राम राम कर सजा हुई पूरी- सीबीआई के पूर्व कार्यकारी निदेशक सिर पर पैर धर भागे
सीबीआई के पूर्व कार्यकारी निदेशक एम नागेश्वर राव की सजा पूरी हो गई थी मगर 20 मिनट तक वो इसी बात को लेकर परेशान थे कि निकले या नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि कोर्ट पहले ही डांट लगा चुका था.
-
Total Shares
सजा पूरी करने के बाद तो कैदी तीतर की तरह भागता है. लेकिन सीबीआई के पूर्व कार्यकारी निदेशक एम नागेश्वर राव तो सजा पूरी होने के बाद भी 20 मिनट तक इस ऊहापोह में रहे कि बाहर निकलें या नहीं. क्योंकि पौने चार बजे कोर्ट की ऐसी डांट पड़ी थी कि दोनों अधिकारी मुंह लटकाये फिर अपनी जगह पर बैठ गये. अब पुरानी कहावत है कि दूध का जला मट्ठा भी फूंक फूंक कर पीता है. कोर्ट उठने तक बैठने की सजा थी. कोर्ट तो उठ गई लेकिन राव नहीं उठे. यही सोचते रह गये कि अरे कैसे निकल जाएं? कल को कोई दूसरा फच्चर ना फंस जाए. मामला आखिर कोर्ट का जो ठहरा. सीबीआई का होता तो निपट भी लेते. लेकिन अब दाल कैसे गलाएं? आज की ही सजा राम राम कर पूरी हुई है. उन्होंने तो अपने वकीलों से कह भी दिया था कि अंदर से कोई आर्डर आयेगा तभी जाएंगे.
बीस मिनट बाद अंदर से जज साहब ने कहला भेजा कि ठीक है. जा सकते हैं. इसके बाद तो दोनों अधिकारी तीतर हो लिए. इस तेजी से भागे कि क्या मीडिया के सवाल और कहां कोर्ट का गलियारा. सब कुछ पीछे छूटता गया और वो गाडी में बैठकर फुर्रर्रर्र... दरअसल मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में हुई गड़बड़ियों की सीबीआई जांच पर एजेंसी के ही बड़े योद्धाओं के बीच क्रास फायर की गाज गिरी.
एम नागेश्वर राव परेशान हैं कि कहीं फिर कोई नया मामला उनके खिलाफ न खड़ा हो जाए
जांच टीम के अगुआ अरुण कुमार शर्मा के बारे में कहते हैं कि वो आलोक वर्मा की गुड बुक में थे लिहाजा नागेश्वर राव की आंख की किरकिरी बने थे. कोर्ट का साफ आदेश था कि जांच टीम को कोई नहीं छेड़ेगा. लेकिन राव ने सीबीआई के कानूनी सलाहकार से सलाह ली कि कैसे ये मिशन तबादला पूरा किया जाय.अब तो साहब जो रोगी को भाये वो ही बैद बताए. कानूनी सलाहकार एम भासुरन ने कहा कि प्रमोशन देकर तबादला कर सकते हैं. और आनन फानन में तबादले की फाइल एक ही दिन में डीओपीटी से निपट कर आ भी गई. देखते देखते अरुण शर्मा का तबादला अपने होम कैडर सीआरपीएफ में हो गया.
कोर्ट को ये बात पता चली 31 जनवरी को. बेंच को ये हरकत नागवार भी गुजरी. तभी चीफ जस्टिस की बेंच ने नागेश्वर राव को कोर्ट में हाजिर होने को कह दिया. अब आते हैं मंगलवार की कार्यवाही पर. कोर्ट में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने नागेश्वर राव की ओर से दाखिल बिना शर्त माफीनामे का जिक्र किया. कोर्ट ने साफ कहा कि वो इस माफीनामे से कतई संतुष्ट नहीं. अव्वल तो हमारे हुक्म के बावजूद तबादला क्यों किया गया? दूसरा ये कि ठीक है कानूनी सलाहकार की राय पर तबादला किया तो अगले दो हफ्तों तक कोर्ट को क्यों नहीं बताया?
ऐसा कौन सा आसमान फट रहा था कि रातों रात शर्मा का तबादला करना पड़ा? नाराज कोर्ट ने तो यहां तक कह दिया कि आपने सलाह की आड़ में वही किया जो आपको करना था. हम आपकी दलीलों और दस्तावेजों से कतई संतुष्ट नहीं है. कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से हट कर अपनी नजरें नीले सूट में हाथ बांधे खड़े नागेश्वर राव पर पड़ी. कोर्ट ने साफ कहा कि आपके माफीनामे को हम खारिज करते हैं. आपको अंदाजा है कि कोर्ट के आदेश की अवमानना के लिए आपको हम 30 दिनों के लिए जेल भी भेज सकते हैं? कोर्ट में सन्नाटा पसर गया. राव साहब के नीचे से तो गोया जमीन ही खिसक गई. कोर्ट ने आदेश लिखाना शुरू कर दिया.
कोर्ट ने राव को जमकर फटकार लगाई
हालांकि आदेश में लाख-लाख रुपये जुर्माना और दिन भर कोर्ट के कोने में बैठने की सजा. दोनों अधिकारी चुपचाप बैठ गये. भोजन अवकाश के लिए कोर्ट उठ गया. लेकिन दोनों बैठे रहे. वहीं बिस्किट खाया और दवाएं लीं. इस दौरान वकीलों और फरियादियों के झुंड आ आकर उन दोनों को ऐसे घूर घूर कर देखते गोया वो अजायबघर के आइटम हों. इस बीच एजी के ग्रुप के कई जूनियर वकील नागेश्वर राव के पास आ आ कर बैठते रहे. राव उनसे उनके परिवार और निजी जीवन के बारे में भी बात करते रहे. कई वकीलों से ये भी कहते रहे कि अब ये सब तो चलता रहता है. मुझे तो भासुरन की चिंता है. फैसला मेरा था इनकी तो सिर्फ सलाह थी. लेकिन भुगतना इनको भी पड़ रहा है.
इसी दौरान मैने भी राव साहब से पूछा कि आखिर मनोज तिवारी भी इसी कोर्ट में अवमानना के मामले में आये थे. ना उन्होंने माफी मांगी और ना ही दोबारा सील तोड़ने की अंडरटेकिंग दी. उन्होंने तो साफ कह दिया कि वो तो बार बार तोड़ेगे सील क्योंकि हाईपावर कमेटी मनमाने ढंग से और चुनिंदा इलाकों में ही सीलबंदी कर रही है. फिर भी कोर्ट ने उनका कुछ नहीं बिगाड़ा. और आपका माफीनामा भी खारीज हो गया. राव ने फीकी मुस्कान के साथ सिर्फ इतना कहा कि हम सरकारी मुलाजिम हैं. सारा गुस्सा और नजला हम पर ही तो गिरता है.
खैर.. भोजन अवकाश के बाद कोर्ट फिर लगा. बेंच बैठ गई. अटार्नी जनरल आ गये. उन्होंने कोर्ट से इजाजत ली तो पांच पांच मिनट के लिए दोनों अफसर बारी बारी से बाहर गये. वॉशरूम गये.पानी पिया और लौट आए. आम तौर पर बारह साढ़े बारह बजे तक उठ जाने वाले कोर्ट नंबर एक में शाम चार बजे तक कार्यवाही चलती रही. पौने चार बजे अटार्नी जनरल को लगा कि अब बस कोर्ट उठने वाला ही है. इनकी सजा भी पूरी हो गई है तो क्या अब ये जा सकते हैं? कोर्ट का पारा फिर चढ़ गया.
चीफ जस्टिस ने कहा कि आपको सजा मिली है. कोर्ट उठने तक आपको यहां रहना है. इससे पहले कि हम कल शाम कोर्ट उठने तक आपकी सजा बढ़ा दें जाइये और जाकर अपनी जगह पर बैठ जाएं. दोनों अफसर बैरंग लौट आए. रिकॉर्ड और इतिहास में झांकें तो बरसों बाद सुप्रीम कोर्ट में ऐसा मामला आया. पुराने लोगों को याद है कि अयोध्या में ढांचा गिरने के मामले में तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन की सजा सुनाई थी. सजा पूरी हुई लेकिन कहानी अभी अधूरी है...शायद इसमें कई मोड़ और कई रंग भरे जाने बाकी है. क्योंकि कोर्ट चालू आहे.
ये भी पढ़ें -
सीबीआई तो खुद ही 'असंवैधानिक' संस्था है !
बड़े बेआबरू होकर आलोक वर्मा फिर सीबीआई के दर से निकले
किसके इशारे पर सीबीआई में मची उथल-पुथल
आपकी राय