रोपड़ से बांदा जेल के सफर में मुख्तार अंसारी को अपना 'काला' अतीत तो याद आया ही होगा! - Who is Mukhtar Ansari bahubali gangster uttar pradesh police banda jail yogi adityanath
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Updated: 07 अप्रिल, 2021 01:25 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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26 महीने बाद यूपी सरकार और पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद आखिरकार बाहुबली मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari Latest News) को उत्तर प्रदेश में ले आया गया. यूपी पुलिस की टीम पंजाब के रोपड़ से करीब 882 किमी का रास्ता तय करते हुए मुख्तार अंसारी को बांदा (Banda Jail) ले आई. रास्ते में पड़ने वाले सभी जिलों में अलर्ट घोषित कर दिया गया था. इन सबके बावजूद मुख्तार अंसारी और उनके परिवार को एक ही चिंता खाए जा रही थी कि पुलिस कहीं रास्ते में डॉन का एनकाउंटर न कर दे.

मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी (Mukhtar Ansari Wife) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर अपने पति का हाल विकास दुबे जैसा होने की आशंका जताई है. उन्होंने पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराने और केंद्रीय बल लगाने की मांग की है. उनकी याचिका में कहा गया है कि माफिया डॉन बृजेश सिंह बेहद प्रभावशाली है. वह मुख्तार अंसारी को मारने की साजिश रच रहा है. उनका कहना है कि मुख्तार के खिलाफ चल रहे मामलों (Mukhtar Ansari Criminal Cases) को फेयर तरीके से चलाया जाना चाहिए. यदि राजनीतिक बदले में कोई कार्रवाई की जाती है तो वह सही नहीं होगा. यहां तक कि अफशां ने राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा था.

बड़े षडयंत्र की आशंका

मुख्तार अंसारी के बड़े भाई गाजीपुर से बहुजन समाज पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने बड़े षडयंत्र की आशंका जताई है. उन्होंने कहा कि उनको कानून-व्यवस्था पर तो पूरा भरोसा है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार की नीयत में खोट है. हमारा पूरा परिवार मुख्तार अंसारी को लेकर बेहद चिंतित है. सीएम योगी आदित्यनाथ के करीबी बाहुबली ब्रजेश सिंह के खिलाफ मुख्तार अंसारी काफी मुखर हैं, इसी कारण ब्रजेश सिंह को बचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार उनके भाई के खिलाफ बड़ा षडयंत्र कर रही है. इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश में भाजपा के एक नेता लगातार इस बाबत गैर-जिम्मेदाराना बयान दे कर माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं.

व्हीलचेयर से चल रहे मुख्तार अंसारी की हालत पर अफजाल अंसारी ने कहा कि वह अब सीनियर सिटीजन है. उनके बाल पक गए हैं. हाई ब्लड प्रेशर के साथ मधुमेह की भी शिकायत है. उनको इन सब बीमारियों के साथ ही पीठ दर्द की भी शिकायत है. इसलिए उनको व्हीलचेयर पर चलना पड़ता है. मुख्तार अंसारी पिछले 15 साल से जेल में बंद है, लेकिन जब भी उनका वीडियो या फोटो दिखाया जाता है, वह पुराना दिखाया जाता है. वे वीडियो या फोटो उस समय के दिखाए जाते हैं जब मुख्तार जवान थे. ऐसे में उनके सही हालत के बारे में लोगों को पता नहीं चल पाता है. मुख्तार अंसारी की पत्नी और भाई दोनों ही उनकी सुरक्षा के लिए चिंतित हैं.

कौन हैं मुख्तार अंसारी

30 जून 1963 को यूपी के गाजीपुर के मोहम्दाबाद में पैदा हुए मुख़्तार अंसारी (Who is Mukhtar Ansari) की पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीतिक है. मऊ विधानसभा से पांचवी बार विधायक चुने गए मुख्तार अंसारी के दादा आजादी से पहले इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. नाना महावीर चक्र विजेता तो चाचा देश के उप-राष्ट्रपति रहे हैं. खुद मुख्तार अंसारी कॉलेज टाइम में एक बेहतरीन क्रिकेटर हुआ करता था. बहुत अच्छी बॉलिंग करता था. कहा जाता है कि यदि उसे सही ट्रेंनिंग मिली होती, तो शायद वो टीम इंडिया में शामिल होकर इंटरनेशनल प्लेयर बन सकता था. इतनी गौरवशाली पारिवारिक पृष्ठभूमि के होने के बावजूद वह जुर्म के रास्ते पर चल पड़ा.

मुख्तार अंसारी के खिलाफ 40 से ज्यादा केस दर्ज हैं. वह पिछले 15 सालों से जेल में बंद हैं. जितने केस हैं, उससे कहीं ज्यादा दुश्मन हैं. हालात ये हैं कि जेल भी उसके लिए सुरक्षित नहीं है. यही वजह है कि लगातार जेल बदलती जाती रही है. जरायम की दुनिया में उनका नाम सबसे पहले तब ऑफिशियली दर्ज हुआ, जब साल 1988 में मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर मुख्‍तार ने सचिदानंद राय की हत्या कर दी. इसके बाद मुख़्तार का नाम बड़े क्राइम में पुलिस फाइल में दर्ज कर लिया गया. इस दौरान त्रिभुवन सिंह के कांस्टेबल भाई राजेंद्र सिंह की हत्या वाराणसी में कर दी गई, इसमें भी मुख़्तार अंसारी का नाम एक बार फिर सामने आया.

मुख़्तार अंसारी और बृजेश सिंह

साल 1991 में चंदौली में मुख़्तार अंसारी को गिरफ्तार किया गया, लेकिन रास्ते में दो पुलिसवालों को गोली मार फरार हो गया. रेलवे के ठेके, शराब के ठेके, कोयला के काले कारोबार को शहर से बाहर रहकर संचालित करना शुरू कर दिया. साल 1996 में मुख़्तार का नाम एक बार फिर सुर्ख़ियों में आया, जब एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमला हुआ. साल 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यापारी रुंगटा के अपहरण के बाद मुख़्तार अंसारी का नाम जरायम की दुनिया में गहरे काले अक्षरों में दर्ज हो गया. उस वक्त तक माफिया डॉन बृजेश सिंह का उदय हो चुका था. मुख़्तार अंसारी और बृजेश सिंह के गैंग के बीच अक्सर भिड़त होती रहती थी.

अपराध की दुनिया पर फतह हासिल करने के बाद मुख्तार जिस गति से राजनीति में आगे बढ़ रहा था, उसी गति से बृजेश जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह बनने के लिए बावला था. साल 2002 में बृजेश सिंह और मुख़्तार अंसारी के बीच हुए गैंगवार में मुख़्तार के तीन लोग मारे गए. बृजेश सिंह भी जख़्मी हो गया. उसके मरने की खबर आई, लेकिन कई महीनों तक किसी को कानोंकान खबर नहीं हुई कि बृजेश सिंह जिन्दा है. इधर, आपराधिक छवि मजबूत होने के साथ ही अंसारी परिवार की राजनीतिक छवि कमजोर होने लगी. इसका नतीजा यह हुआ कि साल 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में कृष्णानंद राय से मुख्तार के भाई अफजल अंसारी हार गए.

योगी आदित्यनाथ से अदावत

इसमें कृष्णानंद राय को बृजेश सिंह का भी समर्थन मिला था. इस चुनाव के बाद गाजीपुर और मऊ में हिन्दू-मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण होने लगा. आए दिन सांप्रदायिक झगड़े और दंगे होने लगे. इसी बीच मुख्तार अंसारी ने शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी की मदद से विधायक कृष्णानंद राय की उनके पांच साथियों के साथ हत्‍या करा दी. इसके बाद हर तरफ दंगे भड़क उठे. साल 2005 में जब मऊ में दंगे हुए थे, तो मुख्तार अंसारी खुली जीप में घूम रहा था. एक धर्म विशेष के लोग के खिलाफ जमकर अत्याचार किया जा रहा था. आरोप लगा था कि दंगों को भड़काने का काम मुख्तार अंसारी ने ही किया. इन दंगों के बाद साल 2006 में तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को खुली चुनौती दी कि मऊ आकर पीड़ितों को इंसाफ दिलाएंगे, लेकिन उन्हें मऊ में दोहरीघाट में रोक दिया गया था.

इसके तीन साल बाद 2008 में योगी आदित्यनाथ आजमगढ़ जा रहे थे, तब उनके काफिले पर हमला कर दिया गया था. उनकी गाड़ी में तोड़फोड़ हुई थी. उपद्रवियों ने आगजनी की भी कोशिश की थी. उस वक्त योगी आदित्यनाथ ने संकेत दिया था कि उन पर किसने हमला करवाया था. इसमें सीधा नाम मुख्तार अंसारी का ही आया था. इसके बाद जब योगी सूबे के सीएम बने, तभी से उन्होंने यूपी में अपराधियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मुख्तार अंसारी जैसे अपराधियों के बुरे दिन शुरू हो गए. मुख्तार के खिलाफ लगातार पुलिस कार्रवाई की जा रही है. उसके अवैध निर्माण ध्वस्त कर दिए गए. कई बेनामी संपत्तियां जब्त कर ली गईं. परिवार के लोगों पर भी कानूनी शिकंजा कसा जाने लगा. योगी सरकार की मेहनत की बदौलत ही आज मुख्तार को पंजाब से यूपी लाने में पुलिस समर्थ हो पाई है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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