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Updated: 19 सितम्बर, 2016 10:36 PM
अभिनव राजवंश
अभिनव राजवंश
  @abhinaw.rajwansh
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2001 में भारतीय संसद पर हमला, 6 जवान शहीद 3 अन्य लोग भी मारे गए. 2008 में मुंबई हमला लगभग 170 लोगों मारे गए. 2016 में पठानकोट हमला और 7 जवान शहीद. अब उरी में हमला जिसमें 18 जवान शहीद हो चुके हैं. ये तो कुछ बड़े हमले हैं जिन में साफ़ तौर पर पाकिस्तान का हाथ सामने आया है. इसके अलावा न जाने कितने ही छोटे बड़े हमले आए दिन सीमावर्ती इलाकों में होते रहतें है.

इन सब के बाद एक चिर परिचित सा बयान यह आ जाता है कि इन कायराना हमलों का मुहतोड़ जवाब दिया जायेगा, और जवाब के नाम पर दिया जाता है पाकिस्तान को उसके किये करतूतों के सबूत और एक डोज़ियर जिनमे उनके यहां छिपे आतंकियों के कच्चे चिट्टे होते हैं.

मगर इस तरह के कदमों से भारत की हासिल क्या हुआ है. न तो भारत में पाकिस्तान समर्थित हमले रूक रहें हैं और न ही पाकिस्तान ने आज तक किसी भी आतंकवादी के खिलाफ कोई करवाई की. संसद और मुम्बई हमले के दोषी पाकिस्तान में शाही मेहमान की तरह रहते हैं.

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पाकिस्तान के कार्यवाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की 2001 में भारतीय संसद पर हमले का दोषी अज़हर मसूद 2016 में हुए पठानकोट हमले और उरी में हुए हमले का भी मास्टरमाइंड है. मतलब साफ़ है कि पिछले 15 सालों में यह आतंकवादी कमजोर होने के बजाय और भी मजबूत होता जा रहा है.

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 मोदी सरकार दे पाएगी पाकिस्तान को कड़ा जवाब?

सरकार बदली सत्ता बदली मगर नहीं बदला तो भारत के जवाब देने का तरीका. साल 2014 में जब मोदी ने सत्ता संभाली थी तो ऐसा लगा था की शायद अब पाकिस्तान को उसकी भाषा में जवाब दिया जायेगा, मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके विपरीत पाकिस्तान से दोस्ती का हांथ बढ़ाया. मोदी ने दोनों देशों के संबंधों में सुधार की हरसंभव कोशिश की मगर बदले में भारत को मिला तो सिर्फ और सिर्फ धोखा. पाकिस्तान ने ना तो अपनी नियत बदली और ना ही नीति. पाकिस्तान भारत को अस्थिर करने के मिशन में अनवरत लगा रहा. और तो और पाकिस्तान ने उल्टा अंतराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर को लेकर भारत को घेरने की भी पूरी कोशिश की.

भारतीय नेता मंत्री आये दिन पाकिस्तान को सबक सिखाने की बातें तो करते है, मगर होता कुछ नहीं. मगर जिस तरह बार बार पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ इस तरह के छद्म युद्ध में लगा है उसका जवाब केवल बातों से दिया जा सकता है? लगता तो नहीं है क्योंकि इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान जो अपने जन्म के समय था आज भी वही है और निकट भविष्य में भी उसमे बदलाव कि कोई गुंजाईश दिखती नहीं. ऐसे में समय आ गया है जब पाकिस्तान को उसकी भाषा में जवाब देने का क्योंकि ऐसा न करने कि स्थिति हमें इस तरह के हमलों और अपने जवानों को खोने के लिए भी तैयार रहना होगा.

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एक तर्क हमेशा से दिया जाता रहा है कि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है. मगर समस्या जब पाकिस्तान जैसा पड़ोसी हो तो फिर उस समस्या का हल युद्ध से ही किया जा सकता है. हमारे इतिहास में ऐसे कई उदहारण मौजूद हैं जब युद्ध शांति और न्याय के स्थापना के लिए भी किया जाता रहा है. ऐसे में अब उम्मीद यही है कि भारतीय हुक्मरान भी इस बार कोई कड़ा कदम उठा लें.

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अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

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