महिलाओं से इतना चिढ़ते क्यों हैं शरद यादव ?
एक नेता के लिए वोट ही सबसे ज्यादा मायने रखता है. बेटी की इज्जत लुटती है तो लुट जाए, वोट मिलने चाहिए बस.
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राजनीति का गिरता स्तर और कितना नीचे गिरेगा इसकी कल्पना नहीं की जी सकती. हमारे नेता जब राजनीति पर उतर आते हैं तो जबान पर काबू रखना भूल जाते हैं. आज शरद यादव के चर्चे हैं, कल किसी और के होंगे.
बिहार जेडीयू के नेता शरद यादव तो जैसे विवादित बयान देने की प्रतियोगिता में अव्वल आने वालों में से हैं. हालिया बयान में इन्होंने वोट की इज्जत को बेटी की इज्जत से बड़ा बता दिया. कहते हैं 'बेटी की इज्जत जाएगी तो गांव और मोहल्ले की इज्जत जाएगी, अगर वोट बिक गया तो देश की इज्जत जाएगी.'
#WATCH: Senior JDU leader Sharad Yadav says "Beti ki izzat se vote ki izzat badi hai" in Patna (Jan 24th) pic.twitter.com/kvDxZpO2iZ
— ANI (@ANI_news) January 25, 2017
सही बात भी है न, एक नेता के लिए वोट ही सबसे ज्यादा मायने रखता है. बेटी की इज्जत लुटती है तो लुट जाए, वोट मिलने चाहिए बस.
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इस बयान से जब चारों तरफ हल्ला मच गया तो उन्होंने बात संभालते हुए फिर अपनी बात को ही आगे रखा. उनका कहना था कि 'मैंने बिल्कुल गलत नहीं कहा. जैसे बेटी से प्यार करते हैं वैसे ही वोट से भी होना चाहिए, तब देश और सरकार अच्छी बनेगी.'
Maine bilkul galat nhi kaha, jaise beti se pyar karte hai waise hi vote se bhi hona chahiye tab desh aur sarkaar acchi banegi: Sharad Yadav
— ANI (@ANI_news) January 25, 2017
हां, ये बात भी अच्छी कही, पॉलीटीशियन्स की जिंदगी में प्यार सिर्फ वोट और नोट से ही तो होता है. कीमत सिर्फ वोट की होती है. बेहतर ये नहीं होता कि शरद यादव बेटी की 'इज्जत' को 'कीमत' से बदल लेते. शायद उन्हें यही सूट करता.
पहली बार नहीं है कि शरद यादव के मुंह से महिलाओं के लिए ऐसी बातें सुनने मिली हों.
- शरद यादव ने राज्यसभा में बीमा विधेयक की चर्चा के दौरान कहा था कि दक्षिण भारत की महिलाएं सांवली जरूर होती हैं, लेकिन उनका शरीर खूबसूरत होता है, उनकी त्वचा सुंदर होती है, वो नाचना भी जानती हैं.
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- निर्भया पर बनी डॉक्यूमेंट्री पर उन्होंने कहा कि भारतीय लोग गोरी चमड़ी के आगे किस तरह सरेंडर करते हैं, यह निर्भया पर डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली लेस्ली अडविन के किस्से से पता चलता है.
- महिलाओं के खिलाफ बयानबाजी करने को लेकर जब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आपत्ति जताई तो शरद यादव ने उन्हें जवाब देते हुए कहा था कि 'मैं जानता हूं, कि आप क्या हैं'.
- 1997 में जब पहली बार महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किया गया था, तब शरद यादव का कहना था कि 'इस विधेयक के जरिये क्या आप ‘परकटी महिलाओं’ को सदन में लाना चाहते हैं.' इस कमेंट पर महिला संगठनों ने कड़े विरोध पर शरद यादव को माफी मांगनी पड़ी थी.
तो एक इतिहास रहा है शरद यादव का, जिससे आप इनकी मानसिकता का आंकलन कर सकते हैं. और यहां सवाल महिला मंडलों से माफी मांगने का भी नहीं है, सवाल ये है कि हम इस तरह की घटिया सोच वाले नेताओं को बर्दाश्त ही क्यों करते हैं? अगर इनके लिए वोट की इज्जत बेटी की इज्जत से बड़ी है, तो फिर बेटियों के वोट की उम्मीद भी न करें.
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फिलहाल तो इस घटिया बयान पर महिला आयोग ने शरद यादव को नोटिस भेज दिया है, जिसका जवाब उन्हें देना होगा. पर काश हम सब ये देख पाते कि इस बयान के बाद, खुद एक बेटी के पिता शरद यादव अपनी बेटी का सामना कैसे करते.
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