बाबा की शैक्षिक योग्यता पर अब सवाल क्यों?
वैसे बाबा रामदेव को कई संस्थानों ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि दे रखी है. अब उनकी शिक्षा पर सवालों का कोई मतलब नहीं रह जाता.
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बाबा रामदेव की योग्यता पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है. ये सवाल हरियाणा में उन्हें योग और आयुर्वेद का ब्रांड एम्बेसडर बनाए जाने पर उठाया गया है. हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री संपत सिंह ने बाबा रामदेव की शैक्षिक योग्यता पर सवाल खड़े करते हुए हरियाणा सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की है.
बाबा रामदेव ने योग में कोई नई खोज की है या नहीं, सवाल ये नहीं है. बाबा रामदेव ने योग की कोई नई थ्योरी दी है या नहीं, सवाल ये भी नहीं है. बाबा रामदेव ने योग की कोई नई विधा प्रतिपादित की है या नहीं, सवाल ये भी नहीं है. या ऐसा कोई सवाल नहीं है. सवाल ये उठा है कि बाबा रामदेव को सरकार के ब्रांड एम्बेसडर हो सकते हैं या नहीं. आखिर किसी ब्रांड एम्बेसडर का काम क्या होता है? ब्रांड एम्बेसडर उस खास ब्रांड या प्रोडक्ट को प्रमोट करता है, यही नहीं. उसके प्रचार प्रसार के लिए काम करता है. प्रोडक्ट के यूजर्स को उसकी खासियत बताता और समझाता है. चूंकि आम लोग उसकी बातों पर गौर करते हैं या आंख मूंद कर यकीन करते हैं इसलिए प्रोड्क्ट लोगों में अपनी पैठ बनाता है - और उसका विस्तार होता है.
हां, ये बातें बाबा रामदेव के आयुर्वेद के ज्ञान पर लागू नहीं होती. ये बात उनके होमोसेक्सुअलिटी के इलाज के दावे पर भी लागू नहीं होती. ये बात उनके एड्स को भी क्योर कर लेने के दावे पर कतई लागू नहीं होती.
टूथपेस्ट और च्यवनप्राश से लेकर उनके तमाम प्रोडक्ट पर भी ये बात नहीं लागू होती. बाबा रामदेव या उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण द्वारा सुझाए जाने वाले इलाज के नुस्खों पर भी ये बात लागू नहीं होती. बाबा रामदेव के प्रोडक्ट का स्टैंडर्ड क्या है ये तय करने के लिए देश में मान्य एजेंसियां हैं. वो किसी को दवा प्रेस्क्राइब कर सकते हैं कि नहीं इसके लिए भी अधिकृत एजेंसियां हैं - और इसकी जांच या किसी तरह की कार्रवाई करने के लिए वे अधिकृति हैं. लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि बाबा रामदेव योग और आयुर्वेद को प्रमोट नहीं कर सकते? योग और आयुर्वेद की अच्छाई लोगों को नहीं बता सकते. योग और आयुर्वेद को अपनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित नहीं कर सकते.
'ब्रांड एम्बेसडर' के लिए शैक्षिक योग्यता क्या होनी चाहिए? ये योग्यता कौन तय कर सकता है? इसे तय करने का हक किसे है? निश्चित रूप से ये अधिकार पूरी तरह उस संगठन या कंपनी का है जो किसी भी व्यक्ति को अपना या अपने किसी प्रोडक्ट का ब्रांड अंबेसडर बनाती है.
बॉलीवुड स्टार करीना कपूर ‘अल्पेनलीबे 2 चॉको इक्लेयर’ की ब्रांड एम्बेसडर हैं. तो क्या उन्हें चॉकलेट टेस्टर या चॉकलेट मेकिंग मेथड का का एक्सपर्ट होना चाहिए. क्रिकेट स्टार सचिन तेंदुलकर मशहूर जर्मन कार कंपनी बीएमडब्ल्यू के ब्रैंड एम्बेसडर हैं. अब क्या तेंदुलकर को इसके लिए ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट भी होना पड़ेगा?
वैसे सरकार के कामकाज को लेकर विपक्ष की बयानबाजी उसके होने का सबूत है. सरकार के कामकाज पर सवाल खड़े करना विपक्ष का हक है.
योग देश के लिए कोई नई चीज नहीं थी. देश में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसे योग के बारे में पता न हो. ऐसा भी नहीं कि बाबा रामदेव से पहले योग को लेकर टीवी पर कोई कार्यक्रम नहीं दिखाया गया. लेकिन बाबा रामदेव ने जिस तरह योग को घर घर पहुंचाया. योग को आम लोगों से जोड़ा. योग के प्रति हर किसी में रुचि जगाई. हजारों लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनाया उसका कोई मुकाबला नहीं है.
वैसे बाबा रामदेव को कई संस्थानों ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि दे रखी है. ऐसे में उनकी स्कूली शिक्षा पर सवालों का कोई खास मतलब नहीं रह जाता, सिवा सियासी फितरत के.
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