आखिर क्या है मोदी की अंतर्राष्ट्रीय सियासत?
बांग्लादेश को छोड़ कर पड़ोसियों के साथ रिश्ते जस के तस बने हुए हैं - और म्यांमार ऑपरेशन पर मोदी के मंत्रियों की बयानबाजी के चलते भ्रम की स्थिति ऐसी बनी कि तस्वीर अब साफ नहीं हो पाई.
-
Total Shares
वजह भले ही बदलती रहे, मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतर्राष्ट्रीय सियासत सुर्खियों में जरूर बनी रहती है. ललित मोदी की मानवीय मदद को लेकर प्रधानमंत्री मोदी का विदेश मंत्रालय ताजा विवाद का हिस्सा है. बांग्लादेश को छोड़ कर पड़ोसियों के साथ रिश्ते जस के तस बने हुए हैं - और म्यांमार ऑपरेशन पर मोदी के मंत्रियों की बयानबाजी के चलते भ्रम की स्थिति ऐसी बनी कि तस्वीर अब साफ नहीं हो पाई.
बयानबाजी और विवाद
म्यांमार ऑपरेशन को लेकर मोदी सरकार के मंत्रियों की बयानबाजी से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई. सर्जिकल ऑपरेशन की बात पर पाकिस्तान ने जहां कड़ी प्रतिक्रिया जताई वहीं म्यांमार सरकार ने अपनी सीमा में हुई सैनिक कार्रवाई की बात को ही झुठला दिया.
बात सिर्फ मंत्रियों की ही नहीं है, खुद प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान पर भी खासा विवाद हुआ जिसमें उन्होंने कहा था कि पहले देश की छवि 'स्कैम इंडिया' की बन गई थी और अब वो उसे 'स्किल इंडिया' में बदलने की कोशिश में हैं. इतना ही नहीं, विदेशी पर ही दिए गए मोदी के एक बयान को लेकर सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई. मोदी ने कहा था कि पहले लोगों को शर्मिंदगी होती थी जबकि अब भारतीय होने पर हर किसी को गर्व होता है.
चीन और पाक से रिश्ता
प्रधानमंत्री के चीन दौरे से कारोबार या मेक इन इंडिया को लेकर भले ही कुछ बातें हुई हों, मगर सीमा पर स्थिति जस की तस बनी हुई है. मोदी की चीन यात्रा के दौरान ही वहां के टीवी चैनल द्वारा भारत का नक्शा तक गलत दिखाया गया. अपने शपथग्रहण में मोदी ने सार्क देशों के नेताओं के साथ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी बुलाया था. अलग से मुलाकात भी की, लेकिन कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की पाक उच्चायुक्त से मुलाकात के बाद बात चीत का सिलसिला रोक दिया गया. बाद में विदेश सचिव एस जयशंकर इस्लामाबाद गए भी लेकिन बात बेनतीजा रही.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मोदी की कोशिश, कूटनीति और प्रदर्शन की बदौलत भारत को कई सफलताएं भी मिली हैं.
1. मोदी से पहले तो कभी नहीं देखा गया कि कोई भारतीय नेता बिल, बुश या रोनाल्ड कह कर किसी अमेरिकी राष्ट्रपति को संबोधित किया हो. आज भारतीय प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति को 'बराक' कह कर बुलाता है - और वो टाइम मैगजीन में अपने लेख में मोदी को 'रिफॉर्मर इन चीफ' करार देते हैं.
2. यमन में विद्रोह के धमाकों के बीच विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने ग्राउंड जीरो पहुंच कर राहत अभियान को सुपरवाइज किया. भारत की सक्रियता और विशेषज्ञता को देखते हुए दुनिया के 26 देशों ने भारत से मदद की गुहार लगाई - और उसके बाद उन सभी देशों के नागरिकों को भी सुरक्षित निकाला गया.
3. ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में भी मोदी ने भारत की धाक जमाई और 100 डॉलर की शुरुआती पूंजी के साथ ब्रिक्स बैंक की स्थापना को लेकर समझौता हुआ. फिलहाल भारत के केवी कामत ब्रिक्स बैंक के प्रमुख हैं.
4. नेपाल में भूकंप आने पर प्रधानमंत्री ने आगे बढ़ कर पहल करते हुए मदद की पेशकश के साथ साथ राहत दल भी फौरन रवाना कर दिया. अगर आखिरी दौर में नेपाल सेना द्वारा भारतीय मीडिया के विरोध को नजरअंदाज कर दें तो राहत और बचाव में भारतीय टीम ने बेहतरीन काम किया.
5. बांग्लादेश के साथ सीमा विवाद में फंसे करीब 51 हजार लोगों के पास अब तक कोई नागरिकता नहीं थी, लेकिन समझौते की बदौलत अब उन्हें अपना देश चुनने का मौका मिल रहा है. उन बस्तियों में आज खुशहाली का माहौल बना हुआ है. वैसे समझौते की नींव कांग्रेस शासन ही पड़ी थी, लेकिन क्रेडिट तो अंजाम तक पहुंचाने वाला ही लूटता है.
वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संयुक्त राष्ट्र में पहला भाषण था जिसमें उन्होंने उसकी महत्ता को लेकर सवाल भी उठाया और सतर्क भी किया. उसी वक्त मोदी ने योग के लिए भी एक दिन निश्चित किए जाने का प्रस्ताव रखा. ये तो मानना ही पड़ेगा, 75 दिन के रिकॉर्ड वक्त में ही मोदी के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई - और अब 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जानेवाला है.
आपकी राय