदी

पहलू खान के बेटे और भाई जब जयपुर में न्याय के लिए धरने पर बैठे और दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना देने का एलान किया तो सहसा 21 दिन बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अपनी साख की याद आई. कुछ प्रत्युत्तर नहीं करनेवाले पत्रकारों को बुलाकर मुख्यमंत्री ने चलते-चलते अश्वथामा मरो न कुंजरो के अंदाज में  बयान दे दिया कि ऐसी घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. मुख्यमंत्री के बयान में संज्ञा के अभाव में लोग अबतक ये सवाल कर हे हैं कि वसुंधरा ने किसके लिए बयान दिया था. वसुंधरा की ऐसी घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी वाले बयान का मतलब हिंदू ब्रिगेड ने निकाला कि सीएम ने कहा था कि गो तस्करी बर्दाश्त नहीं जाएगी और गो तस्कर बख्शे नहीं जाएंगे. मगर वसुंधरा राजे को शहरी-पढ़ी लिखी और लचीले विचारधारा का मानने वाले लोगों को लगा कि वसुंधरा देर आई हैं मगर दुरुस्त आई हैं और अब कार्रवाई होकर रहेगी.

मगर हमारी पड़ताल ने इसकी एक अलग तस्वीर पेश की है. दरअसल मेवात का इलाका कांग्रेस का गढ़ रहा है जहां बड़ी संख्या में मुसलमान रहते हैं. स्थानीय नागरिक बलजीत यादव ने बताया कि पुलिस राजनेताओं के इशारे पर काम कर रही है. वो किसी को पकड़ना चाहती भी नहीं है मगर आरोपियों को छोड़ना भी नहीं चाहती है. बीजेपी के नेता ये चाहते हैं कि मुसलमान आए दिन रैलियां और पंचायत कर गिरफ्तारी की मांग करते रहें और हिंदू इनके बचाव में रैलियां और बैठकें करते रहें. जैसा कि अलवर में पिछले 15 दिनों से चल रहा है. दोनों समुदायों के तनाव की वजह से माहौल हिंदू बनाम मुसलमान में बंट रहा है. अगर हिंदू एकजुट हो जाएं तो बीजेपी के लिए मेवात की तीस सीटें सीधे झोली में आ जाएंगी.

मुद्दा भले ही गाय का हो मगर आखिरी फैसला वोटों का गणित ही करता है. तभी तो पहलू खान के घरवालों से मिलने तक के लिए मुख्यमंत्री और गृहमंत्री ने टाइम नहीं दिया. ये तो बस न्याय की गुहार लेकर और बेगुनाही का सुबूत लेकर मिलना चाहते थे मगर नेताओं को डर इसबात का था कि जिन तथाकथित गो-भक्तों की पूंछ पकड़कर चुनाव की बैतरनी पार करना है वो नाराज होकर बीच मझधार में दुलत्ती न मार दें.

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