कौन है 27 साल का मौलाना साद जिसकी गिरफ्तारी से जल रहा पाकिस्तान? लंदन तक पहुंची आग
TLP चीफ मौलाना साद हुसैन रिजवी की उम्र अभी सिर्फ 27 साल है. पिता की तरह वह भी कट्टरपंथी नेता है. मुखिया बनने से पहले पिछले कई साल से मौलाना साद पिता के साथ ही काम कर रहा है.
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तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) पर प्रतिबंध और उसके चीफ मौलाना साद हुसैन रिजवी की गिरफ्तारी पर शुरू हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा. विवाद पाकिस्तान की सीमा से बाहर तक फैलता दिख रहा है. करीब दो दर्जन से ज्यादा TLP समर्थकों ने लंदन में पाकिस्तानी दूतावास के सामने प्रदर्शन और नारेबाजी की. मौलाना साद की रिहाई के साथ फ्रांस से रिश्ते ख़त्म करने की मांग की गई. सोशल मीडिया पर भी TLP के समर्थक लगातार ऐसी ही मांग दोहरा रहे हैं. वहां हालत किस कदर खराब हैं इसका अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि इमरान खान की सरकार को चार घंटे तक इंटरनेट और सोशल मीडिया ब्लॉक करना पड़ा. ट्विटर, फेसबुक, वाट्सएप, यूट्यूब, टेलीग्राम और टिकटॉक जैसे सोशल प्लेटफॉर्म आज दोपहर 11 से तीन बजे तक बंद रहे.
पाकिस्तान इलेक्ट्रानिक रेगुलेटरी मीडिया अथारिटी ने भी TLP पर आधारित टीवी और रेडियो कवरेज पर पूरी तरह से रोक लगा दिया है. कार्रवाई पाकिस्तान के ब्राडकास्टिंग क़ानून के तहत की गई है. उधर, पड़ोसी देश में फ्रांस विरोधी नफरती माहौल देखते हुए पाकिस्तान स्थित फ्रांसीसी दूतावास ने एडवाइजरी जारी की है. नागरिकों से कहा है कि वो सावधान रहें और पाकिस्तान छोड़ दें. पैगंबर पर विवादित कार्टून और नीस में एक टीचर की निर्मम हत्या के बाद फ्रांस सरकार ने इस्लाम की कट्टरपंथी विचारधारा की तीखी आलोचना की थी. फ्रांस में करीब 100 मस्जिदों को बंद कर दिया गया था. इस्लामिक देशों ने इसपर खुलकर नाराजगी जाहिर की थी.
चार साल पहले वजूद में आए संगठन के आगे लाचार पाकिस्तान
पिछले साल अक्टूबर में हुए घटनाक्रम पर पाकिस्तान में भी सरकार और राजनीतिक पार्टियों ने गुस्सा जाहिर किया था. फ्रांस के साथ संबंधों को तोड़ने के लिए TLP ने तब आंदोलन किया था और इमरान सरकार को एक समयसीमा दी थी. लेकिन हफ्ते की शुरुआत में समयसीमा से पहले ही 12 अप्रैल को आतंकी संगठन बताते हुए बैन कर उसके चीफ मौलाना साद को गिरफ्तार कर लिया गया. महज चार साल पहले वजूद में आए संगठन पर इमरान सरकार की कार्रवाई के नतीजे बेहद खराब दिखे. विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए. कई शहर बुरी तरह से प्रभावित हैं. करीब 6 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा घायल हुए. हालात से निपटने पाकिस्तानी सेना को सड़क पर उतरना पड़ा. आइए जानते हैं TLP कैसे बना, और कौन है इसका मुखिया.
मौलाना साद हुसैन रिजवी. फोटो क्रेडिट- विकिपीडिया
मामूली मौलाना ऐसे बन गया ताकतवर
TLP पाकिस्तान का कट्टरपंथी धड़ा है. 2017 में खादिम हुसैन रिजवी ने इसकी स्थापना की थी. वो धार्मिक विभाग का कर्मचारी और एक मस्जिद का मौलवी था. खादिम खुद को पैगंबरे इस्लाम का चौकीदार कहता था. TLP की स्थापना की बुनियाद धार्मिक कट्टरता और घृणा की बुनियाद पर हुआ है. 2011 में पकिस्तान में चर्चित मामला सामने आया था जिसमें पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या उनके पुलिस गार्ड मुमताज कादरी ने कर दी थी. सलमान की हत्या की वजह सिर्फ ये थी कि वो पाकिस्तान में ईश निंदा क़ानून का विरोध कर रहे थे. खादिम हुसैन ने मुमताज कादरी का खुलकर समर्थन किया. इसकी वजह से उसे अपनी सरकारी नौकरी भी गंवानी पड़ी थी. कादरी को बचाने के लिए 2016 में बिना अनुमति के रैली की शुरुआत की.
मुमताज कादरी पर आंदोलन से बनाई जमीन
कादरी तो फांसी से नहीं बचा लेकिन खादिम पाकिस्तान में मशहूर होता गया. फांसी के कुछ ही दिन बाद उसने तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान या रसूल अल्लाह बनाने की घोषणा की. कट्टरपंथी विचारधारा की वजह से कुछ ही समय में TLP का तगड़ा बेस बन गया. पार्टी के पोस्टरों में उन लोगों को दिखाया गया जिन्हें ईशनिंदा के नाम पर पाकिस्तान में निर्ममता से मार डाला गया था. TLP ने चुनाव भी लड़ा. हालांकि सफलता मामूली मिली पर धर्म के नाम पर TLP के आंदोलनों का दबाव सरकार और दूसरी पार्टियों पर साफ़ दिखने लगा. पिछले साल 2020 में बीमारी के बाद 55 साल की उम्र में खादिम की मौत हो गई थी.
सिर्फ 27 साल की उम्र में बटोरी शोहरत
खादिम की मौत के बाद उसका बेटा मौलाना साद हुसैन रिजवी TLP का मुखिया बना. मौलाना साद की उम्र अभी सिर्फ 27 साल है. पिता की तरह वह भी कट्टरपंथी नेता है. मुखिया बनने से पहले पिछले कई साल से मौलाना साद पिता के साथ ही काम कर रहा है. पार्टी में उसकी भूमिका डिप्टी सेक्रेटरी की थी. साद ने पिता के मदरसे से ही इस्लामिक शिक्षा ग्रहण की है. युवा और आक्रामक होने की वजह से मौलाना साद का असर युवाओं में भी खूब है. सिर्फ ईशनिंदा पर राजनीति करने वाली पार्टी ने खादिम की मौत के बाद फ्रांस के मामले को पाकिस्तान में जमकर तूल दिया. कई दिन तक धरना-आंदोलन चला. मौलाना साद भी आंदोलन में पिता के साथ था. उसकी खूब चर्चा भी हुई.
फ्रांस विरोध से ही सुर्ख़ियों में आया मौलाना साद
पिता की मौत के बाद इसी मुद्दे पर मौलाना साद ने अपनी पकड़ मजबूत की. फ्रांस के साथ कूटनीतिक रिश्ते ख़त्म करने पर अड़ी पार्टी की मांग के आगे तब इमरान खान को झुकना पड़ा. अप्रैल 2021 की समयसीमा लेकर संसद में प्रस्ताव लाने की बात मान भी ली थी. मगर इस साल समयसीमा से पहले ही 12 अप्रैल को इमरान सरकार ने मौलाना साद को गिरफ्तार कर उसके संगठन को प्रतिबंधित कर दिया. इसी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान में बवाल शुरू हुआ है. इसके आगे भी जारी रहने की आशंका जताई जा रही है.
(फोटो क्रेडिट- विकिपीडिया)
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