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Updated: 03 अक्टूबर, 2016 08:39 PM
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कावेरी जल बंटवारे पर जो महाभारत जारी है, उससे अलग कई और सवाल इन दिनों तमिलनाडु में लोग एक-दूसरे से पूछ रहे हैं. 68 साल की हो चुकीं जयललित कैसी है? क्या वो पूरी तरह से ठीक हैं या फिर कुछ छिपाने की कोशिश हो रही है. एक साथ कई तरह की कहानियां घूमने लगी हैं.

इसी साल तमिलनाडु में जब विधानसभा चुनाव हुए तो किसे अंदाजा था कि जयललिता 30 साल पुराना एक राजनीतिक रिकॉर्ड ध्वस्त कर देंगी. इन वर्षों में ये पहली बार था कि तमिलनाडु की जनता ने लगातार दूसरी बार एक ही पार्टी को मौका दिया. लेकिन, क्या ये कहना अभी ठीक होगा कि चुनाव के महज चार महीने बाद ही उनकी पार्टी के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है?

जयललिता की बीमारी

जयललिता को 22 सितंबर को बुखार और डिहाईड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) की शिकायत पर चेन्नई में अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया. तब ये बताया गया कि डॉक्टरों ने उन्हें कुछ दिन अस्पताल में ही रहने की सलाह दी है. लगा बात मामूली है. दो-चार दिनों में जयललिता ठीक हो जाएंगी. अब 10 दिन से भी ज्यादा का समय हो चला है, लेकिन तस्वीर साफ नहीं और धुंधली होती जा रही है. अस्पताल और पार्टी की ओर से कहा जा रहा है कि जयललिता की स्वास्थ्य में लगातार सुधार हो रहा है लेकिन वे अस्पताल से बाहर कब तक आ सकेंगी, इसे लेकर अब तक कोई बात नहीं कही गई है.

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 राजनीति की एक मजबूत शख्सियत की कमजोरी को छिपानी की कोशिश तो नहीं?

आप इन्हें अफवाह कह लीजिए, विरोधियों की सरकार को बदनाम करने की कोशिश या फिर कुछ लोगों की शरारत. लेकिन तमिलनाडु में सबकुछ बहुत ठीक-ठाक तो नहीं है. अस्पकाल के बाहर जिस तरह की बातें हो रही हैं, तमिलनाडु की सरकार भी इससे वाकिफ है. शायद तभी, अटकलों पर विराम लगाने के लिए तमिलनाडु के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव शनिवार को जयललिता को देखने अस्पताल पहुंचे और ये पुष्टि भी की कि उनकी 'हालत में सुधार' हो रहा है.

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हद तो अब हो गई जब सोमवार को मद्रास हाई कोर्ट में एक शख्स ने PIL दाखिल कर दी कि जयललिता के स्वास्थ्य को लेकर विस्तृत रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए. साथ ही उन बैठकों की तस्वीरें भी पब्लिक डोमेन में रखी जाएं, जिसे अस्पताल में रहते हुए जयललिता अपने अधिकारियों और मंत्रियों के साथ कर रही हैं. वैसे एक तस्वीर पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर वायरल है. लेकिन इसे फर्जी बताया जा रहा है-

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 एक फर्जी तस्वीर?

डीएमके के एम. करुणानिधी पहले ही जयललिता की अस्पताल की तस्वीरों को जारी करने की सलाह दे चुके हैं. कोई ऑडियो तो कोई वीडियो जारी करने की बात कह रहा है. लेकिन जयललिता की पार्टी AIADMK के समर्थक तटस्थ हैं. जो बात पार्टी दफ्तर से बाहर आ रही है, उसे वे मान रहे हैं. लेकिन शंका तो फिर भी है. दस दिन से ज्यादा का समय होने को आया और केवल ये बताया गया कि जयललिता को बुखार और डिहाईड्रेशन की शिकायत थी. क्या वाकई ऐसा है? ये कौन सा ऐसा बुखार है, जो नामी-गिरामी डॉक्टर्स की मौजूदगी के बावजूद भाग नहीं रहा. इतनी गोपनियता रखी गई है कि संदेह पैदा हो जाना लाजिमी है. अभी कुछ दिनों पहले विकिपिडिया को लेकर भी बवाल हुआ जब कुछ शरारती तत्वों ने उनके निधन की गलत खबर वहां डाल दी.

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वैसे, अस्पताल ने ये पुष्टी कर दी है कि इंग्लैंड से सेप्सिस (sepsis-खून में होने वाला एक संक्रमण) के एक विशेषज्ञ पहुंचे हैं, जो उनकी हालत में सुधार पर नजर रख रहे हैं. बताया जा रहा है कि ये बीमारी गंभीर है.

अफवाह कौन उड़ा रहा है

AIADMK के समर्थक कहते हैं कि विपक्ष के लोग अफवाह फैलाने का काम कर रहे हैं. लेकिन सवाल है कि अफवाह के ऐसे मौके ही क्यों दिए जा रहे हैं. मीडिया में सूत्रों के हवाले से आई रिपोर्ट्स के अनुसार जयललिता को अस्पताल के दूसरे तले पर रखा गया है. बेहद कड़ी सुरक्ष के बीच. यहां तक की पार्टी के सीनियर नेता या नौकरशाह भी केवल फर्स्ट फ्लोर तक जाने की इजाजत है. वहीं उन्होंने एक छोटा सा सचिवालय बना दिया है, ताकि प्रशासनिक कामकाज चलता रहे. बताया ये भी जा रहा है कि जयललिता ठीक हैं और बहुत से कामों निपटारा वहीं से कर रही हैं.

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खैर, हमारे पास अभी यही विकल्प है कि हम आधिकारिक सूचनाओं पर ही बात करें. लेकिन सवाल ये कि इतनी गोपनियता क्यों? क्योंकि राज्य में अफवाहों का बाजार गर्म है. पिछले हफ्ते इसकी कई बानगी देखने को मिली. मसलन, चेन्नई की कई आईटी कंपनियों में पिछले सोमवार को कह दिया गया कि वे जल्दी घर लौट जाएं. लॉ एंड ऑर्डर की समस्या हो सकती है. ऐसे ही व्हाट्सएप पर तमाम मैसेज और तस्वीरें खूब एक दूसरे को लोग फॉर्वर्ड कर रहे हैं और ज्यादातर में कोई सच्चाई नहीं है. एक कहानी ये भी चल रही है कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है, इसलिए जयललिता अस्पताल में हैं.

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 जब विकिपिडिया पर हुई शरारत

वैसे ये पहली बार नहीं है, जब जयललिता के स्वास्थ्य को लेकर ऐसे सवाल खड़े हुए हैं. पिछले साल भी जुलाई में जब जयललिता ने एक इफ्तार पार्टी में हिस्सा नहीं लिया तो ऐसी ही बातें चल पड़ी थी. करुणानिधी ने तब भी जयललिता के स्वास्थ्य को मुद्दा बनाने की कोशिश की थी.

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बहरहाल, ये सही है कि जयललिता का ये अपना हक है कि वे अपनी निजी बातों को सार्वजनिक करें या न करें. लेकिन उनमें और दूसरों में एक बड़ा अंतर ये भी है वे लोगों द्वारा चुन कर आई हैं, मुख्यमंत्री हैं. उन्हें इस पहलू को भी देखना होगा. वैसे, एक बात तो तय है. जो कहानियां सोशल मीडिया पर घूम रही हैं और जो सरकार या कहिए कि AIADMKकी ओर से बताया जा रहा है...दरअसल, सच इन दोनों के बीच में कहीं है.

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