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Updated: 28 नवम्बर, 2022 04:21 PM
अजीत कुमार मिश्रा
अजीत कुमार मिश्रा
  @ajitmishra78
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बहुत कम ही लोगों को याद होगा कि 27 नवंबर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की पुण्यतिथि होती है. किसी को याद क्यों नहीं रहता ये एक बड़ा सवाल है. खास कर पिछड़े समुदाय के लोगों ने क्यों उन्हें भूला दिया ये विमर्श का विषय है.

आखिर क्यों ओबीसी समुदाय ने उन्हें इस्तेमाल की गई वस्तु की तरह फेंक दिया और भूला दिया? ये उन समाजवादी सवर्णों के लिए संदेश है, जो दिन-रात पिछड़ों के हक में बोलते हैं और सवर्णों को पानी पी-पी कर गाली देते हैं. ताकि, वो भी कभी पिछड़ों के मसीहा के रुप में जाने जाएं, एक प्रगतिशील के रुप में समाज में उन्हें सम्मान मिले.

Vishwanath Pratap Singh wellwisher of obc community who become a disgraced personality for everyoneजिन वीपी सिंह ने पिछड़ों को आरक्षण दिलाने के लिए मंडल कमीशन को लागू किया. उन्हें ही पिछड़ों ने अपने दिलो-दिमाग से निकाल दिया.

अभी दो साल पहले ही एक प्रखर कांग्रेसी, नारीवादी, सेकुलर और समाजवादी एक महिला ब्राह्मण पत्रकार ने पिछड़ों को लेकर कुछ ऐसा ट्वीट कर दिया था. जिसमें पिछड़ों को किसी ऐसी बात की सलाह दे दी थी, जो उनके लिए सुधारवादी थी. लेकिन, लगातार पिछड़ों के हक की बात कर खुद को बहुत ज्यादा प्रगतिशील बताने वाली उन ब्राह्मण महिला पत्रकार को पिछड़े समुदाय ने ऐसे ट्रोल किया. जिसकी कोई बानगी नहीं मिलती. इतनी गाली-गलौच और इतना अपमान झेलने के बाद भी वो महिला आज भी वही कर रही है. वो ऐसा कर रही हैं, ये बहादुरी की बात है. लेकिन, संभव है कि मसीहा बनने का उनका भ्रम टूट गया हो. ये उनकी च्वाइस है. लेकिन, पिछड़ों ने उनको एक ट्वीट में ही अपना दुश्मन साबित कर दिया और उन पर ब्राह्मणवादी और सवर्ण होने का ठप्पा लगाकर खूब गाली दी. लेकिन, जिन वीपी सिंह ने पिछड़ों को आरक्षण दिलाने के लिए मंडल कमीशन को लागू किया. उन्हें ही पिछड़ों ने अपने दिलो-दिमाग से निकाल दिया. हां, ये सच है कि वीपी सिंह ने ऐसा तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों से निकलने की छटपटाहट में किया. लेकिन, ये तय है कि पिछड़ों का सामाजिक न्याय का आंदोलन उसके बाद ही शिखर पर पहुंचा.

वीपी सिंह के इस कार्य के लिए सवर्णों के अंदर उनके लिए सम्मान नहीं बचा. ये तो बात समझ में आती है. लेकिन, क्या उनका आज तक इतना भी सम्मान नहीं किया जाना चाहिए था कि उनके नाम से ओबीसी समुदाय के नेताओं के द्वारा किसी विश्वविद्यालय की स्थापना ही की जाती, उनकी कोई मूर्ति ही लगवाई जाती.

बिहार और उत्तर प्रदेश में दो दशक तक पिछड़ों की ही सरकार रही. बिहार में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार दोनों ही पिछड़े समुदाय से आते हैं. लेकिन, बिहार में उनके नाम से न तो कोई कल्याणकारी योजना चलाई गई और न ही किसी संस्थान का नामकरण उनके नाम से किया गया.

वीपी सिंह उत्तर प्रदेश से आते थे और वहां भी मुलायम सिंह यादव की सरकार रही और अखिलेश यादव ने भी शासन किया. लेकिन, वीपी सिंह की विरासत और उनकी देन को गायब कर दिया गया. इसलिए मैं अपने उन मित्रों से बात करते वक्त हमेशा कहता हूं कि आप पिछड़ों के हक के लिए लड़ रहे हैं. ये बहुत अच्छी बात है, आप समाजवादी हैं, ये भी अच्छी बात हो सकती हैं. लेकिन, ये याद रखिए कि जब तक आप उनके समर्थन में खड़े रहेंगे. तो, वो आपकी बात सुनते रहेंगे. लेकिन, अगर गलती से भी उन्हें सलाह देने की कोशिश की. तो, आपको जो गालियां मिलेंगी. उससे आपकी पुश्तों का उद्धार हो जाएगा. दूसरे आप कभी भी उनके मसीहा बन कर उनसे सम्मान पा लेंगे, ये तो भूल ही जाइये. क्योंकि, उनके अंदर यही भाव लगातार बना हुआ है कि सवर्णों ने उनका शोषण किया और अब कोई सवर्ण अगर उनके समर्थन में खड़ा भी है. तो, कोई एहसान नहीं कर रहा, अपने पाप धो रहा है.

लेखक

अजीत कुमार मिश्रा अजीत कुमार मिश्रा @ajitmishra78

लेखक पूर्व पत्रकार हैं और संस्था ShuddhSanatan.org के फाउंडर हैं.

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