अदिति सिंह कौन हैं? उनके कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन करने पर अचरज क्यों नहीं हो रहा है?
अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह के निधन पर शोक जताने के लिए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ भी रायबरेली स्थित उनके आवास पर गए थे. माना जाता है कि तभी से अदिति का झुकाव भाजपा की और बढ़ने लगा और वे बीजेपी में अपना भविष्य देखने लगीं.
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अदिति सिंह (Aditi Singh) ने बीजेपी (bjp) का दामन थाम लिया है. इस खबर में अचरज वाली बात इसलिए नहीं है क्योंकि ऐसी अटकलें काफी लंबे समय से लगाई जा रही थीं. ऊपर से रायबरेली सदर सीट से कांग्रेस विधायक रही अदिति भाजपा समर्थित बयान भी देती रही हैं. लोगों को तो सिर्फ ऑफिशियल अनाउंसमेंट का ही इंतजार था जो आज सच भी हो गया.
भाजपा प्रदेश कार्यालय में विभिन्न दलों के लोग पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते हुए...#BJP4UP https://t.co/9tJ8PZmGHA
— BJP Uttar Pradesh (@BJP4UP) November 24, 2021
जी हां कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह काफी लंबे समय से अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल कर बैठी थीं. एक समय था जब अदिति सिंह को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के काफी करीब माना जाता था लेकिन देखते ही देखते नजदीकियां दूरियों में तब्दील हो गईं.
हाल ही में अदिति ने किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की आलोचना की थी. अदिति का कहना था कि 'जब कृषि बिल आए थे तब प्रियंका गांधी को परेशानी थी और जब कृषि कानून वापस ले लिए गए हैं, तब भी उन्हें परेशानी है. वे आखिर चाहती क्या हैं? वे सिर्फ मामले पर राजनीति कर रही हैं. उनके पास मुद्दों की कमी है'.
जिस तरह अदिति कांग्रेस और पार्टी के शीर्ष नेताओं की आलोचना कर रही थीं, उससे पहले ही लोगों को समझ आ गया था कि वे कभी भी झटका दे सकती हैं. वैसे राजनीति के गलियारे में कांग्रेस के लिए ऐसा कहा जाता है कि इस पार्टी में परिवारवाद हावी है, इसलिए बाकी नेताओं को तवज्जो नहीं दिया जाता. इस कारण भी कई नेता पार्टी से इस्तीफा देने के लिए मजबूर हो जाते हैं.
कांग्रेस से बगावत करने के बाद अदिति को रेबेल ऑफ रॉयबरेली कहा जाने लगा
अदिति सिंह ने भी इस मुद्दे को उठाया था, उनका कहना था कि 'आज कांग्रेस एक परिवार की ही पार्टी बनती जा रही है. ऐसे में कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए. क्यों पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया फिर जितिन प्रसाद जैसे वरिष्ठ नेता दूसरी पार्टी में क्यों जा रहे हैं?'
इतना ही नहीं, अदिति सिंह ने पार्टी लाइन से बाहर जाकर विधानसभा में तब भाषण दिया था जब पूरे विपक्ष ने योगी सरकार के खिलाफ सदन का बहिष्कार करने का ऐलान किया था. इसके बाद ही पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण कांग्रेस ने अदिति सिंह को निलंबित कर दिया था. कांग्रेस पार्टी ने उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भी लिखा था.
इसके बाद योगी सरकार ने अदिति सिंह को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी थी, उसी समय से कयासबाजी शुरु हो गई थी कि अदिति सिंह का नया ठिकाना बीजेपी हो सकती है.
दरअसल, अदिति बाहुबली अखिलेश सिंह की बेटी हैं. रायबरेली में उनके परिवार की काफी लोकप्रियता है. अदिति, कांग्रेस के टिकट पर रायबरेली सदर से 2017 में चुनाव जीतीं और विधायक बन गईं. इसके पहले इस सीट पर 1993 से 2017 तक उनके पिता अखिलेश सिंह का कब्जा था. साल 2019 में अखिलेश सिंह का निधन हो गया. पिता के निधन पर शोक जताने के लिए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ भी रायबरेली स्थित उनके आवास पर गए थे. माना जाता है कि तभी से अदिति का झुकाव भाजपा की और बढ़ने लगा और वे बीजेपी में अपना भविष्य देखने लगीं.
कांग्रेस को पता था कि अदिति सिंह के परिवार की लोकप्रियता रायबरेली में कितनी ज्यादा है इसलिए पार्टी अदिति के खिलाफ आधिकारिक कार्रवाई करने से कतराती रही लेकिन 2019 अक्टूबर के बाद से ही कांग्रेस और अदिति के संबंधों में खटास साफ झलक रहा था. ऐसे में कहा जा सकता है कि अदिति का बीजेपी ज्वाइन करना मात्र एक औपचारिकता भर है.
चलिए आपको थोड़ा सा पीछे लिए चलते हैं, जब जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने पर अदिति ने केंद्र सरकार के इस कदम की जमकर तारीफ की थी. वैसे अदिति, योगी सरकार की भी प्रशंसक रही हैं. कोरोना काल में लॉकडाउन के समय जब कांग्रेस ने प्रवासी मजदूरों के लिए 1000 बसों का इंतजाम किया था तब अदिति सिंह ने अपनी ही पार्टी के नेतृत्व की आलोचना की थी. उस समय भी अदिति ने योगी सरकार का समर्थन किया था.
कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में जब-जब वोटिंग के मौके आए हैं तब-तब अदिति कांग्रेस को नहीं बल्कि भाजपा के पक्ष में वोट डाला. जो भी अदिति के बीजेपी में शामिल होने से रायबरेली सद में भाजपा की राहें आसान हो गई हैं और कांग्रेस की टेंशन बढ़ गई है क्योंकि अदिति का काट खोजना पार्टी के लिए टेढ़ी खीर के समान है.
कांग्रेस से बगावत करने के बाद अदिति को रेबेल ऑफ रॉयबरेली कहा जाने लगा. लोग उनसे अक्सर यह सवाल करते कि 'तो, आपकी स्थिति क्या है? क्या आप अभी भी कांग्रेस की विधायक हैं या 2022 के चुनाव से पहले बीजेपी या समाजवादी पार्टी में जा रही हैं?' प्रिंयका की सबसे करीबी माने जाने वाली अदिति उनकी सबसे बड़ी आलोचक बन गईं. अदिति का कहना था कि कांग्रेस को मजबूत करने के लिए प्रियंका गांधी को लखनऊ में ज्यादा समय देना चाहिए था.
अदिति सिंह की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने अपनी पढ़ाई अमेरिका से पूरी की और 2019 में पंजाब के कांग्रेस विधायक अंगद सिंह सैनी से शादी कर ली. दोनों की शादी ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं. अदिति और उनके पति अंगद उत्तर प्रदेश और पंजाब की विधानसभाओं में सबसे कम उम्र के विधायक माने गए. माना जाता है कि रायबरेली सदर में पार्टी नहीं बल्कि अदिति का परिवार चुनाव जीतता है.
माना तो यह भी जा रहा है कि अदिति सिंह पंजाब में भी बीजेपी के लिए प्रचार कर सकती हैं. जो भी यह राजनीति की डगर जितनी आसना दिखती है उतनी होती नहीं है. अदिति अभी तक सिर्फ नाम के लिए कांग्रेस में बनीं हुईं थीं, लेकिन पार्टी ने उनसे किनारा कर ही लिया था. ऐसे में बीजेपी ज्वाइन करने पर अदिति सिंह को लेकर आपका क्या कहना है?
It's a big loss for Congress & the party should introspect why senior leaders like Jyotiraditya Scindia & Jitin Prasada are leaving. Congress is becoming one family's party. His (Jatin) future will be bright in BJP: Rebel Congress MLA Aditi Singh pic.twitter.com/b6HWiFxHwG
— ANI UP (@ANINewsUP) June 9, 2021
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